Famous vishnu temmples in india
Famous vishnu temples in india : हिंदू धर्म मे ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन त्रिदेवों के मंदिर पुरे भारत देश मे अलग अलग स्थान पर स्थित है | ब्रम्हा और शिव के साथ ब्रह्मांड की त्रिमूर्ति का निर्माण करते हुए, विष्णु जी की पूजा प्राचीन काल से की जाती रही है | पुरे देश मे ब्रम्हा जी का एकमात्र मंदिर है और भगवान शिवजी के 12 ज्योर्तिलिंग काफी लोकप्रिय है |
जगत के निर्माता भगवान विष्णु जी के भी मंदिर पुरे भारत भर मे है | भगवान विष्णु को सृष्टि का संचालक कहा जाता है, इनके कई अवतार देश के अलग अलग कोनों में स्थित है | इन मंदिरो मे उनकी सदा कृपा बरसती रहती है | आज के इस लेख मे हम आपको भगवान विष्णु जी के Famous vishnu temmples in india बारे मे बत्ताने वाले है | इनमे टॉप 10 विष्णु भगवान चारधाम यात्रा मंदिर के बारे मे बताया गया है |
Badrinath Temple, Uttarakhand
Famous vishnu temples in india : बद्रीनाथ मंदिर / बद्री विशाल, उत्तराखंड
Badrinath Temple, Uttarakhand : बद्रि के रूप मे भगवान विष्णु को समर्पित सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है | इस मंदिर मे हर साल मे 6 महीने मे दुनिया के तीर्थयात्रियों की एक बड़ी भीड़ होती है | तीर्थयात्री पवित्र नडी अलकनंदा मे स्नान करके मोक्ष प्राप्त करने यहा पर आते है | चारधाम यात्रा मे से ही एक महत्वपूर्ण धाम है यह बद्रीनाथ मंदिर | श्री बदरीनाथ धाम (Badrinath Temple, Uttarakhand ) उत्तराखण्ड प्रदेश के चमोली के उत्तरी भाग में हिमाच्छादित पर्वत के मध्य मे है | इस मंदिर का वर्णन धार्मिक ग्रंथ मे भी किया गया है | स्कन्द पुराण, केदारखण्ड, श्रीमद्भागवत इस धाम के बारे मे पूर्ण रूप से बताया गया है |
ऐसा कहा जाता है की, महाबली राक्षस के अत्याचारों से परेशान होकर ऋषि-मुनियों की विनंती के पर भगवान विष्णु ने दक्ष प्रजापति की पुत्री मातामूर्ति के पेट से नर-नारायण के रूप जगत कल्याण के लिए अवतार लिया | यह मंदिर पवित्र अलकनंदा नदी के तट पर है | मंदिर मे भगवान बदरीनाथ जी की शालिग्राम पत्थर से बनाई हुई स्वयंभू मूर्ती है | यह मूर्ती मूर्ति चतुर्भुज अर्द्धपद्मासन ध्यानमगन मुद्रा स्थित है | विष्णुजी ने नारायण रूप में सतयुग मे यहाँ पर तपस्या की थी | हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख धर्म के श्रद्धालु तीर्थयात्री यहा आयकर बडी श्रद्धा से दर्शन करने आते है |
Badrinath Temple, Uttarakhand : सतयुग में यह क्षेत्र मुक्तिप्रदा, त्रेतायुग में योगसिद्धिदा, द्वापरयुग में विशाला और कलयुग में बदरिकाश्रम के नाम से विख्यात हुआ था | ग्रीष्म ऋतु मे यह मंदिर बर्फ से ढक जाता है , इसलीये इसे 6 महीने के लीये बंद कर दिया जाता है | इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा तब देवर्षि नारद जी स्वयं करते हैं | मंदिर बंद होने बावजूद भी मंदिर मे अखण्ड ज्योति जलती रहती है और नारद जी भगवान विष्णु जी की पुजा और प्रसाद की व्यवस्था करते है |
इसलीये इसे नारद क्षेत्र से के नाम से भी पहचना जाता है | 6 महीने के बाद जब मंदिर के दरवाजे खुलते है तब अखंड ज्योति जलती रहती है और इसके दर्शन करने के लीये देश-विदेश से श्रद्धालु यहा पर आते है |
Badrinath Temple, Uttarakhand : बद्रीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार आदिगुरू शंकराचार्य जी ने किया था | आदिगुरू शंकराचार्य जी ने ज्योतिष्पीठ की स्थापना की थी | पास के ही व्यासगुफा में शंकराचार्य जी ने चार वर्षों तक रहकर
