Somanatheswarar Temple
Somanatheswarar Temple सोमनाथेश्वर मंदिर, जो सोमंगलम गांव में स्थित है, एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ पर भगवान श्री सोम (चंद्र देव) ने भगवान शिव की पूजा की थी, इसलिए भगवान शिव को यहाँ सोमनाथेश्वर कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा शिवलिंग रूप में होती है, जो संगमरमर के गर्भगृह में स्थापित है और चारों ओर जटिल नक्काशी और मूर्तियों से सजाया गया है।

सोमनाथेश्वर मंदिर
सोमनाथेश्वर मंदिर दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है, जिसे चोल काल में निर्मित किया गया था। इस मंदिर के दीवारों पर चोल काल के अद्भुत शिल्प और शिलालेख देखने को मिलते हैं। इन उकेरे गए चित्रों में देवताओं के वाहन mounts की खूबसूरत नक्काशी की गई है। विशेष रूप से देवी दुर्गा की नक्काशी को देखने के लिए श्रद्धालु यहां आते हैं, जिसमें उन्हें दक्षिणामूर्ति और महिषासुरमर्दिनी के रूप में चित्रित किया गया है।
यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। सोमनाथेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पूजा करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है, और यह उन भक्तों के लिए भी है जो चंद्रमा से जुड़ी समस्याओं का समाधान चाहते हैं।

Somanatheshwara Temple Somangalam
तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम जिले के सोमंगलम गांव में स्थित यह मंदिर सोमनाथेश्वर नाम से जाना जाता है | भगवान चंद्र और देवी कामाक्षी अम्मन को भी समर्पित यह एक महत्वपूर्ण मंदिर है |
मंदिर की सदी
सोमनाथेश्वर मंदिर अपनी 1000 साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर के साथ आज भी जीवित है। यह मंदिर हिंदू धार्मिक और चैरिटेबल एंडॉवमेंट्स (HRCE) द्वारा प्रबंधित किया जाता है, और यहां पर नियमित रूप से पूजा और अनुष्ठान आयोजित होते हैं। मंदिर की 1000वीं वर्षगांठ ने श्रद्धालुओं को आकर्षित किया और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
सोमनाथेश्वर मंदिर का इतिहास और महत्व
सोमनाथेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यह मंदिर तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम जिले के सोमंगलम गांव में स्थित है। यह मंदिर विशेष रूप से चंद्र देव और देवी कामाक्षी अम्मन को समर्पित है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है, और यह मंदिर चोल साम्राज्य के समय से जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कुलोथुंग चोझा ने 1073 ईस्वी में किया था।
सोमनाथेश्वर मंदिर को एक “नवग्रह” मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, जो विशेष रूप से चंद्र देव (चंद्रमा के देवता) को समर्पित है। यहाँ आने वाले भक्त चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजा करते हैं। इस मंदिर में पूजा करने से चंद्र दोष से संबंधित परेशानियों का समाधान होने की मान्यता है।
मंदिर का धार्मिक और पौराणिक महत्व
मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय भगवान चंद्र को ऋषि दक्ष ने शाप दिया था, जिससे वह अपनी दिव्य शक्ति और 16 कलाओं को खो बैठे। इस शाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान चंद्र ने एक पवित्र तालाब “सोम तीर्थम” का निर्माण किया और वहाँ स्नान करके भगवान शिव की पूजा की। भगवान शिव की कृपा से चंद्र देव ने अपनी सुंदरता और ज्ञान को फिर से प्राप्त किया। तब से यह स्थान सोमंगलम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस मंदिर को “दोष निवारण स्थल” माना जाता है, जहाँ लोग चंद्र दोष से संबंधित समस्याओं का समाधान पाने के लिए पूजा अर्चना करते हैं।
मंदिर की विशेषताएँ
सोमनाथेश्वर मंदिर का गर्भगृह अत्यंत सुंदर और शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहाँ पर भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है, जो संगमरमर से बने एक sanctum में रखा गया है। इस शिवलिंग के चारों ओर आकर्षक मूर्तियाँ और नक्काशी देखने को मिलती हैं।
