Dakshineswar Kali Mandir Kolkata दक्षिणेश्वर मंदिर हिन्दू आस्था का प्रमुख केन्द्र धार्मिक तीर्थस्थल है | यह मंदिर कोलकाता का प्रमुख मंदिर मे से एक है | इस मंदिर की मान्यता पुरी दुनियाभर मे लोकप्रिय है | मंदिर की मुख्य देवता हिन्दू देवी काली माता है | काली माता को समर्पित यह मंदिर धार्मिक दृष्टिकोन से महत्वपूर्ण है | आज के इस लेख मे हम आपको Dakshineswar Kali Mandir Kolkata के बारे मे बताने वाले है |
Dakshineswar Kali Mandir Kolkata दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता
दक्षिणेश्वर काली मंदिर बेलूर मठ से नदी के दूसरी ओर स्थित है | यह मंदिर सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है | इस सुंदर हुगली नदी पर यह एक क्रीम और लाल रंग का काली मंदिर है | मंदिर का आकार सेक्रे-कोर जैसा है | इस मंदिर मे हमेशा मां के भक्तो की भीड उमड आती देखने को मिलती है | हफ्ते के रविवार के दिन यहा लंबी कतारें माता के दर्शन के लीये लगती है | यह मंदिर सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला रहता है |
साल 1847 में एक अमीर और धर्मपरायण विधवा, रानी रश्मोनी द्वारा यह मंदिर का निर्माण कराया गया है | शुरू में रूढ़िवादी धार्मिक लोगो द्वारा इसे विरोध किया गया था | क्योंकि वह ब्राह्मण जाती की नही थी | इस वजह से कोई भी ब्राह्मण मंदिर का पुजारी बनने को तैयार नहीं हुआ |
एक बालक रामकृष्ण परमहंस पुजारी बने | उन्होंने कई वर्ष वहाँ पर बिताए | उन्होने अपने सभी धर्मों की अनिवार्य एकता के दर्शन का प्रचार और विकास किया था | मंदिर परिसर में उनका कमरा अभी वर्तमान समय मे मूल स्थिति में संरक्षित किया हुआ है | अब यह विशेष ध्यानपूर्ण श्रद्धा का स्थान बन गया है |
मंदिर की वास्तूकला
Dakshineswar Kali Mandir Kolkata प्रभावशाली सफ़ेद रंग का यह मंदिर एक ऊँचे चबूतरे पर स्थापित है | इसके ऊपर नौ गुंबद है | छत, अपनी गोल कंगनी की पंक्ति के साथ, आकाश के सामने प्रभावशाली रूप से खड़ी देखने को मिलती है | गर्भगृह के अंदर देवी काली के अवतार, भबतारिणी की एक सुंदर छवि है |
भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के खूबसूरत फूल है | जिसकी हजार पंखुड़ियाँ हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित भगवान शिव के ऊपर खड़ी हुई देखने को मिलती है | काली माँ का मंदिर नवरत्न की तरह निर्मित है | यह 46 फुट चौड़ा तथा लगभग 100 फुट ऊँचा है |
दक्षिणेश्वर काली मंदिर की विशेषता
51 शक्तिपीठों में से एक है यह मंदिर
हुगली नदी के तट स्थित यह काली माता मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से है | धार्मिक मान्यता के अनुसार जब विष्णु भगवान ने मां सती के शव के टुकड़े किए थे | उस समय की दाएं पांव की चार उंगलियां गिरी थी | इस मंदिर को मां काली का दिव्य धाम भी माना जाता है |
नौ गुंबदों पर बना है मंदिर
यह धार्मिक तीर्थस्थल किसी सिद्ध स्थान से कम नहीं है | भारत के सबसे महान देवी तीर्थों में दक्षिणेश्वर काली मंदिर का महत्वपूर्ण स्थान है | यह मंदिर दो मंजिला मंदिर है और नौ गुंबदों पर बनाया गया है | इन गुंबदों पर खड़े लगभग सौ फीट ऊंचे मंदिर के गर्भगृह में मां काली की सुंदर मूर्ति स्थित है | काली मां की मूर्ति लेटे हुए भगवान शिव की छाती पर खड़ी देखने को मिलती है |
तांत्रिक गतिविधियों के लीये प्रसिद्ध है मंदिर
मां काली का यह मंदिर तांत्रिकों के लिए काफी महत्वपूर्ण है | साल भर मे ऊनका यहा पर आना – जाना रहता है | पुरे भारत भर से सैकड़ों तांत्रिक इस मंदिर मे आकर काली मां की पूजा करते है |
दक्षिणेश्वर काली मंदिर के दर्शन के लिए सालभर भक्तजनों की भीड़ लगी रहती है। मां काली का यह मंदिर तांत्रिकों के लिए काफी महत्वपूर्ण तीर्थ है और उनका यहां साल भर आना-जाना लगा रहता है। वहीं यहां सैकड़ों तांत्रिक पूरे भारत से आ कर काली मां की पूजा करते हैं।
रामकृष्ण परमहंस की रही है कर्मभूमि