ब्रह्मसूत्र, गीता, उपनिषद सनत्शुजातीय पर भाष्य लिखा था | शंकराचार्य जी के काल से शुद्ध वैष्णव पद्धति से भगवान विष्णु की पुजा की जाती है | प्रमुख पुजारी रावल नाम से जाने जाते है | यह प्रमुख पुजारी शंकराचार्य के वंशजों में से शुद्ध ब्राह्मण है |
मंदिर का समय : बद्रीनाथ मंदिर दर्शन कर लिये सुबह 4:30 – 6:30 / 6:30 – दोपहर 12 – 3:00 / 6:00 – 9:00 रात बजे तक खुला रहता है |
घूमने का सबसे अच्छा समय : बद्रीनाथ मंदिर मे
घूमने का सबसे अच्छा समय मई-जुलाई और सितंबर-नवंबर महीने का समय अच्छा होता है |
प्रवेश शुल्क : मंदिर प्रवेश के लीये कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता |
यात्रा की अवधि : मंदिर को पुरा देखने के लीये 1 से 2 घंटे का समय लगता है |
Ranganathaswamy Temple, Karnataka
Famous vishnu temples in india : रंगनाथस्वामी मंदिर, कर्नाटक
Ranganathaswamy Temple, Karnataka : रंगनाथस्वामी मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में श्री रंगम की पावन भूमि पर स्थित है | यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध है | मंदिर तिरुचिरापल्ली शहर के ‘श्रीरंगम’ द्वीप पर स्थित है | यह ‘भू-लोक वैकुण्ठ’ नाम से भी जाना जाता है | श्री रंगनाथ स्वामी समर्पित यह मंदिर 108 दिव्य देश्मों में से एक है | पुरे 156 एकड़ के क्षेत्र में बना यह मंदिर शानदार वास्तुशिल्प के लिए लोकप्रिय है | भारत मे सबसे बडा और सबसे बडे मंदिरो मे इसे जाना जाता है | मंदिर का निर्माण 1987 में बनकर तैयार हुआ और भगवान विष्णु की मूर्ति हुए रूप में दिखाई देती है |
Ranganathaswamy Temple, Karnataka : इस मंदिर को द्रविड़ वास्तुकला का उपयोग करके बनाया गया है | मंदिर की दीवारों पर पौराणिक घटना, प्राचीन कलाकृति और नक्काशी का रंगीन चित्रण किया गया है | अन्य देवी-देवताओं को समर्पित 50 से अधिक मंदिर यहा पर हमे दिखाई देते है |
मंदिर का समय: सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक / दोपहर 1:15 बजे से शाम 6 बजे तक / शाम 6:45 बजे से रात 9 बजे तक
घूमने का सबसे अच्छा समय : मंदिर मे घुमने आने के लीये सबसे अच्छा समय अगस्त-मार्च महीने का माना जाता है |
यात्रा की अवधि : मंदिर को पुरा देखने और दर्शन करने के लीये 2 से 3 घंटे का समय लग जाता है |
प्रवेश शुल्क : मंदिर मे दर्शन करने के लीये कोई प्रवेश शुल्क नहीं होता है |
Padmanabhaswamy Temple, Kerala
Famous vishnu temples in india : पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
Padmanabhaswamy Temple, Kerala : केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम मे श्री पद्मनाथ स्वामी भगवान विष्णु समर्पित मंदिर है | ‘ तिरुवनंतपुरम ’ का शाब्दिक अर्थ है, श्री अनंत पद्मनाभस्वामी की भूमि | मंदिर को केरल और द्रविड़ वास्तुशिल्प शैली बनाया गया है, यह द्रविड़ वास्तुशिल्प शैली उत्तम उदाहरण है | इस मंदिर को दुनिया का सबसे धनवान मंदिर से पहचना जाता है |
मार्तंड वर्मा जो त्रावणकोर के प्रसिद्ध राजा थे, इन्होने दिर का पुनर्निर्माण किया था | श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास 8 वीं सदी से मिलता है | यह मंदिर भगवान विष्णु के 108 पवित्र मंदिरों में एक है जिसे भारत का दिव्य देसम भी कहा जाता है | दिव्य देसम भगवान विष्णु का सबसे पवित्र निवास स्थान है | मंदिर मे गवान विष्णु भुजंग सर्प अनंत पर लेटे हुए हैं दिखाई देते है | यह मंदिर