मंदिर में भगवान श्री मुरुगन का एक अद्वितीय मूर्ति भी है, जो ब्रह्मस्थ रूप में स्थित हैं। भगवान मुरुगन के हाथों में एक गिंदी और अक्षमाला है। इसके अलावा, चंद्र देव के लिए एक विशेष मन्दिर है, जो पश्चिम की दिशा में स्थित है। यहाँ पर पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।
मंदिर के बाहरी परिसर में सप्त माताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जिनमें से एक मूर्ति अम्बाल जेष्ठा देवी की है, जो भगवान शनि की देवी मानी जाती हैं। यह मूर्ति विशेष रूप से शनि दोष निवारण के लिए पूजी जाती है।
सोमनाथेश्वर मंदिर के अन्य देवता और उनकी पूजा
सोमनाथेश्वर मंदिर में मुख्य रूप से भगवान शिव और देवी कामाक्षी अम्मन की पूजा होती है। देवी कामाक्षी अम्मन के लिए एक अलग से मंदिर है जो दक्षिण दिशा में स्थित है। यहाँ पर नंदी, जो भगवान शिव का वाहन है, मुख्य मंदिर के बाहर पूर्व की दिशा में स्थित है।
मंदिर में सूर्य और चंद्र देव के लिए भी विशेष पूजा स्थल हैं। सूर्य देव का मंदिर मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार के पास स्थित है, जबकि चंद्र देव का मंदिर पश्चिम दिशा में स्थित है। इन दोनों देवताओं की पूजा विशेष रूप से चंद्र दोष और सूर्य दोष से मुक्ति के लिए की जाती है।

तीर्थम ( पवित्र तालाब )
भगवान चंद्र द्वारा निर्मित यह सोम तीर्थम ( विनय तीर्थन कुलम ) मंदिर के पश्चिम में लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह तीर्थम पवित्र तालाब | यहा पर ऐसी मान्यता है, कि यह एक ऐसा पवित्र तालाब है जो बुरे कर्मों को समाप्त कर देता है | श्री संदीकेश्वर द्वारा निर्मित किया गया संदीश्वर तीर्थम यह मंदिर के निकट ही है |

सोमनाथेश्वर मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान
यह मंदिर विशेष रूप से चंद्र दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है। भक्त यहाँ आकर चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान करते हैं। पूजा में खास तौर पर “सोम तीर्थम” में स्नान करने और भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा है। माना जाता है कि यहाँ पूजा करने से चंद्र दोष से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
मंदिर में विशेष रूप से नवरात्रि, शिवरात्रि और पूर्णिमा के अवसरों पर भव्य पूजा आयोजन होते हैं। इन अवसरों पर मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ होती है।
सोमनाथेश्वर मंदिर की यात्रा का अनुभव
सोमनाथेश्वर मंदिर की यात्रा अत्यंत सुखद और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। मंदिर का वातावरण शांति और पवित्रता से भरा हुआ है। यहाँ आने वाले भक्त न केवल धार्मिक पूजा करते हैं, बल्कि इस प्राचीन मंदिर की अद्भुत शिल्पकला और वास्तुकला को भी देख सकते हैं। मंदिर का स्थान भी बहुत ही शांतिपूर्ण है, जो यात्रियों को मानसिक शांति प्रदान करता है।
सोमनाथेश्वर मंदिर में आने से न केवल चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह एक ऐसे स्थान के रूप में प्रसिद्ध है जहाँ मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त की जा सकती है।
तीर्थम जिसे ‘पवित्र तालाब’ के रूप में जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो श्री सोमनाथेश्वर मंदिर के पश्चिम में लगभग आधे किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पवित्र जलाशय ‘सोम थीरथम’ (विनाय थीरथम कुलम) मंदिर के पास है और इसे भगवान चंद्र द्वारा निर्मित माना जाता है। मान्यता है कि यह तालाब किसी भी व्यक्ति के पाप और बुरे कर्मों को धो डालता है, और श्रद्धालु यहाँ स्नान करने के बाद अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
इसके अलावा, सन्दीश्वर थीरथम भी इसी क्षेत्र में स्थित है, जिसे श्री सन्दीश्वर द्वारा बनवाया गया था और यह भी एक महत्वपूर्ण पवित्र स्थल है जो मंदिर के समीप स्थित है।
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मंदिर कैसे पहुंचे (How To Reach Somanatheswarar Temple)
