Somanatheswarar Temple
Somanatheswarar Temple : सोमंगलम मे स्थित श्री सोमनाथेश्वर मंदिर मे भगवान श्री सोमन ( श्री चंद्र भगवान ) ने यहाँ भगवान की पूजा की थी, इसलिए यहाँ भगवान शिव को सोमनाथेश्वर कहा जाता है | मंदिर की मुख्य देवता भगवान चंद्र है | यहा पर भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है | लिंगम को जटिल नक्काशी और मूर्तियों से घिरे संगमरमर के गर्भगृह में स्थापित किया गया है |
मंदिर की मुख्य देवता
मंदिर की मुख्य देवता भगवान चंद्र है | यहा पर भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है | लिंगम को जटिल नक्काशी और मूर्तियों से घिरे संगमरमर के गर्भगृह में स्थापित किया गया है | श्री सोमन ( श्री चंद्र भगवान ) ने यहाँ भगवान की पूजा की थी, इसलिए यहाँ भगवान शिव को सोमनाथेश्वर कहा जाता है | श्री सोमनाथेश्वर अम्मन: कामाक्षी के रूप में शक्ति का भी अलग मंदिर है |
Somanatheshwara Temple Somangalam
तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम जिले के सोमंगलम गांव में स्थित यह मंदिर सोमनाथेश्वर नाम से जाना जाता है | भगवान चंद्र और देवी कामाक्षी अम्मन को भी समर्पित यह एक महत्वपूर्ण मंदिर है |
ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
तामिलनाडू मे सोमंगलम एक प्राचीन गाँव है | यह गाव एक हज़ार साल से भी ज़्यादा समय से अस्तित्व में है | इस गांव का चोल राजवंश से ऐतिहासिक महत्वपूर्ण संबंध है | इस गांव को सोमंगलम नाम के साथ ही राजशिखामणि चतुर्वेदीमंगलम और पंचनदीवन चतुर्वेदीमंगलम नामों से जाना जाता था | यह नाम हमे यह दर्शाता है, कि यह चार वेदों के जानकार विद्वानों से आबाद गांव था | माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कुलोथुंगा चोझा ने सन 1073 ई. में अपने शासनकाल के तीसरे वर्ष में किया गया था | चंद्र मतलब चंद्रमा भगवान को समर्पित सोमनाथेश्वर मंदिर चेन्नई के आसपास के नवग्रह मंदिरों में से एक है | जो चंद्र भगवान ( चंद्रमा भगवान ) को समर्पित किया गया है |
इस मंदिर की किंवदंती है, कि भगवान चंद्र को एक बार दक्षन ने श्राप दिया था, जिसके परिणाम से उनकी दिव्य शक्ति और 16 कलाओं का ज्ञान समाप्त हो गया | इस श्राप को दूर करने के लिए, उन्होंने सोम तीर्थम नामक एक पवित्र तालाब बनाया था | सोम तीर्थम में स्नान करने और इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के बाद, भगवान चंद्र ने अपनी सुंदरता और ज्ञान वापस पाया था | मंदिर को सोमंगलम के नाम से जाना जाने लगा | यह मंदिर चंद्र भगवान से संबंधित दोषों जैसे पीड़ाओं से पीड़ित लोगों के लिए एक दोष परिहार स्थल और उपचार तीर्थ के रूप में कार्य करता है |
मंदिर की विशेषताएँ
श्री सोमनाथेश्वर मंदिर के मुख्य गर्भगृह के अंदर, भगवान मुरुगा की एक अनोखी मूर्ति है | जो अपने ब्रह्मस्थ रूप में स्थित है | भगवान के एक हाथ में गिंडी और दूसरे हाथ में अक्ष माला देखने को मिलती है | चंद्रमा भगवान के लिए पश्चिम की ओर एक अलग विशेष मंदिर है, और यहा पर ऐसा माना जाता है, कि इस स्थान पर चंद्र दोष से संबंधित समस्याओं को कम करने की अनोखी शक्तियाँ है | जो पीडित को पीडा से मुक्त करती है | इस मंदिर के बाहरी परिसर में सप्त मठों की मूर्तियाँ है | जिनमें से एक भगवान शनि की अम्बल जेष्टा देवी भी की मूर्ती है |
मंदिर और देवता
इस मंदिर के मुख्य देवता सोमनाथेश्वर हैं, और दिव्य माँ कामाक्षी अम्मन है | मंदिर के द्वार के दोनों ओर चंद्र और सूर्य भगवान के लिए अलग-अलग गर्भगृह है | मंदिर में दक्षिण दिशा की ओर कामाक्षी देवी की एक भव्य सन्निधि स्थित देखने को मिल जाती है | पवित्र बैल नंदी मुख्य सन्निधि के बाहर पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्थित है |
तीर्थम ( पवित्र तालाब )
भगवान चंद्र द्वारा निर्मित यह सोम तीर्थम ( विनय तीर्थन कुलम ) मंदिर के पश्चिम में लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह तीर्थम पवित्र तालाब | यहा पर ऐसी मान्यता है, कि यह एक ऐसा पवित्र तालाब है जो बुरे कर्मों को समाप्त कर देता है | श्री संदीकेश्वर द्वारा निर्मित किया गया संदीश्वर तीर्थम यह मंदिर के निकट ही है |
चोल-युग की मूर्तियां
इस मंदिर की दीवारों पर हमे चोल युग की मूर्तियां और शिलालेख देखने को मिल जाते है | देवताओं के वाहनम पहाड़ों की नक्काशी को उनकी आसनों पर देख सकते है |