जो परशुराम के सात क्षेत्रों में से एक है यही पर मंदिर स्थित है | स्कंद पुराण और पद्म पुराण में इस पद्मनाभस्वामी मंदिर का वर्णन किया गया है |
Padmanabhaswamy Temple, Kerala : श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की देवता की अपनी विशेषता के लिए जानी जाती है | जिसमें 12008 शालिग्राम हैं | इन 12008 शालिग्राम को नेपाल की गंधकी नदी के किनारों से लाया गया था | श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का गर्भगृह एकही चट्टान पर स्थित है और मुख्य प्रतिमा जो लगभग 18 फीट लंबी है | मंदिर के पहले दरवाजे से भगवान का सिर और सीना देखा जा सकता है जबकि दूसरे दरवाजे से हाथ और तीसरे दरवाजे से पैर देख सकते है |
मंदिर का समय : मंदिर का दर्शन के लीये खुलने का समय सुबह 6:30 -7:00 / 8:20 – 10:00 / 10:30 – 11:10 / शाम 5:00 – 6:15 / 6:45 – 7:00 रात बजे तक का है |
नोट करें कि त्यौहारों के समय मंदिर में पूजा करने के समय बदलते रहते है |
घूमने का सबसे अच्छा समय : पद्मनाभस्वामी मंदिर आने के लीये अक्टूबर-अप्रैल महीने का समय मंदिर के दर्शन करने आने के लीये सही समय है |
प्रवेश शुल्क : मंदिर मे प्रवेश के लीये कोई प्रवेश शुल्क नही लिया जाता |
यात्रा की अवधि : मंदिर की पुरी यात्रा करने के लीये 2 से 3 घंटे का समय लगता है |
Jagannath Temple, Odisha
Famous vishnu temples in india : जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा
Jagannath Temple, Odisha : जगन्नाथ मंदिर वैष्णव परंपरा से जुड़े लोगों के लिए सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है | इस धाम की यात्रा के लीये निकलने वाली रथ यात्रा में हर साल लाखों लोग आते है | इस मंदिर मे श्री कृष्ण को धरती के बैकुंठ स्वरूप रूप में माना जाता है | मंदिर काफी पुराने समय का है | ऐसा माना जाता है की इस मंदिर की मूर्तियों में आज भी भगवान श्रीकृष्ण का दिल धड़कता है | यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, उन्हें जगन्नाथ धाम के नाम से जाना जाता है | चार प्रमुख तीर्थ मे से जगन्नाथ मंदिर धाम है | मंदिर मे हमे भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्ति के दर्शन होते है |
मंदिर के रहस्य : Jagannath Temple, Odisha
1) जगन्नाथ मंदिर की ऊंचाई करीब 214 फीट है | सामान्यतः पशु पक्षियों की परछाई पडनी चाहिये लेकिन मंदिर के शिखर की छाया हमेशा गायब ही रहती है |
2) इस मंदिर के उपर से कभी कोई पक्षी और कोई हवाई जहाज उड़ता नही है, यहा तक की कोई भी पक्षी मंदिर के शिखर पर नही बैठता है |
3) हर 12 साल मे भगवान जगन्नाथ समेत तीनों मूर्तियों को बदला जाता है और नई मूर्तियां को स्थापित किया जाता है | इस समय शहर की पुरी बिजली को काट दिया जाता है |
Jagannath Temple, Odisha : चारधाम यात्रा के साथ साथ यह मंदिर अपनी पारंपरिक रथयात्रा के लिए प्रसिद्ध है | जगन्नाथ मंदिर अविश्वसनीय आध्यात्मिक घरों में से एक है | यह मंदिर समुद्र के बगल में अपार भक्ति और सकारात्मकता संचार करता है | ऐसा माना जाता है की इष्टदेव की मूर्ति को आमने-सामने देखने से मोक्ष मिलता है |
मंदिर का समय : दर्शन के मंदिर का समय सुबह 5 : 00 पूर्वाह्न – 11: पूर्वाह्न / दोपहर 1:00 बजे – रात्रि 9:30 बजे
घूमने का सबसे अच्छा समय : मंदिर मे घूमने का सबसे अच्छा समय दिसंबर-फरवरी महीने का समय अच्छा होता है |