श्री सोमनाथेश्वर मंदिर, सोमंगलम पवित्र तीर्थस्थल तक पहुंचने के लीये सडक, ट्रेन और हवाई मार्ग का उपयोग करके पहुंच सकते है |
सडक मार्ग से : सोमंगलम चेन्नई से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है | यहा पर आपको परिवहन के कई साधन मिल जाएंगे | उनके माध्यम से आप मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते है | सड़क मार्ग से मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 32 द्वारा प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। आगंतुक निजी वाहन किराए पर ले सकते हैं या बस ले सकते है |
ट्रेन से : सोमंगलम से सबसे नजदिक का रेलवे स्टेशन तांबरम है | आप यहा तक पहुंचकर यहा से किराये पर वाहन लेकर मंदिर पहुंच सकते है |
हवाई मार्ग से : मंदिर से सबसे नजदिक का हवाई अड्डा चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 80 किलोमीटर दूर अंतर पर स्थित है |
आस-पास के मंदिर और तीर्थस्थल
सोमनाथेश्वर मंदिर के आसपास कई अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल और मंदिर स्थित हैं, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख स्थल निम्नलिखित हैं:
1.थिरुपोरुर कंदस्वामी मंदिर : यह मंदिर भगवान कार्तिकेय को समर्पित है और यहाँ की अद्भुत वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
2.थिरुमाझीसाई दिव्य देसम : यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यह 108 वैष्णव तीर्थ स्थलों में से एक है।
3.थिरुक्कुन्रम मुरुगन मंदिर: यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहाँ से आसपास के सुंदर दृश्य देखने को मिलते हैं।
आस पास के पर्यटन स्थल
|सोमनाथेश्वर मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि इसके आसपास कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल भी हैं।
- कोव्लोंग बीच: यह समुद्र तट सुनहरे रेतीले किनारों और लहरों की आवाज के लिए प्रसिद्ध है। यह एक शांतिपूर्ण और आरामदायक स्थान है।
- महाबलीपुरम: यह स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में प्रसिद्ध है और यहाँ प्राचीन मंदिरों और रॉक-कट मूर्तियों का अद्भुत संग्रह है।
- कांचीपुरम: जिसे ‘हजारों मंदिरों का शहर’ कहा जाता है, कांचीपुरम एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और यहाँ कई ऐतिहासिक और वास्तुकला से संबंधित महत्त्वपूर्ण स्थल हैं।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि सोमनाथेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संस्कृति, इतिहास और वास्तुकला का संगम भी है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर है।
निष्कर्ष
सोमनाथेश्वर मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है, जो भगवान शिव और चंद्र देव के प्रति श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। यहाँ की पूजा, आस्था और मान्यताएँ भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य करती हैं। इस मंदिर का दर्शन और पूजा करने से न केवल चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि एक शांति और दिव्य अनुभव की प्राप्ति होती है।
FAQ
सोमंगलम का इतिहास क्या है ?
श्री सोमन ( श्री चंद्र भगवान ) ने यहाँ भगवान की पूजा की थी, इसलिए यहाँ भगवान शिव को सोमनाथेश्वर कहा जाता है | इस स्थान को सोमंगलम के नाम से जाना जाने लगा | यह मंदिर चंद्र भगवान से संबंधित किसी भी प्रकार के दोष वाले लोगों के लिए परिहार स्थल है, मंदिर में श्री चंद्र भगवान का एक अलग मंदिर है, जो पश्चिम की ओर स्थित है |
सोमनाथेश्वर मंदिर कितने साल पुराना है ?
सोमनाथेश्वर मंदिर 1000 वर्ष पुराना है | यह मंदिर भगवान शिव, दिव्य माँ कामाक्षी अम्मन और भगवान चंद्र को समर्पित मंदिर है |
सोमंगलम किस लिए प्रसिद्ध है ?
सोमंगलम एक चतुर्वेदीमंगलम है, जो राजाओं द्वारा चार वेदों के पंडितों को विभिन्न यज्ञ और नियमित पूजा आयोजित करने के लिए दान किया गया गांव है | नवग्रह पूजा का चंद्र ( चंद्रमा ) स्थानम और नन्दी विपरीत दिशा में देख रही है |