Naga temple in kerala :
नागा प्रसिद्ध मंदिर, केरला
केरला राज्य मे सांप की पुजा करना ऊनकी समृद्ध सांस्कृतिक वारसा है और साँपों की पूजा यहा के लोगों के जीवन से जुडा हुआ है | केरला मे सांपों को आज भी पुरी श्रद्धा और पवित्रता से उनकी पुजा और सन्मान किया जाता है | राज्य के जंगल मे उन्हे थंडी जगह, शांत वातावरण मे यह दिखते है | ऊनसे जुडी हुई सारी प्रथा, परंपरा, अनुष्ठान और उपचार से जुडे हुए सभी तरिके इस नागा पुजा मे शामील होती है |
famous naga temple in kerala
भारत देश मे हमे कई तरह के नाग मंदिर देखने को मिलते है | उन सभी मंदिरो कई अलग – अलग प्रथा, इतिहास और परंपरा होती है | ऐसा ही एक नाग मंदिर केरला राज्य मे है | इस मंदिर को
“मन्नारसाला ” नाम से जाना जाता है | केरला कासबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय नाग मंदिर यही है |
Mannarasala Sree Nagaraja Temple Kerala
मंदिर का इतिहास और महत्व
मन्नारसाला मंदिर : यह मंदिर नागों के राजा भगवान नागराज और उनकी पत्नी नागयक्षी को समर्पित है | मंदिर कई खुबसुरती लाजवाब है | मंदिर के अंदर हमे सांपों की 30 हजार से ज्यादा प्रतिमाएं है | इस मंदिर का निर्माण काफी पुराना है | लगभग 3 हजार साल पुराणा मंदिर है |
मन्नारसाला मंदिर पुरे 16 एकड क्षेत्र मे फैला हुआ है | मंदिर के हर एक कोने मे सांपों की प्रतिमाएं है, लगभग 30 हजार से अधिक संख्या मे प्रतिमाएं है | इस मंदिर मे देश के अलग अलग ठिकानो से श्रद्धालु दर्शन और पुजा करने यहा आते है | मंदिर के चारो और से घना जंगल है | अलेप्पी से 37 किलोमीटर अंतर पर यह नाग मंदिर स्थित है |
तक्षक और कर्कोटक नाग ने इसी स्थान पर भगवान शिव कई पुजा कई थी | तक्षक और कर्कोटक नाग ने अपनी घोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया, और उनकी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद प्राप्त किया | मंदिर के पास मे ही राहू का स्थान है, राहू को सर्पों का देवता माना जाता है |
Naga temple in kerala : मंदिर से जुडी हुई कथा के अनुसार, महाभारत काल समय मे खंडावा नामक वन प्रदेश को जला दिया गया था | लेकिन इसका कुछ भाग सुरक्षित था | ऐसा बताया जाता है की, ईसी बचे हुए जंगल के भाग मे जंगल के सभी साँपों ने आश्रय लिया था | इस जगह का नाम मन्नारसाला है | इस मंदिर मे नागराज के दर्शन करने से निसंतान दंपतियों को संतान सुख मिलता है | नि:संतान भी उनके आशीर्वाद से संतती सुख को प्राप्त कर सकते है | भगवान परशुराम भी इस जगह पर गये थे | मंदिर मे भगवान नागराज को प्रसन्न करने के श्रद्धालु अनुष्ठान भी करते है |
हरिपद सुब्रमण्यम मंदिर से करीब 1 से 1/2 किमी के अंतर पर उत्तर दिशा मे कन्नी में अयिल्यम और थुलम अक्टूबर से नवंबर में मंदिर मे मुख्य त्योहार होते है | इस त्योहार के उत्सव मे लाखों भक्त आते है |