प्रवेश शुल्क : मंदिर मे प्रवेश के लीये कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता |
यात्रा की अवधि : मंदिर की यात्रा के लीये कम से कम 2 घंटे का समय लगता है |
Dwarkadhish Temple, Gujrat
Famous vishnu temples in india : द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर कहा जाता है | इस मंदिर की स्थापना 2500 साल पहले भगवान कृष्ण के परपोते वज्रनाभ ने की थी | मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है, मंदिर तक पहुंचने के लीये 50 से ज्यादा सीढ़ियों को चढकर उपर जाना होता है | मंदिर कर दीवारों पर पौराणिक पात्रों और किंवदंतियों को चित्रित किया गया है | मंदिर के पास सुदामा सेतु है जो गोमती खाड़ी के पार समुद्र तट की ओर ले जाता है | यहा पर रुक्मिणी मंदिर भी है |
मंदिर का इतिहास और महत्व :
काठियावाड़ पर स्थित द्वारका को भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है | चार धाम जिनमें बद्रीनाथ, पुरी और रामेश्वरम शामिल है | भगवान श्री कृष्ण उत्तर प्रदेश के ब्रज से यहाँ आए थे | इस मंदिर की स्थापना उनके पोते ने की थी | यह मंदिर गोमती नदी और अरब सागर के मुहाने पर है, यह एक सुंदर आध्यात्मिक स्थल है | द्वारका 6 बार इस समुद्र मे डुबी थी | अभि के समय का यह सातवाँ अवतार है |
यात्रा का सर्वोत्तम समय : द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा का सर्वोत्तम समय नवम्बर से फरवरी के बीच है, जन्माष्टमी के दौरान, यहां पर भव्य रूप से उत्सव मनाया जाता है |
मंदिर का समय : मंदिर का दर्शन का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक का होता है |
मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय : द्वारकाधीश मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय अगस्त-अप्रैल महीने मे होता है |
प्रवेश शुल्क : मंदिर मे प्रवेश के लीये कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता |
यात्रा की अवधि : मंदिर की पुरी यात्रा करने के लीये करीब 1-2 घंटे का समय लगता है |
Sri Venkateswara Temple, Andhra Pradesh
Famous vishnu temples in india : श्री वेंकटेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश
यह मंदिर श्री वेंकटेश्वर को समर्पित है | कलयुग के दौरान मानव जाति को विभिन्न परेशानियों से बचाने के लिए यहां प्रकट हुए थे | आंध्र प्रदेश राज्य के तिरुमाला पहाड़ी पर स्थित श्री वेंकटेश्वर मंदिर इस शहर की पहचान है | यहा पर भगवान वेंकटेश विष्णु का अवतार माना जाता है | इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी मे हुआ था | यह श्री वेंकटेश्वर मंदिर हिन्दू धर्म का एक पवित्र तीर्थस्थल है | अब के समय मे मंदिर का व्यवस्थापन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की जिम्मेदारी है |
आंध्र प्रदेश का यह श्री वेंकटेश्वर मंदिर पुरे 16.2 एकड़ के क्षेत्र में स्थित है | मंदिर के गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की सुन्दर प्रतिमा स्थापित है | भगवान की प्रतिमा काले रंग की है | श्री वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति बालाजी दर्शन के लिए मंदिर पुरे सालभर मे खुला रहता है, लेकिन मौसम के अनुकूल मंदिर घुमने का अच्छा समय सितंबर से फ़रवरी तक का है |
