12 shiv temples in India | भारत के 12 शिव मंदिर की आध्यात्मिक यात्रा
12 shiv temples in India : भारत में 12 प्रमुख शिव मंदिरों की यात्रा करें और जानिये इनके धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में | इस लेख में हम आपको भारत के 12 शिव मंदिरों की विशेषताएं, इतिहास और आस्था के बारे मे जाणकारी देने वाले है |
टेबल ऑफ कंटेंट प्रस्तावना काशी विश्वनाथ मंदिर सोमनाथ मंदिर महाकालेश्वर मंदिर केदारनाथ मंदिर रामेश्वरम मंदिर भीमाशंकर मंदिर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर त्र्यंबकेश्वर मंदिर घृष्णेश्वर मंदिर मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर निष्कर्ष FAQ |
प्रस्तावना
12 Shiv temples in India भगवान शिवजी के बारा मंदिरो के बारे मे सविस्तर जाणकारी है |भारत के 12 शिव मंदिरों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक यात्रा है, बल्कि यह हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व को भी प्रकट करती है | इन मंदिरों में स्थापित शिवलिंगों के दर्शन से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि मिलती होती है। हर मंदिर की अपनी अलग कहानी और महत्व है, जो भक्तों को आस्था और भक्ति के साथ जोड़ता है |
काशी विश्वनाथ मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
काशी विश्वनाथ मंदिर जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव को समर्पित काशी मे एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भारत के उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी के नाम से भी जाना जाता है) में स्थित है। इस लोकप्रिय मंदिर के बारे में कुछ रोचक जाणकरी को इस लेख मे बताया गया है |( 12 Shiv temples in India )
मंदिर का इतिहास
मूल मंदिर का निर्माण 1490 में राजा टोडरमल द्वारा किया गया था, इसके बाद मराठा राजाओं, अंग्रेजों और अन्य शासकों द्वारा पुनर्निर्माण और मरम्मत की गाई है |
इस मंदिर की वास्तुकला 1776 में अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनाई गई है | वर्तमान संरचना में 15.5 मीटर लंबा सुनहरा शिखर और 3.5 मीटर लंबा चांदी का मंच है।
महत्व: काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिवजी केबारह ज्योतिर्लिंगों ( शिव के तीर्थ ) में से एक है और इसे भारत में सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है और यह बहुत लोकप्रिय भी है |
स्थान: काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के मध्य क्षेत्र में मणिकर्णिका घाट के पास, गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है |यह संबसे आस्थादायी महत्वपूर्ण मंदिर है |
गंगा आरती: गंगा के तट पर भगवान शिवजी की शाम के समय होने वाली महाआरती इस मंदिर का लोकप्रिय आकर्षण है।
सुरक्षा: मंदिर मे कड़ी सुरक्षा मे है, जिसमें सख्त प्रवेश प्रतिबंध और मेटल डिटेक्टर हैं | पुरा मंदिर सुरक्षा की दायरे मे होता है |
साल 2020 में उद्घाटन की गई काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना का मुख्य उद्देश्य मंदिर परिसर को बढ़ाना और भक्तों के लिए सुविधाओं में सुधार करना है |जो वाकाई मे अच्छा निर्णय है | मंदिर की बढती लोकप्रियता को देखते भक्तो की सुरक्षा और सुविधा मे सुधार आवश्यक है |
मंदिर दर्शन (पूजा) और आरती के लिए विशिष्ट समय के साथ सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है |आप भी इस मंदिर मे भगवान शिवजी के दर्शन के लीये आते है तो ईसी समय मे आइये |
काशी विश्वनाथ मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ भी कम रहती है |
सोमनाथ मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
सोमनाथ मंदिर, जिसे सोमनाथ महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव को समर्पित एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर, जो गूजरात के प्रभास पाटन, वेरावल में स्थित है | इस प्रतिष्ठित और लोकप्रिय मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं |
इतिहास: मूल मंदिर पहली शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, जिसके बाद चालुक्य वंश और सोलंकी वंश के साथ अलग अलग शासकों द्वारा पुनर्निर्माण कराया गया |
महत्व: सोमनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों (शिव के तीर्थ) में से एक है और इसे भारत में सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है।
वास्तुकला: 1947 में निर्मित वर्तमान संरचना में 15 मीटर लंबा शिखर (टॉवर) और 3 मीटर लंबा यह भगवान शिवजी का बारा ज्योतिर्लिंग मे से एक है |( 12 Shiv temples in India )
इस मंदिर को छह बार नष्ट किया गया और पुनर्निर्माण किया गया, आखिरी बार 1026 ईस्वी में महमूद गजनवी ने इसे नष्ट किया था |पुरे मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्ति चालुक्य शैली से प्रेरणा लेकर बनाई है | मंदिर का झंडा दिन में तीन बार बदला जाता है, प्रत्येक प्रहर (तीन घंटे की अवधि) के लिए एक अलग रंग का झंडा रहता है |