सबसे उल्लेखनीय और सुंदर नक्काशी में दक्षिणामूर्ति और महिषासुरमर्दिनी के रूप में दुर्गा की नक्काशी शामिल है | सोमनाथेश्वर मंदिर यह न केवल ही धार्मिक महत्व का स्थान है, बल्कि एक वास्तुशिल्प चमत्कार भी है जो भगवान शिव और भगवान चंद्र से जुड़े समृद्ध इतिहास और पौराणिक कथाओं को संरक्षित करता हुआ देखने मिलता है | यह पूजा, तीर्थयात्रा और उपचारात्मक अनुष्ठानों का स्थान महत्वपूर्ण है, जो चंद्र भगवान से संबंधित ज्योतिषीय कष्टों और पीडा के लिए आशीर्वाद और समाधान चाहते है |
मंदिर शताब्दी
सोमनाथेश्वर मंदिर 1000 वर्ष पुराना है | इस मंदिर को हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती ( HRCE ) द्वारा प्रबंधित किया जाता है |
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मंदिर कैसे पहुंचे (How To Reach Somanatheswarar Temple)
श्री सोमनाथेश्वर मंदिर, सोमंगलम पवित्र तीर्थस्थल तक पहुंचने के लीये सडक, ट्रेन और हवाई मार्ग का उपयोग करके पहुंच सकते है |
सडक मार्ग से : सोमंगलम चेन्नई से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है | यहा पर आपको परिवहन के कई साधन मिल जाएंगे | उनके माध्यम से आप मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते है | सड़क मार्ग से मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 32 द्वारा प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। आगंतुक निजी वाहन किराए पर ले सकते हैं या बस ले सकते है |
ट्रेन से : सोमंगलम से सबसे नजदिक का रेलवे स्टेशन तांबरम है | आप यहा तक पहुंचकर यहा से किराये पर वाहन लेकर मंदिर पहुंच सकते है |
हवाई मार्ग से : मंदिर से सबसे नजदिक का हवाई अड्डा चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 80 किलोमीटर दूर अंतर पर स्थित है |
आस-पास के मंदिर और तीर्थस्थल
सोमंगलम कई उल्लेखनीय तीर्थस्थल और मंदिरों से घिरा हुआ है | इनमे थिरुपुरुर कंदस्वामी मंदिर है, जो भगवान कार्तिकेय को समर्पित है | यह मंदिर अपनी आकर्षक वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है | थिरुमाझिसाई दिव्य देशम भगवान विष्णु को समर्पित एक मंदिर है | यह वैष्णव तीर्थस्थल भक्तों द्वारा पूजनीय 108 पवित्र मंदिरों में से एक है | थिरुक्कुनराम मुरुगन मंदिर है, जो एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है | यह मंदिर अपने सुंदर दृश्यों और दिव्य वातावरण के लिए जाना जाता है और इसलिये प्रसिद्ध है |
आस पास के पर्यटन स्थल
अपने धार्मिक महत्व के अलावा, सोमंगलम लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के भी नज़दीक है | यहा नजदिक ही कोवलोंग बीच है | जो सुनहरी रेत और लहरों की आवाज़ के साथ एक खूबसूरत समुद्रतट है | कोवलोंग एक शांतिपूर्ण और विश्राम के लिए एकदम सही स्थान है | महाबलीपुरम यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है | महाबलीपुरम अपने प्राचीन मंदिरों और चट्टान को तराश कर बनाई गई अखंड मूर्तियों के लिए जाना जाता है | यही उसकी विशेषता है | कांचीपुरम को ” हजारों मंदिरों का शहर ” कहा जाता है | कांचीपुरम कई ऐतिहासिक और स्थापत्य चमत्कारों वाला एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है |
निष्कर्ष
श्री सोमनाथेश्वर मंदिर, सोमंगलम, इतिहास, पौराणिक कथाओं और दिव्य सौंदर्य का एक आकर्षक मिश्रण है | इसका पवित्र वातावरण और स्थापत्य वैभव तीर्थयात्रियों और पर्यटक दोनों को आकर्षित करता है | चाहे उसे आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश हो या प्राचीन चमत्कारों पर अचंभित होना हो | इस आकर्षक मंदिर की यात्रा एक अविस्मरणीय और गहन अनुभव देती है | आप को इस लेख मे मंदिर के बारे मे सारी जाणकारी दि है, जो आपकी मंदिर यात्रा सुखद और सहज बना देगी |
FAQ
सोमंगलम का इतिहास क्या है ?
श्री सोमन ( श्री चंद्र भगवान ) ने यहाँ भगवान की पूजा की थी, इसलिए यहाँ भगवान शिव को सोमनाथेश्वर कहा जाता है | इस स्थान को सोमंगलम के नाम से जाना जाने लगा | यह मंदिर चंद्र भगवान से संबंधित किसी भी प्रकार के दोष वाले लोगों के लिए परिहार स्थल है, मंदिर में श्री चंद्र भगवान का एक अलग मंदिर है, जो पश्चिम की ओर स्थित है |
सोमनाथेश्वर मंदिर कितने साल पुराना है ?
सोमनाथेश्वर मंदिर 1000 वर्ष पुराना है | यह मंदिर भगवान शिव, दिव्य माँ कामाक्षी अम्मन और भगवान चंद्र को समर्पित मंदिर है |
सोमंगलम किस लिए प्रसिद्ध है ?
सोमंगलम एक चतुर्वेदीमंगलम है, जो राजाओं द्वारा चार वेदों के पंडितों को विभिन्न यज्ञ और नियमित पूजा आयोजित करने के लिए दान किया गया गांव है | नवग्रह पूजा का चंद्र ( चंद्रमा ) स्थानम और नन्दी विपरीत दिशा में देख रही है |