तिरुपति मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार, माँ लक्ष्मी के रूठ जाने पर निराश होकर पुष्करनी नामक तालाब के किनारे निवास करने लगे बाद मे वेंकटेश्वर के रूप में उन्होंने माँ लक्ष्मी के अवतार पद्मावती से विवाह किया था | लक्ष्मी माँ के चले जाने के बाद उनके पास शादी के लिए धन नहीं था इसलीये उन्होने भगवान कुबेर से मदद ली थी | श्रद्धालु यहा पर कुछ न कुछ अर्पण करते है बदले मे वेंकटेश्वर स्वामी उनकी मनोकामना पूरी करते है |
मंदिर मे चोल वंश, पंड्या वंश और पल्लव वंश के शासकों ने बदलाव करवाए जिसके परिणामस्वरुप मंदिर में तीनों शैलियों की मिश्रित कारीगरी देखने मिलती है |
दान के मामले में यह भारत का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है |
सर्वदर्शन : सर्वदर्शन मुफ्त मे दर्शन है, इसमें श्रद्धालुओं को लाइन में लगकर अपनी बारी आने तक इंतज़ार करना पड़ता है, इस दौरान मंदिर की ओर से दर्शनार्थियों को थोड़े-थोड़े अंतराल पर चाय-कॉफ़ी, निःशुल्क अन्नप्रसाद और दवाइयों आदि की सुविधा प्रदान की जाती है |
दिव्यदर्शन : करीब 11 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर मंदिर पहुंचें हुए श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क दर्शन सुविधा दिव्यदर्शनमे होती है |
शीघ्रदर्शन : यह स्पेशल दर्शन है, एडवांस्ड बुकिंग के माध्यम से 300 रूपए का टिकट खरीदकर बिना लाइन में लगे भगवान बालाजी के शीघ्र दर्शन कर सकते है |
श्री वेंकटेश्वर मंदिर के नियम :
तिरुपति मंदिर में केवल भारतीय पारंपरिक पोशाक को ही मान्यता होती है |महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए धोती या पैजामा पहनना अनिवार्य होता है | इस पोशाक के बिन प्रवेश निषिद्ध है |
मंदिर में हम मोबाइल फोन, कैमरा, विडियो या अन्य कोई भी गैजेट नहीं ले जा सकते, ले जाने पर इसे मंदिर के बाहर ही जमा किया जाता है, जिन्हें दर्शन के बाद आप वापस ले सकते है |
5 साल से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों के लिए अलग से लाइन की सुविधा उपलब्ध होती है
तिरुपति बालाजी मंदिर एक बहुत ही लोकप्रिय और पुरे विश्वभर मे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है | आप साल मे कभी भी इस मंदिर जाएँगे मंदिर मे हमेशा श्रद्धालुओं की भीड रहेगी | अगर लाइन में घंटों इंतज़ार नहीं करना चाहते हैं तो दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है |
मंदिर का समय : तिरुमाला मंदिर दर्शन के लीये हर दिन सुबह 2:30 बजे खुलता है |
घूमने का सबसे अच्छा समय : तिरुमाला मंदिर सितंबर – मार्च महीने का अच्छा समय होता है |
यात्रा की अवधि : पुरे मंदिर की यात्रा करने मे कम से कम दो घंटे का समय लगता है |
Sri Sri Aswaklanta Temple, Asaam
Famous vishnu temples in india : श्री श्री अश्वक्लांत मंदिर, आसाम
आसाम के गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर श्री श्री अश्वक्लांत मंदिर स्थित है | इस मंदिर का निर्माण 1720 ई. मे हुआ था | ये एक प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है | मंदिर का नाम, “अस्वक्लंता”, ‘थका हुआ घोड़ा’ है | मंदिर की स्थापना का श्रेय अहोम राजा शिव सिंह को जाता है | “अस्वक्लंता” इस शब्द का शाब्दिक अनुवाद ‘थका हुआ घोड़ा’ है, जो कृष्णजी के थके हुए घोड़े को संदर्भित करता है जो थक गया था और कुछ आराम के लिए यहां रुक गया था |
