Jyotiba Temple Kolhapur | इस मंदिर मे हर दिन खेला जाता है गुलाल !

Jyotiba Temple Kolhapur वाडी ज्योतिबा टेंपल, कोल्हापुर, महाराष्ट्र में स्थित एक पवित्र धार्मिक स्थल है। इसे ‘ज्योतिबा’ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर हिंदू धर्म में विष्णु, ब्रह्मा और शिव के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से 3124 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और हिंदू धर्म के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान माना जाता है। हर साल चैत्र और वैशाख महीनों की पूर्णिमा पर यहां एक विशाल मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं।

ज्योतिबा टेंपल का धार्मिक महत्व

ज्योतिबा टेंपल को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इसे केदारनाथ और वाडी रत्नागिरी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्योतिबा ने महालक्ष्मी के साथ मिलकर राक्षसों का संहार किया था और इस पर्वत पर अपना राज्य स्थापित किया था। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि ऐतिहासिक और वास्तुकला कला का एक अद्भुत उदाहरण भी है।

जोतिबा मंदिर कोल्हापूर

Jyotiba Temple Kolhapur

Jyotiba Temple Kolhapur जोतिबा मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है | इस मंदिर को केदारनाथ और वादी रत्नागिरी भी कहा जाता है | पौराणिक कथाओं के अनुसार, जोतिबा ने राक्षसों से युद्ध में महालक्ष्मी की मदद की थी | उन्होंने इसी पर्वत पर अपना राज्य स्थापित किया था | यह मूल मंदिर 1730 में नवाजिसया ने बनाया था | आंतरिक भाग प्राचीन है और मूर्ति चार भुजाओं वाली है |

मंदिर का निर्माण और वास्तुकला

मंदिर का मूल निर्माण 1730 में नवाजी साया द्वारा किया गया था। वर्तमान मंदिर का निर्माण राणोजी शिंदे ने 1730 में करवाया, जिसे बाद में 1808 में दौलतराव शिंदे ने पुनः विकसित किया। तीसरा मंदिर रामलिंगा का था, जिसे 1780 में मालजी नीलम पन्हालकर ने बनवाया था। यह मंदिर बेहतरीन ब्लैक बेसाल्ट स्टोन से बना हुआ है, जो इसकी मजबूती और भव्यता को दर्शाता है।

ज्योतिबा मंदिर का इतिहास

Jyotiba Temple Kolhapur श्री ज्योतिबा को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि उनका जन्म ऋषि जमदग्नि के क्रोध से हुआ था और उनके अंदर 12 सूर्यों की तेजस्विता थी। आदिशक्ति ने एक विशेष त्रिदेव की रचना की, जो मूल त्रिदेव से 100 गुना अधिक शक्तिशाली थे। बाद में, जब करवीर क्षेत्र में कोल्हासुर नामक राक्षस अत्याचार कर रहा था, तो महालक्ष्मी ने त्रिदेवों को बुलाया। वे माता विमलांबुजा के हाथों में ज्योति के रूप में प्रकट हुए और कोल्हासुर व अन्य राक्षसों का नाश किया।

Jyotiba Temple Kolhapur

श्री ज्योतिर्लिंग देवस्थान

Jyotiba Temple Kolhapur ज्योतिबा पर्वत पर महत्वपूर्ण अवसरों पर तोपों की सलामी दी जाती है | हर रविवार और पूर्णिमा के दिन पालखी सोहला मनाया जाता है | इन दिनों शाम 9:00 बजे भगवान को तोपों की सलामी दी जाती है | विजयादशमी दशहरा के दौरान शाम 6 बजे पांच बार तोपों की सलामी दी जाती है |

विशेषताएं और धार्मिक अनुष्ठान

  1. पालखी सोहळा: यह हर रविवार और पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन रात 9:00 बजे देवता को गन सैल्यूट दिया जाता है।
  2. विजयदशमी: इस दिन शाम 6:00 बजे पांच गन सैल्यूट दिया जाता है।
  3. सासन काठी: यह एक 30 से 70 फीट ऊंची लकड़ी की छड़ी होती है, जिस पर झंडा लगाया जाता है।
  4. गुलाल फेस्टिवल: गुलाल इस मंदिर का मुख्य प्रसाद माना जाता है, जिससे पूरा मंदिर गुलाबी दिखाई देता है।
  5. होम कुंड: यहां भक्त कपूर और धूप अर्पित करते हैं।

ज्योतिबा मंदिर में गुलाल

इस देवता को गुलाल समर्पित किया जाता है | इसलिए पूरा मंदिर गुलाबी रंग का दिखाई देता है | मंदिर मे ज्योतिबा की कुल तीन मूर्तियाँ हैं और आपको एक मूर्ति पर माला और फूल अर्पित करने होते है | दूसरी मूर्ति के पास पहुँचने पर आपको एक ” होम कुंड ” मिलेगा जहाँ आपको कपूर और अगरबत्ती डालनी होती है |

Jyotiba Temple Kolhapur

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मंदिर मे मनाये जाने वाले त्योहार

चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर यहां एक भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। भक्त इस मेले में लंबी सासन काठियाँ लेकर आते हैं। प्रमुख सासन काठियाँ निम्नलिखित हैं:

  • श्री क्षेत्र पदली
  • विहे
  • कोल्हापुर छत्रपति
  • हिम्मत बहादुर चव्हाण
  • ग्वालियर शिंदे
  • नवाजिबाबा

मेले के दौरान पूरा मंदिर परिसर गुलाबी रंग में रंगा जाता है, जिससे इसे ‘पिंक टेंपल’ भी कहा जाता है।

ज्योतिबा मंदिर कैसे पहुंचे ?

By Road: यह कोल्हापुर से 20 किमी और सांगली से 55 किमी की दूरी पर स्थित है। यह रोड से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

By Train: निकटतम रेलवे स्टेशन छत्रपति शाहू महाराज टर्मिनस (कोल्हापुर) है, जबकि सांगली रेलवे स्टेशन 55 किमी दूर स्थित है।

निष्कर्ष

Jyotiba Temple Kolhapur ज्योतिबा टेंपल कोल्हापुर एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल एक मंदिर है, बल्कि श्रद्धा और भक्ति का केंद्र भी है। यहां आने वाले भक्तों को दिव्य अनुभव प्राप्त होता है और इस गुलाल से भरे मंदिर में एक अनोखी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है। यदि आप महाराष्ट्र में धार्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो ज्योतिबा टेंपल को अपनी सूची में जरूर शामिल करें।