Karla Ekvira Devi Temple महाराष्ट्र के लोनावला के पास स्थित एकविरा देवी मंदिर और कारला गुफाएं एक अद्भुत धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं। वहां मां एकविरा के आशीर्वाद से भक्तों को शांति मिलती है, और पास की कारला गुफाओं में बुद्ध का धम्म हृदय को स्पर्श करता है। प्रकृती की गोद में बसे ये स्थल अपनी रहस्यमयता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं।
एकवीरा देवी मंदिर
Karla Ekvira Devi Temple मे देवी की पुजा गुफाओं के ठीक बगल में की जाती है | यह गुफा पहले बौद्ध धर्म का केंद्र थी | इस मंदिर मे आगरी और कोली लोगों के लिए पूजा का एक प्रमुख स्थान है | पहले मंदिर के परिसर मे पश्चिम की ओर मुख करके एक पंक्ति में बनाए गए तीन समान मंदिर थे | लेकिन अभि केंद्रीय और दक्षिणी मंदिर पूरी तरह से संरक्षित है | बाकी संरचनाएँ केवल योजना पर संरक्षित है |

चढ़ाई और मंदिर दर्शन
मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 500 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। चढ़ाई के दौरान रास्ते में कई छोटे-बड़े स्टॉल मिलते हैं जहां नींबू पानी, चने और अन्य स्नैक्स मिलते हैं। सिढ़ियाँ मध्यम कठिनाई वाली हैं, इसलिए सामान्य फिटनेस वाले व्यक्ति आसानी से चढ़ सकते हैं।
ढ़ाई के मध्य में एक छोटा झरना मिलता है, जो थकान मिटाने के लिए एक अच्छा स्थान है।गे बढ़ने पर ‘एकविरा पादुका मंदिर’ आता है, जहां देवी के चरणचिह्न हैं। वहां से पार्किंग से आने वाला रास्ता भी मिल जाता है।
मंदिर में पूजा
Karla Ekvira Devi Temple मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले, भक्त नारियल, फूल, और लाल टोपी जैसी पूजा सामग्री खरीदते हैं। मुख्य द्वार पर 25 रुपये का टिकट लेकर आप करला गुफाओं के समृद्ध विरासत को देख सकते हैं। मंदिर के सामने ‘नागरखाना’ है, जहां देवी के लिए नगाड़ा बजाया जाता है। मंदिर के अंदर देवी एकविरा की चांदी से सजी हुई मूर्ति है, जिसके सिर पर सोने का मुकुट और नाक में नथ है। मंदिर के बगल में माता जोगेश्वरी की मूर्ति भी है, जो देवी एकविरा की बहन मानी जाती हैं।
कारला गुफाएं
देवी मंदिर के पास ही करला गुफाएं हैं, जो प्राचीन बौद्ध गुफाएं हैं। उन गुफाओं का निर्माण पहली से पांचवीं सदी ईस्वी के बीच हुआ था। गुफाओं के प्रवेश द्वार पर अशोक स्तंभ जैसा एक सिंह स्तंभ है। गुफाओं के अंदर सुंदर नक्काशी और वास्तुकला देखने को मिलती है, जो उस समय की समृद्ध संस्कृति को दर्शाती है।

एकवीरा देवी मंदिर का इतिहास
इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी | एक दिन देवी एकवीरा माता पांडवों के सामने प्रकट हुईं थी, तब से इसे एक पवित्र स्थान है | स्थानीय लोगों का मानना है, कि जब वे प्रकट हुईं तो उन्होंने उन्हें वहाँ एक मंदिर बनाने का निर्देश दिया था | लेकिन वे पांडवों की कार्यशैली का परीक्षण करना चाहती थीं और उन्होंने एक शर्त रखी कि इसे रातों-रात बनाया जाना चाहिए | पांडवों ने कुछ ही समय में मंदिर बना दिया था | वह देवी को प्रभावित करने में सफल रहे | एकवीरा देवी ने उन्हे वरदान दिया, गुफाएँ उनका गुप्त निर्वासन हो सकती हैं और कोई भी उन्हें इस स्थान पर नहीं खोज सकता |