यह मन्दिर, प्रख्यात धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि है | वो बंगाली अथवा हिन्दू नवजागरण के प्रमुख सूत्रधारों में से एक,दार्शनिक, धर्मगुरु,और रामकृष्ण मिशन के संस्थापक, स्वामी विवेकानंद के गुरु थे | स्वामी रामकृष्ण परमहंस इस मंदिर के प्रधान पुरोहित रहे है | उन्होने इस मंदिर को ही अपना साधनास्थल बनाया था | इस मन्दिर की प्रतिष्ठा और ख्याति का प्रमुख कारण स्वामी रामकृष्ण परमहंस से जुड़ा है |
मंदिर प्रांगण
यह मंदिर हुगली नदी के तट पर स्थित है | मुख्य मंदिर के पास अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन के लिए भक्तजन की भीड़ लगी रहती है | दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है | भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है | मंदिर की उत्तर दिशा में राधाकृष्ण का दालान है | पश्चिम दिशा की ओर बारह शिव मंदिर बंगाल के अटचाला रूप छ: मंदिर घाट के दोनों ओर स्थित है |
दक्षिणेश्वर काली मंदिर के आस-पास के मंदिर
नदी के किनारे पर परिसर में, 12 छोटे मंदिर हैं, जिनमें से भगवान शिव को समर्पित है और आपको यहा राधा और कृष्ण के मंदिर भी देखने को मिल जाएंगे |
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दक्षिणेश्वर काली मंदिर तक कैसे पहुंचे ?
हवाई मार्ग : कोलकाता हवाई अड्डा सबसे नजदिक है | यह बंगलोर, मुंबई, दिल्ली, पटना, चेन्नई सहित सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है |
ट्रेन से : दक्षिणेश्वर काली मंदिर तक पहुंचने का सबसे सरल और तेज़ तरीका हावड़ा ट्रेन है | स्टेशन से दक्षिणेश्वर ट्रेन स्टेशन तक तीन उपनगरीय ट्रेनों में से एक लेना होगा | मंदिर यात्रा में लगभग 30 मिनट लगते है,और ट्रेन स्टेशन से मंदिर तक पैदल थोड़ी ही दूरी पर है |
सड़क मार्ग : सडक से प्रमुख शहरों से कोलकाता जाया जा सकता है | स्थानीय वाहन से कोलकाता में मीटर से टैक्सी चलती है | बस, मेट्रो रेल, साइकल रिक्शा तथा ऑटो रिक्शा की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते है |
मंदिर का समय
मंदिर सुबह 6:30 से दोपहर 12:00 बजे तक और दोपहर 3:00 से रात 8:30 बजे तक हर दिन भक्तो के लीये खुला रहता है | मंदिर मे प्रवेश नि:शुल्क होता है | मंदिर की यात्रा के लीये सबसे अच्छा समय रविवार का है |
मंदिर का पुरा पता : रानी रश्मोनी रोड, दक्षिणेश्वर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत |
FAQ
दक्षिणेश्वर काली मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ?
यह मंदिर 19वीं सदी के बंगाल के रहस्यवादी रामकृष्ण और माँ शारदा देवी से जुड़े होने के कारण से जाना जाता है | पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के तट पर मंदिर परिसर है। मुख्य मंदिर टॉलीगंज में नवरत्न शैली के राधाकांत मंदिर से प्रेरित है, जिसे बावली राज परिवार के बाबू रामनाथ मंडल ने बनवाया था |
दक्षिणेश्वर में सती का कौन सा अंग गिरा था ?
कालीघाट वह स्थान है, जहाँ दक्षिणायनी या सती के दाहिने पैर की उंगलियाँ गिरी थीं और यही शक्ति पिठो मे से एक स्थान है |
कोलकाता में काली माता की कहानी क्या है ?
भगवान विष्णु ने जब सती के शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया था, तब वे टुकड़े धरती पर आकर गिर गए थे | ऐसा माना जाता है कि, कालीघाट वह स्थान है जहाँ सती के दाहिने पैर की उंगलियाँ गिरी थीं | देवी काली को हिंदू धर्म रक्षक और एक विध्वंसक के रूप में भी जाना जाता है |
क्या दक्षिणेश्वर काली एक शक्ति पीठ है ?
हां, यह मध्य कोलकाता में स्थित शक्ति पीठों में से एक है | यह दोपहर 2 से 5 बजे तक बंद रहता है |
माँ काली की जीभ बाहर क्यों है ?
जब मां काली ने अपने पति शिव को अपने पैर के नीचे देखा, तो माता को एहसास हुआ कि वह बहुत आगे निकल गई है | अपने द्वारा किए गए नुकसान के लिए दुःख से भरी हुई, रक्त-लाल जीभ मुंह से लटकी हुई थी, जिससे वह शांत हो गई |