kenjalgad fort महादेव पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। यह वायु और रायरेश्वर के बीच 4200 फीट की ऊँचाई पर बसा है। किले की स्ट्रैटेजिक लोकेशन इसे बहुत आकर्षक बनाती है। चारों ओर फैली हरियाली और ऊँचे-नीचे पहाड़ों का दृश्य इसे खास बनाता है। यहाँ से तोरणा, राजगढ़, रायगढ़, पुरंदर, पांडवगढ़, और प्रतापगढ़ जैसे कई किले देखे जा सकते हैं।
इस किले का एक और नाम “केलांजा” भी है। इसके अलावा, यहाँ की संकरी और घुमावदार चढ़ाई दुश्मन के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती थी।
किले की संरचना
kenjalgad fort केंजलगढ़ में रॉक-कट सीढ़ियाँ हैं, जो बहुत ही प्राचीन और मजबूत हैं। किले के अंदर एक गुफा है, जिसका उपयोग धूप, बारिश और हवा से बचने के लिए किया जाता था। यह गुफा बारूद और अन्य हथियारों को स्टोर करने का स्थान भी थी।
किले के एक तरफ खाई और दूसरी तरफ पहाड़ी है। यह संरचना दुश्मनों को रोकने के लिए बहुत ही उपयुक्त थी। दुश्मनों को चढ़ाई के दौरान थका देना, यह इस किले की सबसे बड़ी ताकत थी।
छत्रपति शिवाजी महाराज और केंजलगढ़
kenjalgad fort छत्रपति शिवाजी महाराज की रणनीति और साहसिक कार्यों का गवाह यह किला है। 1674 में शिवाजी महाराज ने अपनी सेना के साथ किनजलगढ़ पर चढ़ाई की। उनकी यह योजना अचानक और गुप्त थी। उनकी सेना ने किले को चारों तरफ से घेर लिया और इस किले को जीत लिया।
महाराज ने इस किले को “मनमोहंगढ़” नाम दिया, जो इस किले की प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।
केंजलगढ़ का महत्व
kenjalgad fort किनजलगढ़ केवल एक किला नहीं था, यह एक स्ट्रैटेजिक लोकेशन थी। यह किला आसपास के क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अहम था। यहाँ से आसपास के कई महत्वपूर्ण किलों और क्षेत्रों पर नजर रखी जा सकती थी।
यहाँ के पहाड़, हरियाली और शांत वातावरण इसे पर्यटन के लिए भी उपयुक्त बनाते हैं। यहाँ पहुँचकर इतिहास के पन्नों को जीवंत महसूस किया जा सकता है।
केंजलगढ़ कैसे पहुँचें ?
केंजलगढ़ पहुँचने के लिए आप पुणे या सातारा से यात्रा शुरू कर सकते हैं। सबसे नजदीकी स्टेशन सातारा है, जो लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है।
सड़क मार्ग से यहाँ पहुँचना भी काफी आसान है। यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको घुमावदार रास्तों और चढ़ाई का सामना करना पड़ता है। ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
केंजलगढ़ घूमने का सबसे अच्छा समय मॉनसून या सर्दियों में होता है। इस दौरान हरियाली अपनी चरम सीमा पर होती है और मौसम ठंडा होता है। बारिश के मौसम में यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और भी निखर जाती है।
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किले की अन्य खास बातें
दूरबीन व्यू: यहाँ से आप तोरणा, प्रतापगढ़, महाबलेश्वर, और अन्य किलों का शानदार व्यू देख सकते हैं।
गुफाएँ: किले की गुफाएँ अपने आप में अनोखी हैं। इनका उपयोग सैनिकों द्वारा सुरक्षा और गोला-बारूद रखने के लिए किया जाता था।
प्राकृतिक सुंदरता: किले के आसपास फैली हरियाली और पहाड़ इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष
kenjalgad fort केंजलगढ़ न केवल छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता का प्रतीक है, बल्कि यह किला महाराष्ट्र के गौरवशाली इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व इसे खास बनाते हैं। यदि आप इतिहास और प्रकृति प्रेमी हैं, तो किनजलगढ़ की यात्रा जरूर करें।
FAQ
1) केंजलगढ़ किले का इतिहास क्या है ?
इस किले का निर्माण पन्हाला के भोज द्वितीय ने करवाया था जो 12वीं शताब्दी में फला-फूला। इस किले को 1648 में बीजापुर के आदिलशाह ने जीत लिया था।
2)क्या केंजलगढ़ ट्रेक मुश्किल है ?
यह मध्यम चुनौतीपूर्ण मार्ग है, इसे पूरा करने में औसतन 1 घंटा 19 मिनट लगते हैं। यह पक्षी देखने, लंबी पैदल यात्रा और पैदल चलने के लिए एक लोकप्रिय है |