“नूरम पलुम” मतलब, हल्दी पाउडर, चावल पाउडर और गाय के दूध के साथ मिश्रित प्रसाद नाग देवता के लिए नैवेद्य के रूप मे दिया जाता है | उरुली बेल धातु से बनाया हुआ बर्तन है, इस बर्तन को श्रीकोविल के सामने उल्टा करके उन्हे समर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है | यह उपाय और प्रथा उन्ही निःसंतान दंपत्तियों के लिए है, संतानप्राप्ती चाहते है | ऐसा करने से देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है |
यह मंदिर अलाप्पुझा जिले में हरिपद के पास मन्नारसाला में स्थित है | केरल के प्रसिद्ध साँपों के आराध्य मंदिरों में से एक मंदिर है |
मायाशिल्प के अनुसार, इष्टदेव वासुकी और नागयक्षी है, वासुकी नागमों में प्रथम स्थान पर है ऐसा कहा जाता है | वासुकी मोती के समान सफेद है, तक्षगण लाल, कर्कोदगण काला, पैड मैन कमल के समान लाल, महापद्मन सफेद, संगपालन पीला, कुलिका लाल और इनमे से सभी को दो जीभ है |
सभी मूर्तियों का मुख पूर्व दिशा की ओर किया गया है और मेज सहित उनकी ऊंचाई पांच फीट की है | इनकी पूजा दिन में एक बार की जाती है और विशेष दिनों में मन्नारशाला इल्लम की मां पूजा करती है और बाकी के सामान्य दिनों में परिवार के अन्य सदस्य देवता की पूजा करते हैं | मंदिर मे उप-देवता सस्था, भद्रकाली, सिवान, गणपति और दुर्गा माता हैं |
यह त्योहार मलयालम महीनों कन्नी, थुलम और कुंभम के अयिलियम सितारा दिवस पर मनाया जाता है| इस मंदिर की एक विशेष खासियत है, जिन लोगों को सांप ने काट लिया है और उनपर विष का प्रयोग किया गया है, ऊनके लीये मंदिर का दूध और केला से बने पवित्र भोजन खाने पर उनके शरीर मे फैला हुआ पुरा जहर उगल दिया जाता है | यह चमत्कार से कम नही है | इसी विशेषता के लीये लोकप्रिय है |
प्रसिद्ध पिठपुरम का दत्त मंदिर
अमेदा मंदिर
अमेदा मंदिर के इष्टदेवता सप्तमातृक्कल है | गर्भगृह में मुख्य देवता सप्तमातृस है | नागराज और नागयक्षी का स्थान गर्भगृह के बाहर है | मंदिर के पश्चिम दिशा में नागराज का मंदिर, पूर्व की दिशा में नागयक्षी और उत्तर दिशा मे भगवान महाविष्णु का मंदिर है | वेत्ताथुनाडु राजा के भगवान महाविष्णु कुलदेवता थे | वो समुथिरी वंश के थे |
इलम मंदिर के उत्तर दिशा में यह अमेदा मंदिर है | इस मंदिर का पुरा परिसर करीब 10 एकड़ का विशाल क्षेत्र का है |
मंदिर में दिये जाने वायले महत्वपूर्ण प्रसाद
मंदिर मे अलग अलग प्रकार के प्रसाद दिया जाता है | सबका गुणविशेष होता है | उनकी विशेषता उन्हे महत्वपूर्ण बनाती है |
कार्तिका पायसम : यह प्रसाद खाने से नि:संतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का सुख मिलता है | इसे मंदिर में दर्शन के 12 वें कार्तिका दिन पर करना और खाना होता है |
पलापायसा होम : यह प्रसाद उन लोगो को बनाना चाहिये जिन्होने अनजाने में साँपों के आवास, साँप आदि को नष्ट कर दिया है |
किंडी एरियल और पूवत्तका कामिज़थल : यह प्रसाद भी संतान प्राप्ती चाहने वाले लोगो के लीये है | किंडी एरियल जलयाक्षी के लिए और पूवत्तका कामिज़थल सप्त मातृस के लिए है |
