Harihar fort |जब अंग्रेज इस किले के दरवाजे को मिटाना चाहते थे

Harihar fort |जब अंग्रेज इस किले के दरवाजे को मिटाना चाहते थे

जब अंग्रेज इस किले के दरवाजे को मिटाना चाहते थे, लेकिन वह इस किले की बनावट को और किले की चट्टानो पर बनाई सीढिया देखकर उन्होने इसे मिटाने की सूचना को फिरसे वापस ले लिया |आज हम आपको अंग्रेज का यह फैसला उन्होने वापस क्यू बदल दिया |

Harihar-fort

हरीहर गढ की प्रस्तावना

Harihar fort ऊन किलो मे से एक है जो बहुत ही खतरनाक ट्रेकिंग के लिए जाना जाता है |यह किला मराठा साम्राज्य के किलो मे से एक है | इस किले की पुरी बनावट चट्टानो से की गई है |किले को उपर चढने वाली सीढिया चट्टानो को खोदकर बनाई गई है |हरीहर किला नाशिक जिले के त्र्यंबकेश्वर मे स्थित है |इस किले को हर्ष गढ के नाम से भी जाना जाता है |क्युंनकी इस गड के तल भाग मे हर्षवाडी नाम का गांव है |इसलीये इसे हर्ष गढ के नाम से पहचानते है |यह किला महाराष्ट्र की सह्याद्री रेंज मे आता है |

हरीहर गढ का इतिहास

Harihar fort पहचना जाता है तो अपनी अलग शैली की वजह से |किले की सीढिया कातलो मे बनाई हुई है |चट्टानो मे ही सीढिया बनाई गई है |हरीहरगढ किला और उसके हर एक पत्थर का इतिहास है |यह सीढिया बनवाने की तकनिक की शूरवात सातवान राजवट से हुई थी |

हरिहर किला नासिक शहर से 40 किमीपर है | इगतपुरी से 48 किमी, घोटी से 40 किमी दूर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। यह नासिक जिले का एक महत्वपूर्ण किला है, और इसका निर्माण गोंडा घाट के माध्यम से व्यापार मार्ग को देखने के लिए किया गया था।

महाराष्ट्र के किले ,मंदिरे ,ऐतिहासिक वास्तु यह हमारी संपत्ति है |इसका हमे जतन करना चाहिये |यह संपती किसी भी शासन और राजवट मे बनाया गया हो |उसका एक इतिहास है और उसका जतन हमे करना है |यह इतिहास हम भूल ना जाये और यह वारसा आगे जाके और भी नई पिढी को देखने के लिए हमे उन्हे बचाना चाहिये |

हरीहर गढ की ट्रेकिंग

harihar fort की उंचाई 200 फीट है |अतितिव्र स्वरूप की सीढीया उपर की तरफ चढनी होती है |शूरवात मे ये घर जैसी सीढीया लगती है लेकिन और उपर जाते ही यह सिधी 80 डिग्री की एंगल मे हो जाती है |हरीहर किले के पहले दरवाजे पे हमे भगवान गणेश जी की मूर्ती दिखाई देती है |अंग्रेजी का अक्षर ‘सी’ आकार का रास्ता बनाया गया है |गढ को चढते और उतरते समय हमे बहुत सावधानी रखनी होती है |क्युंनकी यह रास्ता छोटा है |थोडा भी ध्यान रास्ते से हात जाये हम सिधे गढ के नीचे वाले तलभाग मे आकर गिर जाएंगे मतलब मौत को बूलाना है |

harihar fort गढ के उपर आना कठीण होता है ,उतना ही उसे नीचे उतरना कठीण होता है |हरीहर गढ किले की सीढीयोंको चढकर पहुंचने के बाद पत्थर का आगे का जिना सर को उपर करके देखणा पडता है |इस जीने पर एक वक्त एक ही आदमी आ सकता है |यह किला निजामशाह के पास था |1636 साल मे शहाजी राजा ने इस गढ को जिता था ,उसके बाद यह किला मुघल के पास गया |1670 साल मे मोरोपंत पिंगळे ईन्होणे यह गढ फिरसे स्वराज्य मे स्थापित किया | 1818 मे अंगरेजो ने यह किला मराठो से जीत लिया |