स्थान: सोमनाथ मंदिर वेरावल के बंदरगाह शहर के पास, अरब गंगा सागर घाट पर स्थित है।
मंदिर मे भगवान शिवजी के दर्शन करने का समय सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है, जिसमें दर्शन (पूजा) और आरती के लिए विशेष समय होता है |
यात्रा का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से फरवरी का समय सबसे अच्छा है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है।
अन्य आकर्षण:
सोमनाथ मंदिर के पास मे ही भालका तीर्थ है , जहां के बारे में ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को तीर लगा था |
मंदिर के आसपास खूबसूरत जगह है ,इसमे संग्रहालय भी है प्रभास पाटन संग्रहालय, जिसमें प्राचीन कलाकृतियाँ और मूर्तियाँ है जो खूबसूरत और सुबक कलाकारी का सबुत है |
महाकालेश्वर मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
महाकालेश्वर मंदिर, जिसे महाकाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मध्य प्रदेश क्षेत्र के उज्जैन में या महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रतिष्ठित और लोकप्रिय हिंदू मंदिर है | इस मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य और कहाणी है |
इतिहास: मूल मंदिर 6वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, जिसके बाद परमार राजवंश और मराठा राजा, शासकों द्वारा पुनर्निर्माण कराया गया है |
मंदिर का महत्व: महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों (शिव के तीर्थ) में से एक है और इसे भारत का पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है।
वास्तुकला: मंदिर की वास्तूकला खूबसूरत है |19वीं शताब्दी में निर्मित वर्तमान संरचना में 10 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
मंदिर की एक अनूठी विशेषता – लिंगम (शिव की मूर्ति) दक्षिण दिशा की ओर है, जो असामान्य है क्योंकि अधिकांश शिव लिंगम पूर्व दिशा की ओर होते हैं |
मंदिर के बारे मे अधिक जाणकारी
मंदिर को “दक्षिणामूर्ति” के नाम से भी जाना जाता है |
मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ पुरानी नागर शैली से प्रेरित है |
मंदिर की छत 1.5 मीटर ऊंचे चांदी के कलश से सजी है |बहुत ही खूबसूरत मंदिर है |
स्थान: महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के मध्य में शिप्रा नदी के घाट पर स्थित है |
मंदिर मे दर्शन करने का समय दर्शन ( पूजा ) और आरती के लिए विशिष्ट समय के साथ सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है |इस समय शिवभक्त भगवान शिवजी का दर्शन कर सकते है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है।
अन्य आकर्षण:
महाकालेश्वर मंदिर के पास का राम घाट,देखने के लीये अवश्य जान चंहिये | जहां हर 12 साल में कुंभ मेला (एक विशाल हिंदू तीर्थयात्रा) लगता है |यह बहुत ही विशाल मेला होता है | इस कुंभ के मेले मे घोर तपस्वी हीमालय से महाकलेश्वर मंदिर उज्जैन आते है | इन्हे अघोरी भी कहा जाता है | यह भगवान शिवजी के बहुत बडे भक्त होते है|
भगवान शिवजी को प्रसन्न करणे के लीये यह साधू हीमालय पर्वत जाकर आराधना और ऊनके नाम का जप करते है| इसलीये उन्हे घोर तपस्वी या अघोरी नाम से पहचना जाता है |
उज्जैन सिंहस्थ, एक महीने का बडा समय तक चलने वाला त्योहार है |यह सिंहस्थ पर्व सीर्फ 12 साल में एक बार आत्ता है और मनाया जाता है |( 12 Shiv temples in India )
केदारनाथ मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
केदारनाथ मंदिर, भारत के उत्तराखंड के केदारनाथ में स्थित भगवान शिव को समर्पित यह एक हिंदू मंदिर है | इस प्रतिष्ठित मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं |
केदारनाथ मंदिर का इतिहास : मूल मंदिर 1,000 साल पहले पांडवों (हिंदू महाकाव्य महाभारत से) द्वारा बनाया गया था, बाद में गुप्त वंश और गोरखा साम्राज्य और अन्य शासकों द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया |
महत्व: केदारनाथ मंदिर भगवान शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों ( शिव के तीर्थ ) में से एक है और इसे भारत में सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है।
वास्तुकला: 19वीं शताब्दी में निर्मित वर्तमान संरचना में 10 मीटर लंबा शिखर ) और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |वास्तूकला ही मंदिर को और खूबसूरत बनाती है |
अनूठी विशेषता: मंदिर बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरे पठार पर बना है, और लिंगम (शिव की मूर्ति) पिरामिड के आकार की चट्टान के रूप में है | इसलीये यह पर काफी थंड रहती है |पहाड पर जाने मे बहुत ही कठिनाई आती है | उपर जाने के लीये खेचर नाम के प्राणी का उपयोग किया जाता है |
अधिक जाणकारी
मंदिर को “केदार” (जिसका अर्थ है “क्षेत्र” या “मैदान”) भी कहा जाता है।
मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ पुरानी नागर शैली से प्रेरित होकर किया गया है |
मंदिर समुद्र तल से 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
स्थान: केदारनाथ मंदिर गढ़वाल हिमालय में मंदाकिनी नदी के पास स्थित है।
समय: केदारनाथ मंदिर मे दर्शन (पूजा) और आरती करने का समय सुबह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक का है |
यात्रा का सबसे अच्छा समय: मई से जून और सितंबर से अक्टूबर सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है | इस समय थंड भी कम होती है |
रामेश्वरम मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
रामेश्वरम मंदिर, भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है | यह मंदिर काफी लोकप्रिय है |
इतिहास: यह मूल मंदिर 12 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, जिसके बाद पांड्य राजवंश और विजयनगर साम्राज्य के साथ अन्य शासकों द्वारा इस मंदिर को पुनर्निर्माण करया है |
महत्व: रामेश्वरम मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों (शिव के तीर्थ) में से एक है और इसे भारत में सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है |
वास्तुकला: 16 वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर वर्तमान संरचना में 17 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
अनूठी विशेषता: रामेश्वरम मंदिर की एक अनोखी विशेषता है | रामेश्वरम मंदिर में 1,220 मीटर लंबा गलियारा है, जो भारत में सबसे लंबा है, जिसमें 1,212 खंभे हैं | मंदिर का यह गलियारा सबसे लंबा माना जाता है |
रामेश्वरम मंदिर के बारे मे अन्य जाणकारी
मंदिर को “सेतु माधव” (जिसका अर्थ है “पुल का भगवान”) के नाम से भी जाना जाता है |
मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ द्रविड़ शैली से प्रेरणा लेकर बनाया गया है |
यह मंदिर पम्बन द्वीप पर स्थित है, जो एक पुल द्वारा मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है |
स्थान: मंदिर रामनाथपुरम जिले में, मन्नार की खाड़ी के पास स्थित है।
समय: रामेश्वरम मंदिर दर्शन का समय सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक रहता है, जिसमें दर्शन (पूजा) और आरती के लिए अलग विशेष समय होता है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है।
रामेश्वरम मंदिर के पास अन्य आकर्षण:
मंदिर के पास धनुषकोडी, ऐतिहासिक महत्व वाला एक दर्शनीय, प्रेक्षणीय स्थान है | यहा पर अवश्य भेट करणी चाहिये |
रामेश्वरम समुद्र तट, विश्राम के लिए एक लोकप्रिय स्थान है | विश्राम के लीये सही जगह है |( 12 Shiv temples in India )
भीमाशंकर मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
भीमाशंकर मंदिर, भारत के महाराष्ट्र के भीमाशंकर में भगवान शिव को समर्पित यह हिंदू मंदिर स्थित है |
इतिहास: मूल मंदिर 13वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, बाद में यादव राजवंश और मराठा साम्राज्य के साथ साथ अन्य शासकों द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण और मरम्मत कराई गई |
महत्व: भीमाशंकर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों (शिव के तीर्थ) में से एक है और इसे महाराष्ट्र में सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक है |
वास्तुकला: 18 वीं शताब्दी में निर्माण किए गये इस मंदिर की वर्तमान संरचना में 15 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
अनूठी विशेषता: भीमाशंकर मंदिर घने जंगल से घिरा हुआ है और एक पठार पर बना है, जहां से हम आसपास की पहाड़ियों और घाटियों का अद्भुत खूबसूरत दृश्य देख सकते है |
भीमाशंकर मंदिर के बारे मे अन्य जाणकारी
मंदिर को “भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग” या “भीमाशंकर महादेव” के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ पुरानी ऐतिहासिक नागर शैली से प्रेरित होकर किया गया है |
यह मंदिर समुद्र तल से 1,270 मीटर (4,167 फीट) तक की ऊंचाई पर यह भगवान शिवजी का मंदिर स्थित है |
स्थान: मंदिर पुणे जिले में भीमाशंकर गांव के पास स्थित है।
समय: भीमाशंकर मंदिर दर्शन (पूजा) और आरती के लिए सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है | आप यहा पर बारीश के मौसम मे भी जा सकते है ,अगर आप यह प्रकृती की सुंदरता देखना चाहते हो तो |
भीमाशंकर मंदिर के पास अन्य आकर्षण:
भीमाशंकर मंदिर के नजदीक भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य, विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का घर है | पर्यावरण प्रेमी यह अवश्य भेट दे सकते है |
मंदिर के पास भीमा नदी है , जो मंदिर परिसर से होकर बहती है |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ( 12 Shiv temples in India )
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, भारत के गुजरात के द्वारका में स्थित भगवान शिव को समर्पित हिंदू मंदिर है | इस प्रतिष्ठित मंदिर के बारे में कुछ जाणकरी यह पर बताई है |