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बावजूद मंदिर को भारत के अन्य प्रसिद्ध मंदिरों की तुलना में कुछ हद तक कम आंका गया है | मंदिर की वास्तुकला अहोम शैली से प्रेरित है | भीषण भूकंप ने तबाही मचाई थी, जिससे मंदिर के बड़े हिस्से को काफी नुकसान पहुंचा था | मंदिर का लॉर्ड कर्जन ने पुनर्स्थापना की थी
इसके स्थान के कारण मंदिर की शांति बरकरार रहती है और व्यक्ति को गहरा आध्यात्मिक अनुभव मिलता है |
मंदिर का समय : मंदिर का दर्शन का समय सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक का है |
घूमने का सबसे अच्छा समय : श्री श्री अश्वक्लांत मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर-मार्च महीने का समय अच्छा होता है |
प्रवेश शुल्क : मंदिर मे प्रवेश के लीये कोई प्रवेश शुल्क नहीं होता है |
यात्रा की अवधि : मंदिर की पुरी यात्रा करने के लीये 30 से 45 मिनट का समय लगता है |
Sita Ramachandraswamy Temple, Telangana
Famous vishnu temples in india : सीता रामचन्द्रस्वामी मंदिर, तेलंगाना
श्री सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर यह मंदिर तेलंगाना राज्य के भद्रचलम शहर मे पवित्र गोदावरी नदी के तट पर स्थापित है | इसे दक्षिण अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है | इस मंदिर मे भगवान राम ( श्री महाविष्णु के सातवें अवतार ) का निवास है | रामायण काल से से मंदिर का महत्व है | ईसी स्थान पर भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपना वनवास बिताया था | रावण ने माता सीता का अपहरण जहा से किया था वह स्थान पर्णशाला यही पर है | भगवान राम पूजा करने से भक्त को ज्ञान प्राप्त होता है |
मंदिर का समय : सीता रामचन्द्रस्वामी मंदिर दर्शन के लीये सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक / दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है |
घूमने का सबसे अच्छा समय : सीता रामचन्द्रस्वामी मंदिर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर-मार्च महीने का है |
प्रवेश शुल्क : मंदिर मे प्रवेश करने के लीये कोई प्रवेश शुल्क नहीं होता है |
यात्रा की अवधि : इस मंदिर की पुरी यात्रा करने के लीये 30 मिनट से 1 घंटा लग जाता है |
Shrinathaji Temple, Rajsthaan
Famous vishnu temples in india : श्रीनाथजी मंदिर, राजस्थान
श्रीनाथजी भगवान श्री कृष्ण का ही एक महत्वपूर्ण रूप हैं, भगवान सात साल उम्र के बालक के रूप में यहा पर प्रकट हुए थे | श्रीनाथजी का यह मंदिर राजस्थान में उदयपुर शहर से 48 किलोमीटर उत्तर-पूर्व की दिशा में नाथद्वारा शहर में स्थित है | श्रीनाथजी वैष्णव संप्रदाय के केंद्रीय पीठासीन देवता है | श्रीनाथजी की लोकप्रियता के कारण नाथद्वारा शहर को ही ‘ श्रीनाथजी ’ कहा जाता है | बाल कृष्ण को देवदमन मतलब “देवताओं का विजेता” कहा जाता था | वल्लभाचार्य ने बाल कृष्ण का नाम गोपाल और उनके पूजा स्थल का नाम ‘गोपालपुर’ रखा था |
उदयपुर से श्रीनाथजी मंदिर 48 किलोमीटर उत्तर दिशा मे है | भगवान कृष्ण ने ईसी रूप मे ‘गोवर्धन’ पर्वत को उठाया था | यह भारत का सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय तीर्थ है | बनारस नदी के तट पर नाथद्वारा है | नाथद्वारा, का अर्थ होता है भगवान का द्वार | मंदिर मे भगवान कृष्ण की एक सुंदर काले संगमरमर की मूर्ति है, जो गोवर्धन पर्वत को हाथ ऊपर उठाए खड़े हैं | जगतगुरु श्री वल्लभाचार्य ने श्रीनाथजी की मूर्ति को मथुरा के जतीपुरा मंदिर में स्थापित किया था |
नाथद्वारा श्रीनाथजी मंदिर का इतिहास Famous vishnu temples in india
