Harihar fort “जब ब्रिटिशों ने इस किले के दरवाजे को नष्ट करने का आदेश दिया था, लेकिन किले की संरचना और इसके पत्थरों में खुदी सीढ़ियों को देखकर वे अपने फैसले से पीछे हट गए।” आज हम आपको बताएंगे कि क्यों ब्रिटिशों ने अपना फैसला बदल दिया था। हरीहर किला न केवल एक ऐतिहासिक किला है, बल्कि इसकी कठिन ट्रैकिंग और किले की अनोखी बनावट के कारण भी यह खासा चर्चित है।

हरीहर गढ
Harihar fort महाराष्ट्र के नाशिक जिले के त्रिंबकेश्वर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के अंदर आता है और यह अपनी खड़ी चढ़ाई और विशेष सीढ़ियों के लिए प्रसिद्ध है। इस किले को “हर्षगढ” भी कहा जाता है क्योंकि इसके नीचे हर्षवाड़ी नामक एक गांव स्थित है। हरीहर किला एक त्रिकोणीय आकार के चट्टान पर बना हुआ है, जो इसे अन्य किलों से अलग और अद्वितीय बनाता है।
Harihar Fort History
Harihar fort हरीहर किला मराठा साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण किला था। यह किला गोंडा घाट के व्यापार मार्ग पर स्थित था और इसे व्यापार पर नजर रखने के लिए बनाया गया था। इस किले की एक खासियत उसकी सीढ़ियां हैं, जो पूरी तरह से चट्टानों में खुदी हुई हैं। इन सीढ़ियों का निर्माण सतवां राजवट से हुआ था, और किले की बनावट इस बात का प्रमाण है कि उस समय के शिल्पकारों ने कितनी अद्भुत कारीगरी की थी।
किले का इतिहास बहुत पुराना है। यह किला पहले निजाम शाह के अधीन था, लेकिन 1636 में शाहजी राजे ने इसे जीत लिया। बाद में यह किला मुगलों के पास चला गया। 1670 में, मराठा वीर मोरोपंत पिंगले ने इसे एक स्वतंत्र किला बना लिया, और फिर 1818 में ब्रिटिशों ने इसे मराठों से छीन लिया।
Harihar Fort Trek
Harihar fort अपनी कठिन ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध है। किले की ऊंचाई 200 फीट है, और यहां तक पहुंचने के लिए आपको सबसे खड़ी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इन सीढ़ियों की शुरुआत तो सामान्य सी होती है, लेकिन जैसे-जैसे आप ऊपर चढ़ते हैं, सीढ़ियां 80 डिग्री के कोण पर चढ़ने लगती हैं। यहां आपको भगवान गणेश की मूर्ति भी देखने को मिलती है, जो किले के पहले दरवाजे पर स्थित है। किले के अंदर जाने के लिए आपको 130 सीढ़ियों का सामना करना पड़ता है।
यह ट्रैकिंग बहुत ही रोमांचक और चुनौतीपूर्ण है। इस मार्ग की सीढ़ियां इतनी खड़ी हैं कि यदि आप जरा सा भी ध्यान भटका लें, तो सीधे किले के निचले हिस्से में गिर सकते हैं। इस किले में चढ़ने के लिए आपको काफी सतर्क और सावधान रहना पड़ता है। चढ़ाई के दौरान, किले के पत्थरों को देखना बहुत ही दिलचस्प होता है।

किले की संरचना
हरीहर किले की संरचना को देखकर ब्रिटिश अधिकारी ब्रिग्स भी हैरान रह गए थे। 1818 में, ब्रिटिशों ने आदेश दिया था कि इस किले को और इसके दरवाजों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाए। लेकिन जब ब्रिग्स ने किले की सीढ़ियों को देखा, जो कि 80 डिग्री के कोण पर थीं और चट्टानों में खुदी हुई थीं, तो उन्होंने अपना आदेश वापस ले लिया।
ब्रिग्स ने कहा था, “यह किले की सीढ़ियां इतनी अद्भुत और कठिन हैं कि इनका विस्तार शब्दों से नहीं किया जा सकता। यह किले के निर्माण की कारीगरी का बेहतरीन उदाहरण है।”