इतिहास: यह नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मूल मंदिर 6 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, जिसके बाद गुप्त वंश और चौलुक्य वंश सहित अन्य शासकों द्वारा पुनर्निर्माण कराया गया |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का महत्व: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों (शिव के तीर्थ) में से एक है और इसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है |
मंदिर वास्तुकला: 17 वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर वर्तमान संरचना में 25 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
अनूठी विशेषता: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उस भूमि पर बना है जिसके बारे में माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां पांडवों द्वारा भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की गई थी |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे मे और जाणकारी
इस मंदिर को “नागेश्वर महादेव” या “नागेश्वर ज्योतिर्लिंग” के नाम से भी पहचाना जाता है |
मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ नागर शैली से प्रेरित होकर किया गया है |
यह मंदिर अरब सागर तट के पास स्थित है, जहां से समुद्र का अद्भुत और खूबसूरत नजारा दिखाई देता है |
स्थान: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर देवभूमि द्वारका जिले में द्वारका शहर के पास स्थित है।
समय: मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है, जिसमें दर्शन (पूजा) और आरती के लिए विशेष अलग समय होता है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है।( 12 Shiv temples in India )
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास अन्य आकर्षण:
पास में ही द्वारकाधीश मंदिर है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, और बेट द्वारका द्वीप, ऐतिहासिक महत्व वाला एक दर्शनीय स्थल है, जहा जरूर जाना चाहिये |( 12 Shiv temples in India )
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ( 12 Shiv temples in India )
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, जिसे वैद्यनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के झारखंड के देवघर में स्थित भगवान शिव को समर्पित लोकप्रिय हिंदू मंदिर है |
इतिहास: वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मूल मंदिर कों गुप्त वंश और पाल वंश ने पुनर्निर्माण कराया था |
महत्व: वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों ( शिव के मंदिर ) में से एक है, जो भारत में सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है |
वास्तुकला: 13वीं शताब्दी में निर्मित वर्तमान संरचना में 15 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
अनूठी विशेषता: मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर बना है, जो आसपास खूबसूरत नजारो को हम देख सकते है |
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे मे अधिक जाणकारी
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर को “वैद्यनाथ महादेव” या “बैद्यनाथ धाम” के नाम से जाना जाता है |
मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ नागर शैली से प्रेरित हुआ है |
यह मंदिर मयूराक्षी नदी के तट पर स्थित है |
स्थान: मंदिर देवघर जिले में, देवघर शहर के पास स्थित है | जो द्वारका मे है | समय: वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक दर्शन और आरती के लिए खुला रहता है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है |( 12 Shiv temples in India )
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास अन्य आकर्षण:
मंदिर के पास नंदन पहाड़ पहाड़ी, ऐतिहासिक महत्व वाला एक दर्शनीय स्थान देखने जैसा है | और तपोवन पहाड़ी, भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर वाला एक दर्शनीय स्थान भी है |( 12 Shiv temples in India )
ओंकारेश्वर मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
ओंकारेश्वर मंदिर, भारत के मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में स्थित भगवान शिव को समर्पित लोकप्रिय हिंदू मंदिर है |
इतिहास: ओंकारेश्वर मंदिर मूल मंदिर 10वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, जिसके बाद परमार राजवंश और होल्कर राजवंश सहित अन्य शासकों द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया |
महत्व: ओंकारेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों (शिव के तीर्थ) में से एक है और इसे भारत मे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है |
वास्तुकला: ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तूकला 19वीं शताब्दी में निर्मित ही और इसकी वर्तमान संरचना में 15 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