अयिल्यम ईदी : यह अयिल्यम ईदी प्रसाद कन्नी, वृचिकम और मीनम के अयिलम दिवस पर भलाई के लिए इलम्स द्वारा किया जाने वाला एक प्रसाद है | चंदन की लकड़ी के मचान का उपयोग करने वाले बुजुर्ग के साथ प्रार्थना करने के बाद गीले कच्चे चावल को लकड़ी की चक्की में पीसा जाता है | चक्की मे पिसे हुए चावल उनके और हमारे उपर आशीर्वादम की तरह सिर पर छिड़कते हैं | भक्त भी नम्पुथिरीज़ के मार्गदर्शन से इसकी पेशकश कर सकते हैं |
नागनकुलंगरा मंदिर
Naga temple in kerala : नागनकुलंगरा मंदिर चेरथला से लगभग 4 किलोमीटर के अंतर पर दूर वायालार में स्थित है | मंदिर के इष्टदेव नागा यक्षी और यह मंदिर मन्नारशाला नागा मंदिर के बाद नागाओं के लिए दूसरा महत्वपूर्ण मंदिर है |
आठ दिनों तक मनाये जाने वाले त्योहार आरट्टू के साथ मनाए जाते है, जो मखराम महीने के दौरान तिरुवथिरा तारा दिवस पर आते हैं | असाध्य बीमारी, जिसका कोई भी इलाज नही है ऐसी बीमारियों के लिए कई लोग थिरु नागनकुलंगरा मंदिर में आते है और वहां 41 दिनों के मंडल के लिए प्रार्थना करते हैं | आमतौर पर, मंडला प्रार्थना के बाद, वे अपने कष्ट से मुक्त हो जाते है |
वेट्टिकोडे नागराज स्वामी मंदिर
Naga temple in kerala : किंवदंती के अनुसार वेट्टीकोड में श्री नागराज स्वामी मंदिर को भगवान परशुराम द्वारा पवित्र किया गया था | यह वेट्टिकोडे नागराज स्वामी मंदिर केरल राज्य के अलाप्पुझा जिले में कायमकुलम के पास है | यह मंदिर केरल के प्रमुख सर्प पूजा मंदिरों में से एक माना जाता है |
मंदिर के इष्टदेव अनंत और एन अगायक्षी है | वैष्णव अनंत को नागराज मानते है और शिव के गले में पड़े वासुकी को शिव नागराज मानते है | पूर्व दिशा की ओर मुख वाले मंदिर में केवल दोपहर के समय पूजा की जाती है | शाम को भी मंदिर खुला रहता है | कन्नी और थुलम के महीनों में पूयम और अयिलम के दिनों में दीप – अधान और अथझापूजा की जाती है | यह काफी महत्वपूर्ण होती है | थानट्रम पुथुमना है | यह त्यौहार कन्नी माह के अयिल्यम नक्षत्र के दिन पर होता है | इसके अलावा कुंभम में अयिल्यम, शिवरात्रि, मेडम दिनों में बलबद्र जयंती पर विशेष समारोह होते है |
सर्पबली और नाग पुजा
Naga temple in kerala : सर्पबली के लिए अमेदा मंदिर प्रसिद्ध है | इसे केवल महीने के विशिष्ट दिनों में ही आयोजित किया जाता है | इसे करने के लीये पहले एडवांस बुकिंग करना जरूरी होता है | सर्पबलि राहू दोष और नागों को प्रसन्न करने हेतु किया जाता है | पहली पूजा नागयक्षी की होती है और नागराज की सर्पबली के दौरान |
पुल्लुवन पट्टू :
इस पेशकश को नागाओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु किया जाता है | इसलीये यह सबसे महत्वपूर्ण होती है | अमेदा में यह मंदिर के पास पुलुवा परिवारों के सदस्यों द्वारा किया जाता है | इसे एक व्यक्ति को गाने में लगभग 3 से 5 मिनट का समय लगता है |
मंदिर की मुख्य पेशकश :
कार्तिका पूजा : इस पुजा के अवसर पर विशेष अर्चना और द्वादशाक्षरी पूजा की जाती है |
त्रिकार्थिका
भगवती सेवा
गुरुथी पूजा : इस पूजा मे वैष्णवी का अधिक महत्व रहता है | यह मलयालम कैलेंडर में कार्किडकम महीने के 12 वें दिन को शुरू किया जाता है |
