Revdanda Fort रेवदंडा एक छोटा सा गांव है, जो अलिबाग से लगभग 17 किलोमीटर और मुंबई से 125 किलोमीटर दूर है। यह अपनी शांति, खूबसूरत समुंदर के किनारे और ऐतिहासिक पोर्तुगाली किले इस लिए प्रसिद्ध है। इसका इतिहास बहुत पुराना और दिलचस्प है, और यह जगह प्राचीन काल से जुड़ी हुई है, खासकर भगवान कृष्ण के समय से।
Revdanda का ऐतिहासिक महत्व
रेवदंडा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यह वही रेवती क्षेत्र था, जहां भगवान कृष्ण के भाई बलराम की पत्नी रेवती का निवास था। एक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण ने अपनी शादी के समय रेवती को यह क्षेत्र उपहार स्वरूप दिया था। वहीं दूसरी कहानी के अनुसार, राजा हंसध्वज ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को यहीं रोका था और यहां अर्जुन के साथ उनकी एक भयंकर लड़ाई भी हुई थी।
इसके बाद रेवदंडा एक महत्वपूर्ण बंदरगाह बन गया था। 6वीं शताब्दी के दौरान यह एक प्रसिद्ध व्यापारिक स्थल था। इसके बाद, 10वीं शताब्दी में निज़ामशाही साम्राज्य के शासन के दौरान यह जगह और भी महत्वपूर्ण हो गई। 16वीं सदी में पुर्तगालियों ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और Revdanda Fort का निर्माण 1558 में किया गया।
Revdanda Fort का निर्माण और महत्व
Revdanda Fort का निर्माण पुर्तगाली शासक कैप्टन सूच ने किया था। यह किला पो र्तगालियों के शासनकाल का एक बड़ा प्रमाण है | यह आज भी उस समय के इतिहास की गवाही देता है। इस किले पर कई शक्तिशाली शासकों ने आक्रमण किया, लेकिन कोई भी उनकी पकड़ से इसे नहीं ले सका। ब्रिटिशों ने इसे 1636 से 1683 तक कई बार किले को घेरने की कोशिश की, और मराठों ने भी 1736 में इस पर अपना कब्जा करने का प्रयास किया, लेकिन वे भी सफल नहीं हो पाए थे। 1740 में पुर्तगालियों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद रेवदंडा और किला मराठा साम्राज्य के हाथ आया था |
1818 में पोर्तुगालियों के साथ समझौता हुआ और किला ब्रिटिश राज के पास गया, जिससे पुर्तगाली शासन का अंत हो गया। किले में मौजूद कुछ पुराने शिलालेखों के अनुसार, संत फ्रांसिस जेवियर ने भारत में आकर यहाँ अपना पहला उपदेश दिया था। इसके अलावा, अपना सी निकितिन, जो भारत आने वाले पहले रूसी यात्री माने जाते हैं, ने भी यहाँ यात्रा की थी।
किले की वर्तमान स्थिति
आज यह एक खंडहर के रूप में अस्तित्व में है। किले का पश्चिमी हिस्सा जो अरब सागर की दिशा में है, समय के साथ बेहद खराब हो चुका है। समुद्री लहरों की वजह से यह दीवार पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। उच्च ज्वार के समय पानी किले के मुख्य परिसर में प्रवेश कर जाता है। किले में दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं, एक उत्तर से और दूसरा दक्षिण से। उत्तर वाला द्वार भूमि से जुड़ा हुआ था, जबकि दक्षिण वाला द्वार समुद्र मार्ग के लिए था।
पोर्तुगालियों ने यहाँ एक डॉक्स बनाया था जो समय के साथ लुप्त हो गया है। दोनों द्वारों के बीच एक लंबी पत्थर की सड़क है, जो किले के अंदर जाती है। किले के पश्चिमी हिस्से में कुछ किले के पुराने अवशेष देखे जा सकते हैं। बाकी हिस्सा अब एक गांव बन चुका है।
Revdanda Fort की संरचनाएँ
किले के अंदर एक तीन मंजिला इमारत भी खड़ी हुई है, जिसका इतिहास अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है। किले में भूमिगत सुरंगों का एक नेटवर्क भी है, जो पोर्तुगालियों द्वारा बनाई गई थी। इन सुरंगों को मोर्टार और पत्थरों से बनाया गया है और इनकी दीवारों पर आर्च का डिज़ाइन देखने को मिलता है। इन सुरंगों को कैसे बिना आधुनिक उपकरणों के बनाया गया, यह आज भी एक रहस्य है।
हर सुरंग की ऊंचाई और चौड़ाई तीन मीटर है और इनमें छोटे-छोटे खिड़कियां भी हैं, जो ताजे हवा और रोशनी के लिए बनाई गई थीं। इन सुरंगों का उपयोग युद्ध के समय या किसी आपात स्थिति में लोगों की सुरक्षा के लिए किया जाता था। 1982 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इन सुरंगों का पता चला और अब इन्हें पर्यटकों से बचाने के लिए बंद कर दिया गया है।
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Revdanda Village
यह किला अब एक गांव में तब्दील हो चुका है। यहां के पुराने घरों और खेतों के अवशेष किले के अंदर ही पाए जाते हैं। किले की दीवारें बहुत मजबूत और ऊँची हैं, और ये दीवारें उस समय के गुर्जरों द्वारा छिपने के लिए इस्तेमाल की जाती थीं। किले में कुछ पुराने तोपों के भी अवशेष हैं, जो अब घास-फूस से ढके हुए हैं।
Revdanda Fort का पर्यटन स्थल के रूप में महत्व
रेवदंडा किले की यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव है। यहाँ की ठंडी समुद्री हवा और लहरों की आवाज़ इस किले के दौरे को खास बना देती है। अगर आप अलिबाग और इसके आस-पास के इलाकों में यात्रा कर रहे हैं, तो जरूर देखने जाना चाहिए।
इस किले में किए गए शोध और पुरातात्त्विक खुदाई से पता चला है कि यह किला एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो पुर्तगाली काल और भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
निष्कर्ष
Revdanda Fort एक ऐतिहासिक स्थल है जो न सिर्फ भारत के समृद्ध इतिहास को दिखाता है बल्कि एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में भी उभरकर सामने आया है। यहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण, किले की संरचनाएँ और समुद्र का दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
इस किले में किए गए शोध और पुरातात्त्विक खुदाई से पता चला है कि यह किला एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो पुर्तगाली काल और भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है।