अनोखी विशेषता: यह मंदिर नर्मदा नदी के एक द्वीप पर स्थित है, जिसका आकार हिंदू प्रतीक “ओम” (ॐ) जैसा है | इसलीये इस मंदिर को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है |( 12 Shiv temples in India )
ओंकारेश्वर मंदिर के बारे मे और जाणकारी
मंदिर को “ओंकारेश्वर महादेव” या “श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग” के नाम से जाना जाता है |
मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ नागर शैली से प्रेरित है।
मंदिर तीन तरफ से नर्मदा नदी बहती है |
स्थान: मंदिर खंडवा जिले में ओंकारेश्वर शहर के पास स्थित है |
समय: मंदिर मे दर्शन और आरती का समय सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक का रहता है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि इस समय मे मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है |
ओंकारेश्वर मंदिर के पास और आकर्षण
ओंकारेश्वर मंदिर के पास में ही ममलेश्वर मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है | नर्मदा नदी, हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाती है आप इस नदी के दर्शन कर सकते है | नर्मदा नदी का हिंदू धर्म मे लोकप्रिय और पवित्र बंधन है |
त्र्यंबकेश्वर मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
त्र्यंबकेश्वर मंदिर( 12 Shiv temples in India ), भारत के महाराष्ट्र राज्य मे नाशिक जिले मे त्र्यंबकेश्वर में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक लोकप्रिय हिंदू मंदिर है |
इतिहास: त्र्यंबकेश्वर का मूल मंदिर 13वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, बाद में यादव राजवंश और मराठा साम्राज्य ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया |
महत्व: त्र्यंबकेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों ( शिव के तीर्थ ) में से एक है और इसे भारत और महाराष्ट्र में सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है |
वास्तुकला: त्र्यंबकेश्वर मंदिर की वास्तूकला 18वीं शताब्दी में निर्मित है | वर्तमान संरचना में 18 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
अनूठी विशेषता: त्र्यंबकेश्वर मंदिर ब्रह्मगिरि पर्वत की तलहटी में स्थित है, जो गोदावरी नदी का मुख्य स्रोत है |
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के बारे मे अधिक जाणकारी
मंदिर को “त्र्यंबकेश्वर महादेव” या “श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग” के नाम से पाहचाना जाता है | मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ नागर शैली से प्रेरित है | मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर हैं, जिनमें भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और भगवान गणेशजी को समर्पित मंदिर भी शामिल हैं |
स्थान: त्र्यंबकेश्वर मंदिर नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर शहर के पास स्थित है |
समय: मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है, जिसमें दर्शन (पूजा) और आरती के लिए विशेष अलग समय रहता है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है |( 12 Shiv temples in India )
त्र्यंबकेश्वर मंदिरके पास अन्य आकर्षण:
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के नजदिक ही ब्रह्मगिरि पहाड़ियाँ, ऐतिहासिक महत्व वाला एक दर्शनीय स्थान और प्रेक्षणीय स्थान है |गोदावरी नदी, हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाती है | यह महत्वपूर्ण और पवित्र नदी मे शामील है |
घृष्णेश्वर मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
घृष्णेश्वर मंदिर, भारत के महाराष्ट्र के वेरुल में स्थित भगवान शिव को समर्पित हिंदू मंदिर है | इस प्रतिष्ठित मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं |
इतिहास: घृष्णेश्वर का मूल मंदिर 13वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, बाद में यादव राजवंश और मराठा साम्राज्य सहित विभिन्न शासकों द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण और मरम्मत की गई |
महत्व: घृष्णेश्वर मंदिर भगवान शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों (शिव के तीर्थ) में से एक है और इसे भारत में पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है |
वास्तुकला: घृष्णेश्वर मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी, वर्तमान संरचना में 15 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
अनूठी विशेषता: घृष्णेश्वर मंदिर प्राचीन शहर वेरुल के पास स्थित है, जिसे पांडवों का जन्मस्थान माना जाता है |
घृष्णेश्वर मंदिर के बारे मे अधिक जाणकारी