मंदिर की विशेषता
महत्वपूर्ण जानकारी
समय: मंदिर और गुफाएं सुबह 9:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुले रहते हैं।
प्रवेश शुल्क: कारला गुफाओं के लिए प्रति व्यक्ति 25 रुपये का टिकट लगता है; 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रवेश निःशुल्क है।
सुविधाएं: चढ़ाई के दौरान रास्ते में कई दुकानें हैं जहां से आप पानी, स्नैक्स और पूजा सामग्री खरीद सकते हैं।
एकवीरा देवी मंदिर तक कैसे पहुँचें ?
एकविरा देवी मंदिर और करला गुफाओं तक पहुंचने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं:
बस द्वारा: मुंबई और पुणे से महाराष्ट्र राज्य परिवहन (MSRTC) की बसें उपलब्ध हैं जो आपको ‘काला फाटा’ तक ले जाएंगी। वहां से आप 20-30 रुपये में रिक्शा लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
कार द्वारा: यदि आपके पास अपनी कार है, तो आप पुराने मुंबई-पुणे हाईवे के माध्यम से सीधे मंदिर के पार्किंग क्षेत्र तक पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा: मुंबई से लोनावला तक लोकल ट्रेन द्वारा पहुंचा जा सकता है | लोनावला स्टेशन से पुणे लोकल ट्रेन लेकर ‘मलवली’ स्टेशन पर उतरें | स्टेशन के बाहर रिक्शा उपलब्ध हैं जो समूह के लिए 200-250 रुपये और व्यक्तिगत रूप से 50 रुपये प्रति व्यक्ति लेते हैं।
मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय
मंदिर के लिए आप साल के कोनसे भी दिन जा सकते है, क्योंकि यहा का तापमान हर समय काफी आरामदायक रहता है | मान्सून मे जुलाई से सितंबर तक पूरे घाट पर बारिश होती है और परिदृश्य और भी शानदार हो जाते है |
30 डिग्री सेल्सियस से लेकर 10 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए एकदम सही रहता है |
मंदिर का समय
देवी के दर्शन के लीये सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक का समय होता है |
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एकवीरा देवी मंदिर के पास के आकर्षण
- भाजा गुफाएं: कारला गुफाओं से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये गुफाएं भी बौद्ध वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- लोनावला: हिल स्टेशन अपने खूबसूरत दृश्यों, झीलों और चिखलधराओं के लिए प्रसिद्ध है।
- देला एडवेंचर पार्क: रोमांचक गतिविधियों के लिए यह एक बेहतरीन स्थान है, जहां आप जिप लाइनिंग, एटीवी राइड्स और अन्य एडवेंचर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकते हैं।
FAQ
एकवीरा मंदिर के पीछे क्या कहानी है ?
ऐसा कहा जाता है कि एकवीरा माता ने पांडवो के सामने प्रकट हुई और उन्हे इस मंदिर का निर्माण करने के लीये कहा | देवी ने उन्हें उनकी कार्यशैली की जांच करने के लिए रातोंरात इस मंदिर का निर्माण करने के लिए कहा | पांडव रातोंरात इस मंदिर को बनाने में सफल रहे |
क्या एकवीरा और येल्लम्मा एक ही हैं ?
एकवीरा देवी या रेणुका येल्लम्मा काकतीय शासन में लोकप्रिय देवी थी | यह मंदिर, जो खंडहर में है, लगभग 900 साल पुराना है | ऐतिहासिक संस्करणों के अनुसार, महारानी रुद्रमा देवी देवता की पूजा करने के लिए मंदिर में आती थी |
तारापीठ मंदिर का रहस्य क्या है ?
किंवदंती के अनुसार, पाल राजवंश ने आठवीं शताब्दी में तारापीठ मंदिर का निर्माण ठीक उसी स्थान पर करवाया था, जहाँ भगवान शिव देवी सती के जले हुए शरीर को लेकर आए थे | यह पार्वती का एक रूप है, जो अपने आत्मदाह के बाद प्रकट हुई थी | उन्होंने उन्हें शांत करने के लिए उनकी तीसरी आँख पर प्रहार किया था |
कारला मंदिर में कितनी सीढ़ियाँ हैं ?
कारला गुफाओं तक पहुँचने के लिए पहाड़ी के तल से लगभग 350 सीढ़ियाँ चढ़ना होता है |
एकवीरा मंदिर का समय क्या है ?
मंदिर दर्शन का समय सुबह 5.00 बजे से शाम 9.00 बजे तक का है |