हरीहर गढ कैसे पहुंचे
हरीहर किला पहुंचने के लिए दो प्रमुख मार्ग हैं। दोनों मार्ग बाद में एक दूसरे से मिल जाते हैं:
- निर्गुरपाड़ा मार्ग – यह मार्ग त्रिंबकेश्वर-खोडला सड़क पर स्थित निर्गुरपाड़ा गांव से शुरू होता है। यह गांव त्रिंबकेश्वर से 20 किलोमीटर दूर है और हरीहर किला और भास्करगड के बीच स्थित है।
- हर्षवाड़ी मार्ग – यह मार्ग हर्षवाड़ी गांव से शुरू होता है, जो त्रिंबकेश्वर से 5 किलोमीटर दूर है। यदि आप पहली बार हरीहर किला जा रहे हैं, तो यह मार्ग सबसे आसान है।
भौगोलिक विस्तार
हरीहर किला चार किलों और एक जलाशय से घिरा हुआ है। इसके आसपास के क्षेत्रों में हरियाली और सुंदर दृश्य हैं। किले के पूर्व में त्रिंबकगढ़, उत्तर में वाघेरा, दक्षिण में वैतरणा बांध और पास में एक और बांध है। इस किले के ऊपर एक महादेव मंदिर भी है, और यहां से पूरे क्षेत्र का दृश्य बहुत ही शानदार नजर आता है।
Harihar fort की ट्रेकिंग के लिए अच्छा समय
हरीहर किला ट्रैकिंग के लिए सबसे अच्छा समय मानसून का होता है। जून से सितंबर के बीच यहां ट्रैकिंग करना सबसे उपयुक्त रहता है। इस दौरान, रास्ते में झरने दिखते हैं, और अगर बारिश हो रही हो, तो ट्रैकिंग बहुत ही रोमांचक और चुनौतीपूर्ण बन जाती है।
बॅग पॅकिंग
ट्रैकिंग के लिए पैकिंग लिस्ट
- रेनकोट
- ट्रैकिंग शूज
- कैमरा
- ड्रोन
- हल्के कपड़े
- नाश्ता
- पानी
- प्राथमिक चिकित्सा किट
ट्रैकिंग के दौरान सुरक्षा
हरीहर किला ट्रैकिंग बहुत ही कठिन और खतरनाक हो सकती है, इसलिए ध्यान रखना बेहद जरूरी है। रास्ते में आपको कई तरह के जानवर मिल सकते हैं। रास्ते में बंदर होते हैं जो आपके सामान जैसे कि कैमरा, बैग और खाने की चीजों को उठा सकते हैं। इसलिए उनके पास से हमेशा सावधानी से गुजरें।
किले पर चढ़ते समय, कभी-कभी रास्ते में सांप या छोटे कीड़े भी मिल सकते हैं, जिनसे आपको सावधान रहना चाहिए। चढ़ाई करते वक्त बार-बार नीचे नहीं देखना चाहिए क्योंकि इससे चक्कर आ सकते हैं। अगर आपको किसी प्रकार की बीमारी जैसे कि अस्थमा, बीपी या शुगर है, तो ट्रैकिंग से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
निष्कर्ष
Harihar fort इस पोस्ट में, हमने आपको हरीहर किले का इतिहास, ट्रैकिंग मार्ग, भौगोलिक विस्तार और ट्रैकिंग के लिए जरूरी जानकारी दी है। हरीहर किला न केवल अपनी अद्भुत संरचना के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह मराठा साम्राज्य की वीरता और समृद्ध इतिहास का प्रतीक भी है। अगर आप ट्रैकिंग के शौक़ीन हैं और ऐतिहासिक स्थलों की खोज में हैं, तो हरीहर किला एक बेहतरीन जगह है।
FAQ
- क्या हरीहर किला सुरक्षित है?
हां, हरीहर किला सुरक्षित है, लेकिन चढ़ाई के दौरान बहुत भीड़ होती है, जिससे सावधानी बरतनी जरूरी है। - क्या हरीहर किला ट्रैकिंग कठिन है?
हां, हरीहर किला ट्रैकिंग का कठिनाई स्तर मध्यम है, और यह महाराष्ट्र के सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रैक में से एक है। - क्या बच्चे हरीहर किला चढ़ सकते हैं?
हां, इस ट्रैकिंग के लिए बच्चों की न्यूनतम आयु 9 वर्ष होनी चाहिए।
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