Sri Mangalyswarar Temple
Sri Mangalyswarar Temple ईदयाथुमंगलम का यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित प्राचीन हिंदू मंदिर है | जो यह त्रिची जिले में लालगुडी के पास ईदयाथुमंगलम में स्थित है | इस मंदिर की मुख्य देवता मंगलेश्वर और देवी मंगलाम्बिकई है | मंदिर मे भगवान विनायकर, मंगल्य महर्षि, दक्षिणामूर्ति, बिटचंदर, अर्धनारीश्वर, चंडीकेश्वर, दुर्गाई, नंदी, नवग्रह और वल्ली और देवयानई इन देवता की मूर्ती स्थापित की गई देखने को मिलती है |
इन देवता के साथ साथ ही भगवान मुरुगा का अलग मंदिर है | यह मंदिर उन लोगो के लीये खास है, जिनका जन्म नक्षत्र उथिरम मे हुआ है | इस मंदिर के निर्माण के लीये पल्लव, चोझा, पांड्या, विजयनगर राजाओं और वर्तमान नट्टुकोट्टई नागराथरों इन वंश द्वारा योगदान दिया गया था | यह स्थान कावेरी और कोलीडम इन दो नदियो के बीच में था | इसलीये इस स्थान को ईदयाथुमंगलम कहा जाता है |
मंदिर इतिहास और शिलालेख
मंदिर के शिलालेखों के अनुसार, इस स्थान को इदैयात्रु नाडु, इदैयात्रु मंगलम कहा जाता था और इस मंदिर से दर्ज किये हुए शिलालेख थेलारेंथ थांधीवर्मन और वरगुण पांडियन-द्वितीय के है | यहा मंदिर के जीर्णोद्धार और चित्रकारी के दौरान अधिकांश शिलालेख खो गए थे | इन शिलालेखों में पूजा, नैवेद्यम, रखरखाव आदि के बंदोबस्त दर्ज दिखाई देते है | इसके लिए इस मंदिर को कई उपहार दिए गए थे, जिनमें सोना, जमीन आदि शामिल है |
राजराजा ब्रह्मरायर ने ग्रामीणों से जमीन खरीदी और इस मंदिर को इरायिली के रूप में उपहार में दी थी | शिलालेख में खरीदी गई यह जमीन की परिधि की सीमा भी दर्ज की गई है | अय्यासामी सस्थिरी द्वारा 2010 के दौरान नटराजर सन्निधि का निर्माण किया गया था और यहा पर महाकुंभभिषेक 08 मार्च 1990 और 1 जून 2006 को आयोजित किया गया था |
मंगलेश्वर मंदिर की किंवदंतियाँ
मंदिर की किंवदंतियाँ मे मंगलया महर्षि ऋषि अगस्त्य, ऋषि वशिष्ठ और भैरव का विवाह कराने के लीये आचार्य थे | उनका जन्म उथिरम नक्षत्र के दिन हुआ था और उन्होंने इस मंदिर के भगवान शिव की पूजा की और मुक्ति प्राप्त कर ली थी | इसलिए यहा भगवान शिव को मंगलेश्वर कहा जाता है | ऐसा माना जाता है, कि इस मंदिर के भगवान शिव की पूजा करने से विवाह संबंधी बाधाएँ दूर हो जाती है और वे देवलोक के कोणों के गुरु है |
ऐसी मान्यता है कि उथिरम नक्षत्र के दिन सभी कोणों से श्री मंगलेश्वर और महर्षि के दर्शन होते है | वे दीर्घ और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करते है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते है | मंगलया महर्षि का जन्म उथिरम नक्षत्र के दिन हुआ था, इसलिए नक्षत्र के दिन जन्मे हुए ज्यादा लोग इस मंदिर में आते हैं और मंगलया महर्षि और भगवान शिव मंगलेश्वर की पूजा और भक्ति करते है |
पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि मंगल्या, जो ऋषियों अगस्तियार, विशिष्टर और भैरवर के विवाह के संरक्षक थे, उथिरम के संस्थापक थे | वह अक्षधा यांनी चावल और हल्दी का मिश्रण जिसका उपयोग नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए किया जाता है का स्रोत है, जो हवा में उड़ते हुए, मालाओं से सजे हुए स्वर्गदूतों का स्रोत है | जैसा कि शादी के निमंत्रण कार्ड में दर्शाया जाता है | मान्यता है कि उनका आशीर्वाद मांगने से उन जोड़ों को बहुत लाभ होता है, जो शादी करने की योजना बना रहे है |
यही कारण है कि स्वर्गीय विवाह उत्सव जो भगवान और देवी के मिलन का जश्न मनाता है, पंगुनी के महीने में उथिरम तारा दिवस पर मनाया जाता है और इसे पंगुनी उथिरम भी कहा जाता है | इस मंदिर से लाभ उठाने वाले लोगों में अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करने वाली महिलाएं, परित्यक्त वृद्ध लोग जो अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं, और पैर की समस्याओं से पीड़ित लोग शामिल होते है |
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मंदिर की मुख्य विशेषताएं
यह मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है | मंदिर मे भगवान शिव, मंगल्य महर्षि, भगवान शिव की पूजा करते समय, विनयगर और मुरुगन की प्लास्टर छवियां शीर्ष पर देखने की मिलती है |
इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर प्लास्टर द्वारपालक है और मंगल्य महर्षि मुख मंडपम में देखने मिलता है | मुख मंडपम में बालीपीदम और एक बड़ा ऋषभम है, कोष्टम पिचादनार, अर्थनारीश्वरर, दक्षिणामूर्ति, शंकर नारायणन, ब्रह्मा और दुर्गा में स्थित है |
