Karla Ekvira Devi Temple | पांडवों से जुड़ा है इस मंदिर का इतिहास

Karla Ekvira Devi Temple भारत के महाराष्ट्र राज्य मे लोनावला के पास कारला गुफाओं मे स्थित है | यह एकवीरा देवी मंदिर हिंदू भक्तो के लीये महत्वपूर्ण स्थान है | यह देवी कोली लोगों की कुलदेवी है | हर साल लोग कारला गुफाओं में देवी को सम्मान देकर त्योहार मनाते है |एकवीरा देवी को परशुराम की माता माना जाता है |

एकवीरा देवी मंदिर

Karla Ekvira Devi Temple मे देवी की पुजा गुफाओं के ठीक बगल में की जाती है | यह गुफा पहले बौद्ध धर्म का केंद्र थी | इस मंदिर मे आगरी और कोली लोगों के लिए पूजा का एक प्रमुख स्थान है | पहले मंदिर के परिसर मे पश्चिम की ओर मुख करके एक पंक्ति में बनाए गए तीन समान मंदिर थे | लेकिन अभि केंद्रीय और दक्षिणी मंदिर पूरी तरह से संरक्षित है | बाकी संरचनाएँ केवल योजना पर संरक्षित है |

Karla Ekvira Devi Temple

मंदिर के सामने महा-मंडप, वर्षा-मंडप और गोपुर यह तीन मंदिर स्थित है | यह तीनों मंदिर अन्य देवताओं के सोलह मंदिरों से घिरे हुए है | इस मंदिर मे भक्त नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के समय पूजा और उत्सव मनाने के लिए मंदिर मे बडी संख्या मे आते है | यहा के लोगो का ऐसा मानना है, की देवी के पास जादुई शक्तियाँ है |

यह मंदिर पहाडी पर स्थित है | इसलीये मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 500 सीढ़ियाँ चढ़नी होती है | यह मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है | इस मंदिर की मुख्य देवता एकवीरा है, उनके साथ जोगेश्वरी देवी की मूर्ति देखने को मिलती है | देवी को रेणुका देवी का एक रूप माना जाता है |

Karla Ekvira Devi Temple

एकवीरा देवी मंदिर का इतिहास

इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी | एक दिन देवी एकवीरा माता पांडवों के सामने प्रकट हुईं थी, तब से इसे एक पवित्र स्थान है | स्थानीय लोगों का मानना ​​है, कि जब वे प्रकट हुईं तो उन्होंने उन्हें वहाँ एक मंदिर बनाने का निर्देश दिया था | लेकिन वे पांडवों की कार्यशैली का परीक्षण करना चाहती थीं और उन्होंने एक शर्त रखी कि इसे रातों-रात बनाया जाना चाहिए | पांडवों ने कुछ ही समय में मंदिर बना दिया था | वह देवी को प्रभावित करने में सफल रहे | एकवीरा देवी ने उन्हे वरदान दिया, गुफाएँ उनका गुप्त निर्वासन हो सकती हैं और कोई भी उन्हें इस स्थान पर नहीं खोज सकता |

Karla Ekvira Devi Temple

मंदिर की विशेषता

आप इस मंदिर मे बौद्ध संस्कृति को जान सकते है | यह स्थान महान सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता है | इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था और यह मंदिर सबसे शांत मंदिरों में से एक है | आध्यात्मिकता और शानदार नज़ारों का मिश्रण देखने के लीये यह आपके लीये सही जगह है |

एकवीरा देवी मंदिर तक कैसे पहुँचें ?

सडक मार्ग से : यह मंदिर सड़कों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है | स्थानीय और निजी वाहन से मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते है |

हवाई मार्ग से : इस मंदिर से सबसे नजदिक का हवाई अड्डा पुणे हवाई अड्डा है | जो मंदिर से 62 किमी की दूरी पर है और मंदिर तक पहुँचने के लिए कोई बस या निजी टैक्सी किराए पर ले सकते है |

ट्रेन से : मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन लोनावला है | जो 42 किमी दूर है, जहाँ से आप स्थानीय राज्य परिवहन बस या स्थानीय टैक्सी ले सकते है |

मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय

मंदिर के लिए आप साल के कोनसे भी दिन जा सकते है, क्योंकि यहा का तापमान हर समय काफी आरामदायक रहता है | मान्सून मे जुलाई से सितंबर तक पूरे घाट पर बारिश होती है और परिदृश्य और भी शानदार हो जाते है |
30 डिग्री सेल्सियस से लेकर 10 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए एकदम सही रहता है |

मंदिर का समय

देवी के दर्शन के लीये सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक का समय होता है |

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एकवीरा देवी मंदिर के पास के आकर्षण

लोहागढ़ किला
सेलिब्रिटी वैक्स म्यूज़ियम
निर्वाण एडवेंचर्स
विसापुर किला
भजा गुफाएँ

FAQ

एकवीरा मंदिर के पीछे क्या कहानी है ?
ऐसा कहा जाता है कि एकवीरा माता ने पांडवो के सामने प्रकट हुई और उन्हे इस मंदिर का निर्माण करने के लीये कहा | देवी ने उन्हें उनकी कार्यशैली की जांच करने के लिए रातोंरात इस मंदिर का निर्माण करने के लिए कहा | पांडव रातोंरात इस मंदिर को बनाने में सफल रहे |

क्या एकवीरा और येल्लम्मा एक ही हैं ?
एकवीरा देवी या रेणुका येल्लम्मा काकतीय शासन में लोकप्रिय देवी थी | यह मंदिर, जो खंडहर में है, लगभग 900 साल पुराना है | ऐतिहासिक संस्करणों के अनुसार, महारानी रुद्रमा देवी देवता की पूजा करने के लिए मंदिर में आती थी |

तारापीठ मंदिर का रहस्य क्या है ?
किंवदंती के अनुसार, पाल राजवंश ने आठवीं शताब्दी में तारापीठ मंदिर का निर्माण ठीक उसी स्थान पर करवाया था, जहाँ भगवान शिव देवी सती के जले हुए शरीर को लेकर आए थे | यह पार्वती का एक रूप है, जो अपने आत्मदाह के बाद प्रकट हुई थी | उन्होंने उन्हें शांत करने के लिए उनकी तीसरी आँख पर प्रहार किया था |

कारला मंदिर में कितनी सीढ़ियाँ हैं ?
कारला गुफाओं तक पहुँचने के लिए पहाड़ी के तल से लगभग 350 सीढ़ियाँ चढ़ना होता है |

एकवीरा मंदिर का समय क्या है ?
मंदिर दर्शन का समय सुबह 5.00 बजे से शाम 9.00 बजे तक का है |