Dakshineswar Kali Mandir Kolkata दक्षिणेश्वर मंदिर हिन्दू आस्था का प्रमुख केन्द्र धार्मिक तीर्थस्थल है | यह मंदिर कोलकाता का प्रमुख मंदिर मे से एक है | इस मंदिर की मान्यता पुरी दुनियाभर मे लोकप्रिय है | मंदिर की मुख्य देवता हिन्दू देवी काली माता है | काली माता को समर्पित यह मंदिर धार्मिक दृष्टिकोन से महत्वपूर्ण है | आज के इस लेख मे हम आपको Dakshineswar Kali Mandir Kolkata के बारे मे बताने वाले है |
Dakshineswar Kali Mandir Kolkata History
Dakshineswar Kali Mandir Kolkata दक्षिणेश्वर काली मंदिर की स्थापना 1855 में रानी रासमणि ने की थी। कहानी के अनुसार, 1847 में, जब रानी रासमणि वाराणसी की तीर्थ यात्रा पर जाने की तैयारी कर रही थीं, तो उन्हें एक स्वप्न में देवी काली ने दर्शन दिए। देवी ने उन्हें निर्देश दिया कि वे गंगा नदी के किनारे एक सुंदर मंदिर का निर्माण करें और वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करें। इस स्वप्न के बाद, रानी ने हुगली नदी के पूर्वी तट पर 20 एकड़ भूमि खरीदी और मंदिर का निर्माण शुरू किया।

मंदिर की वास्तूकला
Dakshineswar Kali Mandir Kolkata दक्षिणेश्वर काली मंदिर बंगाल स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर की पारंपरिक नौ शिखर शैली में बनाया गया है। तीन मंजिला यह दक्षिणमुखी मंदिर ऊपरी दो मंजिलों में नौ शिखरों के साथ सुसज्जित है। मंदिर एक ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थित है, जिसमें सीढ़ियों की एक श्रृंखला है। गर्भगृह में देवी भवतारिणी की प्रतिमा भगवान शिव पर खड़ी हुई है, जो चांदी के हजार पंखुड़ियों वाले कमल के फूल पर स्थापित है।

दक्षिणेश्वर काली मंदिर की विशेषता
51 शक्तिपीठों में से एक है यह मंदिर
हुगली नदी के तट स्थित यह काली माता मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से है | धार्मिक मान्यता के अनुसार जब विष्णु भगवान ने मां सती के शव के टुकड़े किए थे | उस समय की दाएं पांव की चार उंगलियां गिरी थी | इस मंदिर को मां काली का दिव्य धाम भी माना जाता है |
दक्षिणेश्वर काली मंदिर की दीवारों पर सुंदर कलाकृतियां बनी हुई हैं, जो इसकी भव्यता में चार चांद लगाती हैं। रात में विशेष लाइटिंग के कारण यह मंदिर सोने की तरह चमकता है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है। मंदिर के पास पूजा सामग्री की 100 से अधिक दुकानें हैं, जहां से भक्त अपनी आवश्यकताओं की वस्तुएं खरीद सकते हैं।