पराक्रम में विनयगर, श्री वल्ली देवसेना सुब्रमण्यर, चंडिकेश्वर, नवग्रह, भैरवर और नटराजर सभा शामिल है | अंबल दक्षिण की ओर मुख किए हुए अर्थ मंडप में एक अलग सन्निधि है | अम्बल अभय और वरदा हस्तम के साथ खड़ी मुद्रा में स्थित दिखाई देती है |
मंदिर की वास्तुकला गर्भगृह में गर्भगृह, अंतराल, अर्थ मंडपम और एक खुला मुख मंडप शामिल है, जिसे अधिष्ठान कपोतबन्ध अधिष्ठान का उपयोग किया जाता है | अधिष्ठान से लेकर प्रतारम तक गर्भगृह का पुरा निर्माण पत्थर से किया गया है | प्रस्तरम में भूमि देसम में वलाबी, कपोथम और यज़ीवारी शामिल है | भूतगण वलबी में स्थित है | कपोथा में नासी कूडु है, कर्णपति और सलाई पथी संगनिधि राहत के बीच दिखाया गया है |
मलाइथोंगल, थमराईकट्टू, कलासम, थाडी, कुंबम, पाली, पलाकाई, कंदम और थरंगा पोथ्याल के साथ विष्णुकांत स्तंभ गर्भगृह की दीवारों को सहारा दे रहे देखने मिलते है | गर्भगृह पर एक एकथला वेसर विमान है, थाला ऋषभ भूमि देशम पर है और ग्रीवा कोष्टम में, दक्षिणामूर्ति, महा विष्णु और ब्रह्मा स्थित है | सिकरम में महा नासियाँ मुख्य दिशाओं में हैं और अल्पनासियाँ महानसियों के बीच में दिखाई देती है | कन्नडी सत्तम, महा पद्मम और कलसम सिकरम पर है |
मंदिर मे मनाये जाने वाले उत्सव
इस मंदिर मे नियमित पूजा के अलावा भी, भगवान शिव का दिव्य विवाह पंगुनी उथिरम नक्षत्र के दिन किया जाता है | इस उथिरम नक्षत्र के दिन, पंगुनी उथिरम, प्रदोष, महा शिवरात्रि और अन्य महत्वपूर्ण समारोहों में भगवान की विशेष पूजा की जाती है |
मंगलेश्वर मंदिर का समय
मंदिर सुबह 07.00 बजे से 12.00 बजे और शाम 4.00 बजे से रात 8.00 बजे तक भक्त को दर्शन के लीये खुला रहता है |
पूजा सामग्री
मंदिर मे पुजा के लीये आवश्यक है, पांच माला, चमेली के फूलों से बंधे तीन घी के दीपक, बिना बंधे फूल, तीन नारियल, एक दर्जन केले, 10 बीटा पत्ते और सुपारी होती है | इनमे सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भक्तों को अपनी कुंडली साथ लानी होती है |
पुजा विधी
पुजा विधी करने के लीये सबसे पहले पूजा की वस्तुएं और कुंडली पुजारी के हाथों मे दे दी जाती है और इसके बाद वह माला चढ़ाते हुए अर्चना करते है | एक मंगलेश्वर को, दूसरी मंगलाम्बिकई को और तीसरी मंगल्या महर्षि की पुजा की जाती है | जब शादी तय हो जाती है, तो सबसे पहले आमंत्रित व्यक्ति मंगल्या महर्षि होते है | इसलीये निमंत्रण कार्ड को मंदिर में ले जाना चाहिए और फिर उनके चरणों में रखकर उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि वे शादी के दिन जोड़े को आशीर्वाद दे | शादी सफल होने के बाद दोनों जोड़ों को अपनी प्रशंसा दिखाने के लिए मंदिर मे दर्शन करने अवश्य जाना चाहिए |
मंगलेश्वर मंदिर में पूजा के लाभ
मंगलेश्वर मंदिर में उन लोगों के लिए एक विशेष परिहार पूजा है जिनके विवाह मे देरी हो रही है | जैसे-जैसे प्रतिकूल ग्रह के प्रभाव समाप्त होते है, इस पूजा को करने के बाद उनके जीवन में बहुत सुधार देखने को मिलता है | ऐसा माना जाता है कि यहाँ मंगल्या महर्षि विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करते है |
How To Reach Sri Mangalyswarar Temple
हवाई मार्ग : मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदिक हवाई अड्डा त्रिची हवाई अड्डा है जो मंदिर से 28 किमी की दूरी पर है |
सडक मार्ग : मंगलेश्वर मंदिर, ईदयाथुमंगलम तक पहुंचने के लीये आपको लालगुडी से टाउन बस और ऑटो की सुविधा उपलब्ध है | मंदिर लालगुडी से लगभग 4 किलोमीटरअंतर पर स्थित है, मेन गार्ड गेट से 20 किलोमीटर, तिरुचिरापल्ली से 26 किलोमीटर, तंजावुर से 50.3 किलोमीटर और चेन्नई से 321 किलोमीटर दूरी पर है |
ट्रेन से : मंगलेश्वर मंदिर, ईदयाथुमंगलम तक पहुंचने के लीये सबसे नजदिक का रेलवे स्टेशन लालगुडी और रेलवे जंक्शन तिरुचिरापल्ली है |
निष्कर्ष
इस मंदिर की मान्यता है कि मंगलेश्वर मंदिर अनुयायियों के लिए अपने महत्व को मजबूत करता है और भक्त को अपनी यात्रा पर जाने और इस पवित्र स्थान के आसपास के आध्यात्मिक माहौल में आने के लिए प्रेरित करता है | यह लेख उन लोगों के लिए दिशा और प्रेरणा का स्रोत है जो एडयाथुमंगलम में मंगलेश्वर मंदिर में अपने वैवाहिक जीवन सुखी चाहते है |