इस मंदिर को “घृष्णेश्वर महादेव” या “श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग” के नाम से भी जाना जाता है | मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ नागर शैली से प्रेरित होकर किया गया हुआ है | मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर हैं, जिनमें भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और भगवान गणेश को समर्पित मंदिर भी शामिल हैं |( 12 Shiv temples in India )
स्थान: मंदिर नासिक जिले में वेरुल शहर के पास स्थित है |
समय: घृष्णेश्वर मंदिर का दर्शन समय सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक का रहता है, जिसमें दर्शन और आरती के लिए विशेष अलग समय होता है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: घृष्णेश्वर मंदिर की यात्रा करने का सही समय अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है |
घृष्णेश्वर मंदिर के पास के आकर्षण
घृष्णेश्वर मंदिर के पास की एलोरा गुफाएँ, एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है | वेरूल अजंता की गुफाएँ, लोकप्रिय और ऐतिहासिक स्थान है |
मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर ( 12 Shiv temples in India )
( 12 Shiv temples in India ) मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर, जिसे श्रीशैलम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | भारत के आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित भगवान शिव को समर्पित यह एक हिंदू मंदिर है |
इतिहास: मल्लिकार्जुन स्वामी का मूल मंदिर दूसरी शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, जिसके बाद सातवाहन राजवंश और विजयनगर साम्राज्य सहित अन्य शासकों द्वारा पुनर्निर्माण और मरम्मत करी गई |
महत्व: मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों ( शिव के तीर्थ ) में से एक है और इसे भारत में सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक माना जाता है |
वास्तुकला: मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर की वास्तूकला 14वीं शताब्दी में की गाई है | आज के वर्तमान संरचना में 15 मीटर लंबा शिखर और 3 मीटर लंबा ज्योतिर्लिंग है |
मंदिर की अनूठी विशेषता: यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर स्थित है, यह हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है |
मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर के बारे मे अधिक जाणकारी
इस मंदिर को “मल्लिकार्जुन महादेव” या “श्रीशैलम ज्योतिर्लिंग” के नाम से भी जाना जाता है | मंदिर का डिज़ाइन जटिल नक्काशी और मूर्तियों के साथ द्रविड़ शैली से प्रेरित होकर किया गया है |
मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर हैं, जिनमें भगवान गणेश, भगवान नंदी और देवी पार्वती को समर्पित मंदिर भी शामिल हैं | इस सब भगवान के दर्शन आप यह पर कर सकते है |
स्थान: मंदिर कुरनूल जिले में, श्रीशैलम शहर के पास यह मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर स्थित है |( 12 Shiv temples in India )
समय: मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर मे दर्शन करणे का समय सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक रहता है | जिसमें दर्शन (पूजा) और आरती के लिए अलग समय होता है |
मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना होता है और मंदिर में भीड़ कम होती है |
मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर के पास के अन्य आकर्षण
मंदिर के पास श्रीशैलम बांध, विशाल जलाशय वाला एक दर्शनीय और खूबसूरत स्थान है |
श्रीशैलम वन्यजीव अभयारण्य, विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का घर भी है आप इन्हे भी भेट दे सकते है |( 12 Shiv temples in India )
निष्कर्ष
भारत के 12 शिव मंदिरों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक यात्रा है, ( 12 Shiv temples in India ) बल्कि यह हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व को भी प्रकट करती है | इन मंदिरों में स्थापित शिवलिंगों के दर्शन से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि मिलती होती है। हर मंदिर की अपनी अलग कहानी और महत्व है, जो भक्तों को आस्था और भक्ति के साथ जोड़ता है |
FAQs
कौन सा शिव मंदिर सबसे प्राचीन है ?
सोमनाथ मंदिर को सबसे प्राचीन माना जाता है |
केदारनाथ मंदिर की स्थापना किसने की थी ?
केदारनाथ मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी |
महाकालेश्वर मंदिर में किस विशेष आयोजन का आयोजन होता है ?
महाकालेश्वर मंदिर में हर सोमवार को भस्म आरती होती है |
रामेश्वरम मंदिर का संबंध किस पुराण से है ?
रामेश्वरम मंदिर का संबंध रामायण काल से है |
काशी विश्वनाथ मंदिर में कौन से त्योहार प्रमुख हैं ?
काशी विश्वनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन प्रमुख त्योहार हैं |
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर कहाँ स्थित है ?
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र में स्थित है |