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harihar fort के उपर जाकर कातल मे बने हुये दो दरवाजे दिखते है |130 सीढीओंका जिना लगता है |उपर जाने के लिए पत्थर की गुफा भी बनाई हुई है |इन पुरी सीढीयोंको उपर चढकर ही हमे किला देखना होता है |हरीहर गढ को पुरा देखने के लिये हमे एक फेरा पुरा करने के लिए करीब 2 से 3 घंटे का समय लगता है |

Harihar fort को उपर चढकर जब हम आते है ,तब एक बहुत बडा केशरी रंग का भगवा झेंडा हमारा स्वागत करता है |यह भगवा हमे नई ऊर्जा देता है |गढ के उपर अब सिर्फ उसके अवशेष ही देखने मिलते है |यहा पर हनुमान जी का मंदिर है साथ मे छत्रपती शिवाजी महाराज की मूर्ती के भी दर्शन होते है |इस मंदिर के पास ही भगवान शिवजी का शिवलिंग और नंदी है |ठीक ऊनके पीछे ही हमे पानी का बडासा तालाब नजर आता है |किले के उपर का पानी बहकर नीचे ना चला जाये इसलीये यहापर एक दीवार बनाई गई है |यही पर पुरा पानी जमा होता था ,यही वो तालाब है|

harihar fort किले की पूर्व दिशा मे दारूगोला कोठार की इमारत दिखाई देती है |यह कोठार बहुत ही बडा है |यह 30 फिट लंबा और 12 फिट चौडा है |इस किले मे यही दारूगोला कोठार की इमारत अभि भी अच्छि स्थिति मे देखने को मिलता है |इस इमारत मे अंदर जाने के लिए हमे सिर्फ खिडकी जैसी जगह ,जिससे अंदर जाना होता है |उसके बाजू मे ही हमे पानी की 6 टंकिया है |

1818 साल मे अंग्रेज सरकार ने मराठाशाही को बरबाद करने के लिए ,मराठा स्वराज्य के किले और उसके प्रवेशद्वार को पुरी तरह से तहस – नहस करने का आदेश दिया था |लेकिन उस समय के अंग्रेज अधिकारी ब्रिग्ज इन्होने harihar fort की 80 डिग्री की सीढीयोंको देखकर उसे बरबाद न करने की सूचना दी|यह है उस समय की कलाकारी का उत्तम नमुना |इस गढ की सीढीयोंका वर्णन शब्दो मे करना कठीण है ,ऐसे अंग्रेज अधिकारी ब्रिग्ज ने कहा था |

हरीहर गढ कैसे पहुंचे

harihar fort आने के लिए आपको दो रास्ते मिल जाएंगे |आगे जाके दोनो ही रास्ते एक ही रास्ते आकर मिल जाते है|1 ) निर्गुरपाडा 2)

1 ) निर्गुरपाडा – नाशिक त्र्यंबकेश्वर -खोडाला मार्ग पर यह निर्गुरपाडा गाव है |यह गाव त्र्यंबकेश्वर से 20 किलोमीटर की दूरी पर है |यह गाव हरीहर गढ और भास्करगढ दोनो के बीच मे आता है |

2) हर्षवाडी – दूसरा रास्ता हर्षवाडी गाव से है |यह हर्षवाडी गाव त्र्यंबकेश्वर से 5 किलोमीटर की दूरी पर है |हर्षवाडी से harihar fort जाने वाला रास्ता सबसे आसान है |अगर आप पहली बार वहा जा रहे है ,तो इस रास्ते से जा सकते है|

