Durga Temple Varanasi हम आपको काशी नगरी के एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके हवन कुंड का रहस्य रक्त से जुड़ा हुआ है। जी हाँ दोस्तों, इस रहस्य के पीछे की कहानी जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।
दोस्तों, काशी नगरी एक ऐसी धार्मिक नगरी है, जहां कदम रखते ही भक्ति में डूब जाते हैं। बाबा विश्वनाथ की काशी नगरी का कोई मुकाबला नहीं है। कहा जाता है कि भगवान शिव के त्रिशूल पर यह काशी नगरी टिकी हुई है और तीन बार स्वर्ग जा चुकी है। हालांकि काशी नगरी बाबा विश्वनाथ के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसके अलावा इसमें कई मंदिर हैं, और आज हम एक ऐसे ही रहस्यमयी काशी नगरी के मंदिर के बारे में वीडियो लाए हैं। यह मंदिर दुनिया भर में दुर्गा कुंड मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इसमें मां शक्ति अदृश्य रूप में विराजमान हैं। मां का यह सिद्ध मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है।
दुर्गा कुंड मंदिर का इतिहास
Durga Temple Varanasi दुर्गा कुंड मंदिर काशी के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का उल्लेख काशी खंड में मिलता है। यह मंदिर वाराणसी कैंट स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लाल पत्थरों से बने इस भव्य मंदिर के एक ओर दुर्गा कुंड है और दूसरी ओर मां दुर्गा यंत्र रूप में विराजमान हैं। मंदिर के पास बाबा भैरवनाथ, लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और मां काली की मूर्तियाँ अलग-अलग मंदिरों में स्थापित हैं।
मंदिर के अंदर एक विशाल हवन-कुंड भी है, जहां प्रतिदिन हवन किया जाता है। कुछ लोग यहाँ तंत्र पूजा के लिए भी आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में देवी की तेजस्विता इतनी प्रचंड है कि मात्र देवी के सामने खड़े होकर दर्शन करने से ही कई जन्मों के पाप जलकर राख हो जाते हैं।
पुरातन काल से है यह मंदिर
Durga Temple Varanasi यह मंदिर आदिकाल से स्थित है | मां ने असुर शुंभ और निशुंभ का वध किया था, तो उन्होने यही इसी स्थान पर विश्राम किया था | वह मंदिर मे शक्ति स्वरूप में विराजमान है | आदिकाल से यहा पर सिर्फ तीन मंदिर ही थे, जिसमें पहला काशी विश्वनाथ, दूसरा मां अन्नपूर्णा, और तीसरा दुर्गा मंदिर है | यहा की ऐसी मान्यता है, की यहा पर तंत्र पूजा भी की जाती है | प्रतिदिन इस देवी कुंड मे हवन होता है |
दुर्गा कुंड का रहस्य
Durga Temple Varanasi मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक अद्भुत कहानी भी बताई जाती है। कहा जाता है कि अयोध्या के राजकुमार सुदर्शन का विवाह काशी नरेश की पुत्री से कराने के लिए माता ने सुदर्शन का विरोध करने वाले राजाओं का वध कर उनके रक्त से कोण को भर दिया, इसलिए लोग इसे रक्त कोण भी कहते हैं। बाद में राधा स्वामी व्यास ने तमिलनाडु में एक मंदिर का निर्माण करवाया, जिसके बाद महारानी भवानी ने इसका पुनर्निर्माण करवाया।
मंदिर की स्थापना और वास्तुकला
Durga Temple Varanasi इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में बंगाल की महारानी भवानी ने करवाया था। यह मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली में बना है, जिसमें बहु-स्तरीय शिखर हैं। मंदिर का लाल रंग देवी दुर्गा के रंग का प्रतीक है। मंदिर के पास स्थित दुर्गा कुंड इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है। कुंड के चारों ओर पत्थर की सीढ़ियाँ हैं और प्रत्येक कोने पर प्रहरी स्तंभ हैं।

माता दुर्गा शक्ति ( भगवान शिव की पत्नी पार्वती ) का अवतार है, जिसका अर्थ स्त्री शक्ति होता है | माता दुर्गा लाल रंग की पोशाक पहनती है, अपना वाहन बाघ पर सवार होकर शिव के त्रिशूल, विष्णु के चक्र, तलवार आदि से पूरी तरह सुसज्जित होती है | दुर्गा घाट वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है | जिसका निर्माण 1772 में एक संत नारायण दीक्षित ने कराया था |