औरंगजेब के शासनकाल के दौरान भगवान कृष्ण की मूर्ति को वृन्दावन से हटाकर सुरक्षित स्थान पर स्थापित किया गया था | भगवान कृष्ण की मूर्ति ले जाने वाला वाहन विशेष स्थान से गुज़रा,
तो उसके पहिए कीचड़ में फंस गए थे | पुजारी ने इसे भगवान का संकेत बताया | भगवान अब आगे नहीं बढ़ना चाहते, मूर्ती को वही स्थापित कर दिया |
नाथद्वारा श्रीनाथजी मंदिर के अधिकारियों के पास लगभग 500 गायें है | इन्हीं गायों में एक गाय ऐसी भी है जिसे भक्त श्रीनाथजी की गाय मानते हैं | ऐसा माना जाता है कि यह गाय उस वंश से आई है, जिसने युगों-युगों से भगवान की सेवा की है |
नाथद्वारा मंदिर में पूजा और अनुष्ठान
मंगला दर्शन : यह दर्शन सूर्योदय से पहले होता है | इस दर्शन के दौरान भगवान श्रीनाथजी की आरती की जाती है और यह दिन का पहला दर्शन होता है |
श्रृंगार दर्शन : यह दिन का दूसरा दर्शन मतलब के श्रृंगार दर्शन होता है | इस दर्शन मे श्रीनाथजी को पोशाक पहनाई जाती है | जिसमे इनका रूप बहुत ही सुंदर होता है | कवियों द्वारा भगवान श्रीनाथ जी मंदिर मे की स्तुति और भजन गाए जाते है |
ग्वाल दर्शन : यह वह समय है जब श्रीनाथजी गायों को खेत में ले जाते है |इस दर्शन के समय पुजारी श्रीनाथजी को मिठाई का भोग लगाते है |
राजभोग दर्शन : यह दिन का चौथा दर्शन है और यही वह समय है जब पुजारी श्रीनाथजी को स्वादिष्ट भोजन देते है | इसके साथ ही वह दर्शन आरती भी करते है |
उत्थापन दर्शन : यह दर्शन दोपहर के समय किया जाता है, जब श्रीनाथजी दोपहर में अपनी नींद से जागते है |
भोग दर्शन: इस दर्शन के दौरान पुजारी श्रीनाथजी को फल और हल्का भोजन अर्पित करते है |
संध्या आरती दर्शन : यह दर्शन शाम के संध्या समय किया जाता है | इसे गोरज मूहर्त भी कहा जाता है | यह वो समय है जब श्रीनाथजी सभी गायों को अपने घर वापस लेकर आते है |
शयन दर्शन : यह उस दिन का अंतिम दर्शन होता है जब श्रीनाथजी रात्रि में शयन के लिए चले जाते है |
मंदिर का समय : सुबह 5:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक
घूमने का सबसे अच्छा समय : घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर-अप्रैल महीने का समय अच्छा है |
प्रवेश शुल्क : कोई प्रवेश शुल्क नही होता है |
यात्रा की अवधि : मंदिर की पुरी यात्रा करने के लीये 30 मिनट से 1 घंटा लग जाता है |
Adikesva Perumal Temple, Tamilnadu
Famous vishnu temples in india : आदिकेशव पेरुमल मंदिर, तमिलनाडु
भगवान विष्णु को समर्पित 108 महत्वपूर्ण दिव्य देसमों में से एक आदिकेशव पेरुमल मंदिर है | यह मंदिर कन्याकुमारी जिले के तिरुवत्तार में स्थित है | मंदिर थमीराभरानी,कोथाई और पहराली इन नदी से घिरा हुआ है | मंदिर को ‘चेरा साम्राज्य का श्रीरंगम’ भी कहा जाता है | कन्याकुमारी में स्थित यह मंदिर 7 वीं या 8 वीं शताब्दी से अस्तित्व में है | मंदिर सुबह के 5 बजे से शाम 12 बजे के बीच और शाम 5 बजे से रात 8:30 बजे के बीच मे दर्शन के लीये खुलता है | इस मंदिर के अंदर शिवाजी की एक मूर्ति भी मौजूद है और इसलिए इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है |
मंदिर का समय : सुबह 5:00-8:00 / सुबह 10:00-दोपहर 12 / शाम 5:00-8:00 बजे
घूमने का सबसे अच्छा समय : मंदिर मे घूमने का सबसे अच्छा समय अगस्त-मार्च महीने का है |
प्रवेश शुल्क : मंदिर प्रवेश के लीये कोई प्रवेश शुल्क नहीं
यात्रा की अवधि : मंदिर की पुरी यात्रा करने के लीये 1 से 2 घंटे लग जाते है |