भौगोलिक विस्तार

Harihar fort की पूर्व दिशा मे त्र्यंबकगढ ,उत्तर दिशा मे वाघेरा,दक्षिण दिशा मे वैतरणा डॅम ,उसके पास ही मे काउनाई और एक डॅम ने इस हरीहर फोर्ट को घेर हुआ है |चार किले और एक डॅम से घिरा यह गढ बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है |चारो ओर हरे भरे पहाड है |इस किले पर एक ऐसी जगह है ,जहासे हम पुरे गढ पर नजर रख सकते है |इस किले के उपर भगवान महादेव का मंदिर है जो जंगल मे स्थित है |

Sinhgad fort

Harihar fort की ट्रेकिंग के लिए अच्छा समय

harihar fort की ट्रेकिंग के लिए सबसे अच्छा समय मान्सून का समय है |जून और सितंबर का मान्सून का समय यहा आने के लिये उचित माना गया है |मान्सून के दिनो मे किले पर जाने वाले रास्ते मे झरने देखने को मिलते है और साथ मे ही गढ के उपर चढते समय बारीश चल रही है तो यह ट्रेक रोमांचकारी होता है |इसलीये आप भी इस गढ पर आने की सोच रहे हो तो आप मान्सून मे ही आओ |

बॅग पॅकिंग

  • रेनकोट
  • ट्रेकिंग जूते
  • कॅमेरा
  • ड्रॉने
  • हलके कपडे
  • नाश्ता
  • पानी
  • प्राथमिक उपचार की दवाई

Harihar fort किले पर जाना आसान नही है ,किले के उपर चढते समय हमे सावधानी रखते हुए जाना होता है |किले के उपर चढते समय हमे रास्ते मे अलग अलग – प्रकार के जानवर देखने को मिलते है |इनमे से कुछ हमे नुकसान पहुंचा सकते है |किले के रास्ते मे बंदर होते है ,जो हमारा सामान यांनी के खाना और कॅमेरा ,बॅग जैसी चीजे लेकर भाग जाते है |इसलीये इनसे बचकर रहे है |

पहाड वाले कोनो मे सांप ,छोटे किडे रहते है इनसे भी संभालकर रहे |किले पर चढते समय बार बार नीचे ना देखे |इससे दिमाग घुमने लगता है |अगर आपको अस्थमा ,बीपी ,शुगर जैसी कोई बिमारी है तो ट्रेकिंग जाते समय आप अपने डॉक्टर के साथ जरूर बात कर लिजीये |

निष्कर्ष

आज की इस पोस्ट मे हमने आपको Harihar fort का इतिहास ,हरीहर गढ कैसे पहुंचे ,भौगोलिक विस्तार ,गढ को ट्रेक कैसे करे इन सब पॉईंट्स को सविस्तर रूप से बताया है |आपको हमारी यह पोस्ट कैसी लगी कमेन्ट मे जरूर बताए |

Waterfalls in mumbai

सवाल जवाब

क्या हरीहर किला सुरक्षित है ?

हरिहर को हाल ही में महाराष्ट्र के सबसे खतरनाक किले का दर्जा मिला है, क्योंकि चट्टान से बने चढ़ाई वाले हिस्से में बहुत अधिक भीड़ होती है, जो बहुत खतरनाक है। हजारों पर्यटकों को एक साथ इन सीढ़ियों के माध्यम से किले पर चढ़ते और उतरते है |जो बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है |

क्या हरीहर गढ की ट्रेकिंग कठीण है ?

कठिनाई का स्तर मध्यम है और मुंबई से दूरी 160 किलोमीटर है। यह किला त्रिकोणीय प्रिज्म चट्टान पर बना है। यह किला नासिक जिले में स्थित है और इसका निर्माण गोंडा घाट के प्राचीन व्यापार मार्ग पर नज़र रखने के लिए किया गया था।

क्या बच्चे हरिहर किले पर चढ़ सकते हैं?

 इस ट्रेक के लिए उमर कम से कम 9 वर्ष होनी चाहिए । जब आप गढ के उपर पहुंच जाते हैं तो आप प्रकृति का आनंद ले सकते हैं। प्रकृति वहां अपने सबसे अच्छे रूप में है।