मंदिर की विशेषताएँ
Durga Temple Varanasi मंदिर की वास्तुकला बीसा यंत्र पर आधारित है, जिसका अर्थ है 20 कोणों की आंतरिक संरचना, जिस पर मंदिर की नींव रखी गई है। दुर्गा कुंड मंदिर वास्तव में अद्भुत है। यहाँ तांत्रिक पूजा भी की जाती है। मंदिर के अंदर एक विशाल हवन-कुंड है, जहां प्रतिदिन हवन किया जाता है। कुछ लोग यहाँ तंत्र पूजा के लिए भी आते हैं।

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दुर्गा कुंड मंदिर का धार्मिक महत्व
Durga Temple Varanasi दुर्गा कुंड मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यंत उच्च है। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं। कहा जाता है कि यहाँ की गई पूजा और हवन से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इसके अलावा, यहाँ तांत्रिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जो इस मंदिर को और भी विशेष बनाते हैं।
दुर्गा कुंड मंदिर की मान्यताएँ
मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहाँ की देवी स्वयंभू हैं, अर्थात उनकी मूर्ति मानव निर्मित नहीं है, बल्कि स्वयं प्रकट हुई है। इस कारण से यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसके अलावा, यहाँ के हवन-कुंड के बारे में कहा जाता है कि यह रक्त से बना है, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाता है।
दुर्गा कुंड के आसपास के मंदिर
वाराणसी में दुर्गा कुंड के आसपास कई मंदिर है, जहां आप दर्शन के लिए जा सकते है | जिसमें संकट मोचन, तुलसी मानस मंदिर आदि शामिल है | दुर्गा कुंड पहुंचने के बाद इन मंदिरों के दर्शन आसानी से किये जा सकते है |
कैसे पहुँचें ?
Durga Temple Varanasi यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के लिए एक लोकप्रिय धार्मिक तीर्थ स्थल है, और यह पूरे वर्ष भक्तों को आकर्षित करता रहता है | मंदिर तक वाराणसी के विभिन्न हिस्सों से सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है |
वाराणसी से विभिन्न स्थानों की दूरी
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से 3.3 किलोमीटर,
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 2 किलोमीटर और
वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर
मंदिर का पुर पता : 27, दुर्गाकुंड रोड, दुर्गाकुंड, आनंदबाग, भेलूपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 221005
श्री दुर्गा कुंड मंदिर दर्शन का समय
श्री दुर्गा मंदिर सप्ताह के सभी सातों दिन दर्शन के लिए तय समय पर भक्तों के लिए खुला रहता है | माँ दुर्गा का मंदिर प्रतिदिन सुबह 5 बजेसे मंगला आरती के बाद खुलता है और फिर सायं 10 बजे सायं आरती करने के बाद बंद किया जाता है |
श्री दुर्गा कुंड मंदिर की आरती का समय
मंदिर मे चार तरह की आरती की जाती है |
मंगला आरती : सुबह 4:00 बजे
भोग आरती : दोपहर 12:00 बजे
संध्या आरती : शाम 07:00 बजे
सयान आरती : रात 11:00 बजे
कैसे पहुँचें : आप ऑटो, रिक्शा या टैक्सी से जा सकते है | यह बीएचयू से 2 किमी और कैंट वाराणसी से 13 किमी की दूरी पर है |
मंदिर में जाने का सही समय
साल में कभी भी सुबह 7:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक आप मंदिर मे दर्शन के लीये जा सकते है |
दुर्गा कुंड मंदिर की यात्रा कैसे करें
दुर्गा कुंड मंदिर वाराणसी कैंट स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए आप ऑटो, टैक्सी या सिटी बस का उपयोग कर सकते हैं। मंदिर के आसपास कई होटल और गेस्ट हाउस भी हैं, जहाँ आप ठहर सकते हैं।
निष्कर्ष
Durga Temple Varanasi वाराणसी में श्री दुर्गा कुंड मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का स्थान है, बल्कि एक वास्तुशिल्प चमत्कार भी है जो भारत की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है |