मंदिर परिसर
Dakshineswar Kali Mandir Kolkata मुख्य मंदिर के आसपास 12 शिव मंदिर हैं, जो एक सुंदर आंगन का निर्माण करते हैं। इन शिव मंदिरों की उपस्थिति से दक्षिणेश्वर मंदिर की डिजाइन और भी विशिष्ट हो जाती है। मंदिर के पास गंगा नदी बहती है, जहां भक्त अपने हाथ-पैर धोकर मां गंगा का आशीर्वाद लेते हैं और फिर मां काली के दर्शन करने जाते हैं।
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श्री रामकृष्ण परमहंस का संबंध
दक्षिणेश्वर काली मंदिर का श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जी के साथ गहरा संबंध है। श्री रामकृष्ण परमहंस इस मंदिर के पुजारी थे और कहा जाता है कि उन्हें यहां मां काली के साक्षात दर्शन हुए थे। उनकी आध्यात्मिक साधनाओं और शिक्षाओं ने इस मंदिर को विशेष महत्व प्रदान किया है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर तक कैसे पहुंचे ?
हवाई मार्ग : कोलकाता हवाई अड्डा सबसे नजदिक है | यह बंगलोर, मुंबई, दिल्ली, पटना, चेन्नई सहित सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है |
ट्रेन से : दक्षिणेश्वर काली मंदिर तक पहुंचने का सबसे सरल और तेज़ तरीका हावड़ा ट्रेन है | स्टेशन से दक्षिणेश्वर ट्रेन स्टेशन तक तीन उपनगरीय ट्रेनों में से एक लेना होगा | मंदिर यात्रा में लगभग 30 मिनट लगते है,और ट्रेन स्टेशन से मंदिर तक पैदल थोड़ी ही दूरी पर है |
सड़क मार्ग : सडक से प्रमुख शहरों से कोलकाता जाया जा सकता है | स्थानीय वाहन से कोलकाता में मीटर से टैक्सी चलती है | बस, मेट्रो रेल, साइकल रिक्शा तथा ऑटो रिक्शा की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते है |
दर्शन का समय और अन्य जानकारी
मंदिर सुबह 6:30 से दोपहर 12:00 बजे तक और दोपहर 3:00 से रात 8:30 बजे तक हर दिन भक्तो के लीये खुला रहता है | मंदिर मे प्रवेश नि:शुल्क होता है | मंदिर की यात्रा के लीये सबसे अच्छा समय रविवार का है |
कोलकाता काली मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मां काली की दिव्य उपस्थिति का अनुभव कराता है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और कहा जाता है कि यहां माता सती के दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थीं।
मंदिर का पुरा पता : रानी रश्मोनी रोड, दक्षिणेश्वर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत |
निष्कर्ष
Dakshineswar Kali Mandir Kolkata दक्षिणेश्वर काली मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए, बल्कि अपनी अद्वितीय वास्तुकला और इतिहास के लिए भी प्रसिद्ध है। यदि आप कोलकाता आते हैं, तो इस दिव्य स्थान के दर्शन अवश्य करें और मां काली का आशीर्वाद प्राप्त करें।
FAQ
दक्षिणेश्वर काली मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ?
यह मंदिर 19वीं सदी के बंगाल के रहस्यवादी रामकृष्ण और माँ शारदा देवी से जुड़े होने के कारण से जाना जाता है | पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के तट पर मंदिर परिसर है। मुख्य मंदिर टॉलीगंज में नवरत्न शैली के राधाकांत मंदिर से प्रेरित है, जिसे बावली राज परिवार के बाबू रामनाथ मंडल ने बनवाया था |
दक्षिणेश्वर में सती का कौन सा अंग गिरा था ?
कालीघाट वह स्थान है, जहाँ दक्षिणायनी या सती के दाहिने पैर की उंगलियाँ गिरी थीं और यही शक्ति पिठो मे से एक स्थान है |
कोलकाता में काली माता की कहानी क्या है ?
भगवान विष्णु ने जब सती के शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया था, तब वे टुकड़े धरती पर आकर गिर गए थे | ऐसा माना जाता है कि, कालीघाट वह स्थान है जहाँ सती के दाहिने पैर की उंगलियाँ गिरी थीं | देवी काली को हिंदू धर्म रक्षक और एक विध्वंसक के रूप में भी जाना जाता है |
क्या दक्षिणेश्वर काली एक शक्ति पीठ है ?
हां, यह मध्य कोलकाता में स्थित शक्ति पीठों में से एक है | यह दोपहर 2 से 5 बजे तक बंद रहता है |
माँ काली की जीभ बाहर क्यों है ?
जब मां काली ने अपने पति शिव को अपने पैर के नीचे देखा, तो माता को एहसास हुआ कि वह बहुत आगे निकल गई है | अपने द्वारा किए गए नुकसान के लिए दुःख से भरी हुई, रक्त-लाल जीभ मुंह से लटकी हुई थी, जिससे वह शांत हो गई |