पम्बुम्मेक्कट्टु मन :
पम्बुम्मेक्कट्टू मन यह केरल का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण सर्प पूजा केंद्र है | पम्बम मेकाट्टू लल्लम केरल के त्रिशूर जिले के मुकुंदपुरम तालुका के वदामा गांव में यह पम्बुम्मेक्कट्टु मन सर्प पूजा केंद्र स्थित है | सबसे नजदिक का रेलवे स्टेशन चलाकुडी है स्टेशन है |
मंदिर मे मनाये जाने वाले त्योहार
मुख्य त्योहार मलयालम कैलेंडर के ” मीनम ” महीने मतलब मार्च और अप्रैल के दौरान त्योहार का आयोजन किया जाता है | कोडियेट्टु मलयालम कैलेंडर के मकायिरम नक्षत्र पर त्योहार की शुरुआत होती है | अयिल्यम स्टार पर अयिल्य दर्शनम, ” मकम ” पर उत्सव बाली, ” पूरम ” पर वलिया विलाक्कू या पल्लीवेट्टा और ” उथ्रम ” पर “आराट्टू”
कैसे जाये
ट्रेन से : सबसे नजदिक का रेलवे स्टेशन चलाकुडी है स्टेशन है | ट्रेन से भी पम्बुम्मेक्कट्टु मन तक पहुंचा जा सकता है |
सडक मार्ग : श्रद्धालु केरल के किसी भी हिस्से से सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंच सकते हैं | विश्वासी तीन बार माला मार्ग अपना सकते है | माला से 3 किमी उत्तर दिशा में मुख्य सड़क के पश्चिम में माना स्थित है | बस स्टॉप का नाम मकाती जंक्शन है |
जब हम मेक्कट्टु मन के सामने वाले रास्ते पर पहुंचने पर, सामने हमें एक दीवार दिखाई देती है, जिस पर नागों की आकृतियां चित्रित की गयी है |
जब हम उत्तर की ओर मुड़ते हैं, तो सर्प आकृतियों से अंकित एक मेहराबनुमा प्रवेश द्वार देखा जाता है | आगे बढ़ने पर घने, ऊँचे पेड़ और छोटे-छोटे मंदिर मतलब ( कावू ) हमारा ध्यान खींच लेते है | फिर आखीर कार हम प्रवेश द्वार तक पहुँचते है | हम नाग देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए शुद्ध मन और शरीर के साथ ‘ सर्पकावु ‘ में प्रवेश कर सकते है | सर्प देवता नागराज ( पुरुष देवता ) और नागा यक्षी ( महिला देवता ) मेक्कट्टू मन के पूर्व भाग में निवास करते हैं | ख़ासियत यह है कि इन देवताओं की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि उनकी दैनिक पूजा की जाती है |
निष्कर्ष
इस लेख के माध्यम से हमने केरला के Naga temple in kerala के बारे मे सविस्तर जाणकारी दि गयी है | केरला मे मन्नारसाला, अमेदा मंदिर, नागनकुलंगरा मंदिर, पम्बुम्मेक्कट्टु मन, वेट्टिकोडे नागराज स्वामी मंदिर यह नाग मंदिर प्रसिद्ध है |
FAQ
केरला का सबसे बडा नागराज मंदिर कोनसा है ?
केरला का सबसे बडा नागराज मंदिर “मन्नारसाला” है |
केरला का कोनसा मंदिर नि:संतान दंपत्ती के लीये महत्वपूर्ण है |
” मन्नारसाला ” मंदिर नि:संतान दंपत्ती को संतती सुख की प्राप्ती का आशीर्वाद मिलता है |
केरल में सबसे बड़ा मंदिर उत्सव कौन सा है ?
त्रिशूर पूरम कोचीन के महाराजा (1 790-1805 ) सक्थन थंपुरन के दिमाग की उपज थी | त्रिशूर पूरम की शुरुआत से पहले, केरल में सबसे बड़ा मंदिर उत्सव अरट्टुपुझा में आयोजित किया जाता था, जिसे अरट्टुपुझा पूरम के नाम से जाना जाता था |