इस साल मे बोहोत ही गरमी थी |इसके कारण सभी परेशान हुए ,लेकिन अभी गरमी कम हुई और मान्सून आ गया है | धीरे धीरे सब जगह मान्सून का आगमन हुआ है |मान्सून आया है इसलीये वातावरण मे भी बदलाव आया है |अलग अलग जगह जैसे झरने ,नदी,पानी से भरे हुए है |पहाडो ने हरे रंग की चादर ओढ ली है | झरने और पहाड यात्री और ट्रेकर को प्रभावित कर रहे है | यही प्रकृती की सुंदरता हमे प्रभावित करके लूभा रही है | इसमे से ही एक है ,महाराष्ट्र का मालशेज घाट का ‘ kalu waterfall ‘
Kalu waterfall प्रस्तावना
- कालू जलप्रपात की प्रस्तावना
- कालू जलप्रपात कैसे पहुंचे ?
- कालू जलप्रपात आते समय कौनसी सावधानिया रखनी चाहिये ?
- ट्रेकिंग मे पॅकिंग का जरुरी सामान
- निष्कर्ष
मालशेज घाट मे बोहोत सारे जलप्रपात है लेकिन कालू जलप्रपात मालशेज घाट का सबसे बडा जलप्रपात है | क्युंकी ये बोहोत ही ऊपर से यांनी के लगभग 1200 फीट की ऊचाई से नीचे गिरता है |मॉन्सून मे अगर इसे उपर से देखे तो वो हमे वापस पीछे की तरफ आता दिखाई देता है ,इसलीये इसे रीवर्स वॉटरफॉल भी कहा जाता है |
यहा पर आते आते हम लोगोंको सौ से भी ज्यादा वॉटर फॉल देखने को मिलते है | ये एक नॅच्युरल ब्युटि है | कालू वॉटरफॉल के नीचे वाले मतलब जंहा पानी गिरता है ,उस जगह को गॉडस् वेल्ली के नाम से भी जाना जाता है |
कालू वॉटरफॉल तक जाने वाले रास्ते –
कालू जलप्रपात हरिश्चंद्रगढ पर्वत से निकलकर खिरेश्वर गाव से होकर बहता है |यह दखन पठार से कोकण क्षेत्र मे जाकर गिरता है |कालू जलप्रपात के पास और एक ‘ महुली ‘ नाम का जलप्रपात देखने को मिलता है |कालू और महुली जलप्रपात इन दोनो झरनो का पानी आगे मिलकर संगम बनाता है , इसी संगम को कालू नदी के नाम से जाना जाता है |
कालू जलप्रपात तक आने के लिए आपको दो रास्ते मिल जाएंगे |
पहला रास्ता है सावरणे गांव से जाता है जो की आपको कालू जलप्रपात के नीचे तक ले जाएगा |लेकिन ये रास्ता बोहोत ही खतरनाक और रिस्कि है | अगर आप लोग यहा पर मॉन्सून मे आने का प्लान बना रहे है तो ये बोहोत ही रिस्कि काम होगा |बडे बडे पहाडो से उपर जाना पडता है , जो की बारीश के मौसम मे खतरे से खाली नही है | दूसरा रास्ता है जो खिरीश्वर गाव से जाता है | उपर की तरफ जाते समय हम लोगो को बडे बडे पहाड बादल की सफेद चादर ओढे हुए दिखते है |बाजू मे बडे बडे वॉटर फॉल और नीचे गॉडस् वेल्ली | ऐसा दिल को और आंखो को दिखने वाला नजारा सुकून दे जाता है |
खिरेश्वर गांव से कालू वॉटरफॉल जाने का रास्ता –
खिरेश्वर गाव से वॉटरफॉल तक जाने का अंतर लगभग 4-5 किलोमीटर है | ये वाला रास्ता सबसे आसान और सरल है | यहा से वॉटरफॉल तक जाने के लिए 60 से 90 मिनीट का टाइम लगता है | यह रास्ता सबसे सरल और पैदल चलने मे आसान होने के कारण ये लोगो ,यात्री और ट्रॅकर मे पसंदीदा है | यह सबसे करीब वाला रास्ता है |
थिताबी गाव के जंगल से वॉटरफॉल तक जानेवाला रास्ता –
थिताबी गाव के जंगल से जाने वाला ये रास्ता हमे वॉटरफॉल के नीचे ले जाता है |अगर आप लोगो को इस रास्ते से जाना है तो आप लोगो को वहा के स्थानिक गाइड की जरूरत होगी |क्युंकी ये पैदल जाने वाला रास्ता लंबा है ,जो की लगभग 5-6 किलोमीटर अंतर का है |ट्रेक करते समय जब आप बीच मे पहुंच जाएंगे ,तब आप वहा से आजूबाजू का हराभरा प्रकृती का सौन्दर्य अपनी
आखों से देख सकते है |
अगर आप लोग मुंबई से कालू वॉटरफॉल नीचे से देखने के लीये जाना चाहते है तो आप सावरणे गाव से होके जा सकते है |सावरणे गाव मालशेज घाट चालू होने से पहले आता है | पुणे से जा रहे है तो आपको घाट को पुरा करके ऊपर जाना होगा |सावरणे से मुंबई तक का अंतर 120 किलोमीटर का है |
कालू जलप्रपात देखने के लिए अगर आप लोग खुद की बाइक या गाडी लेके जाओगे तो अच्छा रहेगा |जब आप लोग वहा पहुंच जाओगे तो आपको अंदर जाने के लीये 50 रुपये का एंट्री पास लेना पडता हे | उपर जाने के लिए रोपेवे की सुविधा भी होती है , उसे भी आप उपर जा सकते है | नीचे से जाते वक्त नदी को पार करके जाना होता है | जब बारीश का मौसम होता है तो ,नदी मे पानी का बहाव ज्यादा होता है तब रोपवे से जाना पडता है | वीकएंड मे ज्यादातर लोग कालू वॉटरफॉल देखने आना पसंद करते है | वैसे तो यहा कम बारीश हो तब आना चाहिये |
कालू झरने के आसपास घुमने वाली जगह
- मालशेज घाट
- हरिश्चंद्रगढ
- सिनडोला किला
- पिंपलगाव जोगा बांध
सुरक्षा और सावधानियॉ
kalu waterfall जाते समय कौनसी सावधानियॉ रखनी चाहिये :-
कालू जलप्रपात और गॉडस् वेल्ली देखने जाने से पहले हमे अपनी सुरक्षा के लिए कुछ सावधानीया जरूर ध्यान मे रखनी चाहिये | कालू जलप्रपात तक जाने वाले रास्ते बारीश की मौसम मे खतरनाक होते है | इसलीये हमे वहा जाने से पहले ये जरूरी सूचना का पालन करना चाहिये |
- 1 ) कालू वॉटरफॉल पाच चरणो मे नीचे गिरता है |नीचे गिरते समय पानी का बहाव ज्यादा होता है | हम लोग सिर्फ झरने का उपर और नीचे का चरण देख सकते है |
- 2 ) बारीश खतम हो जाने के बाद मतलब सितंबर से अकतुबर तक का समय वहा जाने के लिए उचित है |
- 2 ) ट्रेकिंग जाते समय अपने साथ स्थानीय गाइड जरूर ले जाये |
- 3 )पैर फिसलने और गिरने से बचने के लिए ट्रेकिंग जुटे पहने |
- 4) ट्रेकिंग जाते समय अपने सामान मे प्राथमिक उपचार वाली दवाईया जरूर साथ रखे |
- 5 )पर्यावरण की स्वच्छता और रक्षण करना हमारा पहला कर्तव्य है , इसे ध्यान मे रखे |
ट्रेकिंग मे पॅकिंग का जरूरी सामान –
कालू जलप्रपात देखने जाने से पहले साथ मे अगर आवश्यक जरूरी सामान पॅक करे तो ट्रॅकिंग का अलग ही मजा आएगा |
- 1 वॉटरप्रूफ बॅग
- 2 हलके कपडे
- 3 मजबूत पकड वाले ट्रेकिंग जुते
- 4 बारीश से बचने के लिए रेनकोट
- 5 लोशन और चश्मा
- 6 खाने के लिए पानी और नाश्ता
- 7 स्लीपिंग बॅग
- 8 दवाई
- 9 कॅमेरा और ड्रॉन
- 10 कॅम्प के लिए सामान
निष्कर्ष
कालू वॉटरफॉल देखने जाना एक रोमांच ,मजेदार ,आनंद और प्रकृती की सुंदरता देखने का दिल को छुनेवाला अनुभव है | मन को लुभाने वाला ये झरना हमे प्रकृती की सुंदरता देखने का अवसर देता है |आप इस सुंदरता को अपनी आखों और अपने मोबाइल और कॅमेरा मे कैद करना ना भुले |
आपको हमारा कालू वॉटरफॉल का सुंदर ट्रेक और अनुभव कैसा लगा कमेन्ट मे जरूर बताना |
क्या कालू जलप्रपात सुरक्षित है ?
कालू झरना समय आपको बीच मे बहुत सारे झरने मिल जाएंगे |कालू झरने तक जाने वाले रास्ते मे आपको मध्यम प्रकार की परेशानी का सामना करना पडेगा |लडकीया ,महिलाये ,और अकेले यात्री भी यहा सुरक्षित है |आप यहा पर अपने परिवार के साथ जाकर झरने का आनंद ले सकते है |
कालू झरना कहा है ?
कालू झरना मालशेज घाट मे है |यहा से नजदीक बोहोत सारे झरने देखने को मिलते है |
क्या कालू झरने तक पहुचना आसान है ?
झरने तक पहुचना और उसके नीचे तक जाना पानी के बहाव पर होता है और कालू झरने तक पहुचने का रास्ता मध्यम स्वरूप का है |
भारत का सबसे सुंदर जलप्रपात कौन सा है?
केरल का अथिरापल्ली झरना ये हैं भारत के सबसे सुंदर वॉटरफॉल है |
केरल का अथिरापल्ली झरना (Athirappilly Waterfall) बेहद खूबसूरत और शानदार. 80 फीट ऊंचा और 330 फीट चौड़ा यह वॉटरफॉल भारत का नियाग्रा वॉटरफॉल कहलाता है |नीचे जहां पानी गिरता है, वहां किसी को नहाने की अनुमति नहीं और यह संभव भी नहीं है | क्युकी यह बहुत रिस्कि है और पानी का बहाव भी |पानी नीचे आने तक उसका बहाव बढ जाता है |
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