Kudremukh trek :
Kudremukh trek : पश्चिमी घाट के हरे-भरे जंगलों में बसा, कुद्रेमुख ट्रेक एक बहुत ही खूबसूरत ट्रेक है | कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में kudremukh trek स्थित है |अपने ऊबड़-खाबड़ इलाके, प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध जैव विविधता के साथ, कुद्रेमुख ट्रेक ऐसा अनुभव है जो आपको कभी ना भुलनेवाला यादगार ट्रेक अनुभव देगा | यह कुद्रेमुख कर्नाटक के चिकमंगलूर में स्थित है | यह वहा का सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन और ट्रेक है |
जो उडुपी और दक्षिण कन्नड़ की सीमाओं से बना हुआ है | घोड़े के चेहरे के आकार में पहाड़ के सुरम्य दृश्य के साथ, कुद्रेमुख अपनी जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए पर्यटकों के बीच मे सबसे मशहूर हुआ है | घास के मैदानों और घने जंगलों के साथ, यह स्थान एक जैव-विविधता का हॉटस्पॉट मन जाता है | समुद्र तल से 1894 मीटर की ऊँचाई पर, कुद्रेमुख ट्रेक की विविधता, ट्रेकर्स को स्वर्ग की जैसी अनुभूति देता है | साथ मे ही वराह पर्वत है, जो समुद्र तल से 1458 मीटर की ऊंचाई पे स्थित एक पर्वत श्रृंखला यूनेस्को की हेरिटेज साइट का एक हिस्सा है |
तो आज इस पोस्ट में हम आपको कर्नाटक के Kudremukh trek के बारे मे बताने वाले है | साथ ही कुद्रेमुख में ऐसे बहुत सारे खूबसूरत, सुंदर पर्यटन स्थल हैं, जिनको देखना आपके लीये जरूरी है |
कुद्रेमुख ट्रेक का इतिहास
सन् 1916 में भारत लौटने के बाद ब्रिटिश सरकार ने जंगल की कटाई को रोकने के लिए कुद्रेमख को आरक्षित वन घोषित किया था | बाद मे सन 1987 में कर्नाटक के सरकार ने इन आरक्षित किये गये वनों को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया |
कुद्रेमुख ट्रेक की लोकप्रियता (kudremukh trek )
Kudremukh trek : कुद्रेमुख लोगों के लिए एक लोकप्रिय ट्रेक बना हुआ है | यहां पर ज्यादातर खूबसूरत जगह होने के कारण यह ट्रेक पर्यटकों मे पसंदीदा है | कुद्रेमुख अपने खूबसूरत नजरो के साथ कई तरह के ट्रैकिंग ट्रेल्स की सुविधा यहा उपलब्ध है | यहां ट्रैकिंग के लिए जाने से पहले आपको वन विभाग से ट्रेकिंग के लीये अनुमति लेनी होती है |
कुद्रेमुख के ज्यादातर ट्रैक लोबो प्लेस में ही शुरू हो जाते हैं | यह कुद्रेमुख ट्रेक पहाड़ी जंगल के अंदर आता है | पहले के साल मे इस जगह पर साइमन लोबो नाम के एक आदमी का स्वामित्व था, जो लंबे समय से अब तक चला आ रहा है | जो लोग साहसिक यात्रा के शौक रखते हैं, उनके लिए ये कुदरेमुख शानदार जगह है | तीर्थयात्री भी यहां के कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों की यात्रा कर सकते पर आते रहते है |
वन्यजीव और जैवविविधता (kudremukh trek )
Kudremukh trek : कुद्रेमुख पश्चिमी घाटों की सुंदरता के साथ-साथ पश्चिमी घाटों की हरी-भरी पहाड़ियों पर भी अलग प्रकार के ट्रेक है | कुद्रेमुख की सबसे प्रसिद्ध और दर्शनीय ट्रेक कुद्रेमुख की चोटी है |यह ट्रेक आपको कुद्रेमुख के वन्यजीव अभयारण्य मे से ले जाता है जहां पर आपको बाघों, तेंदुओं, जंगली कुत्तों, हिरणों जैसे जंगली जानवर देखने का अवसर मिलेगा | ट्रेक मे मुल्लोदी के छोटे से पड़ाव से शुरूवात होती है |
पश्चिमी घाट की सुंदरता से लेकर, विभिन्न धाराएँ, झरने और सुगंधित कॉफी के बाग आपको यही पर एक ही जगह पर देखने को मिलते हैं | कुद्रेमुख चोटी के बाद का सबसे महत्वपूर्ण और खूबसूरत मनमोहक दर्शनीय स्थल हनुमान गुंडी झरना है, जो आपको सबसे ऊंची चोटी तक ले जाता है | पश्चिमी घाट के पहाड़ी इलाके मे स्थित, कुद्रेमुख का सुंदर पानी का झरना है यह हनुमान गुंडी गिर |
कुद्रेमुख के मेले और त्यौहार
Kudremukh trek :
करावली महोत्सव : हर साल के फरवरी में कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजि उत्सव में भूता ( दानव पूजा ), नागामंडला और दानव नृत्य जैसे जीवंत अनुष्ठानों का अवलोकन होता है |
नवरात्री त्यौहार : यह दस दिवसीय नवरात्री त्यौहार दुर्गा पूजा के अवसर पर पास के चिकमगलूर में मनाया जाता है |
स्थानीय भोजन (kudremukh trek )
कुद्रेमुख और पास के क्षेत्र में भोजन के लिए ज्यादातर सुविधा नहीं हैं | हालाँकि, यहा पर आपको कुछ स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय भोजन देने वाले कुछ रिसॉर्ट्स, रेस्तरां और स्थानीय ढाबे यहां उपलब्ध हैं | स्थानीय डोसा, बीसी बील बाथ, अक्की रोटी, जोलदा रोटी, इडली, वड़ा, सांभर, केसरी स्नान, रागी मड्डे, उप्पितु, वंगी स्नान और पारंपरिक, स्थानीय मिठाई जैसे की मैसूर पाक, चिरोती जैसे स्थानीय लजीज व्यंजनों का यहा स्वाद और आनंद ले सकते हैं |
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कुद्रेमुख ट्रेक यात्रा कार्यक्रम
Kudremukh trek : बैंगलोर से कुद्रेमुख तक ड्राइव करके, जो समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा सा गांव है |
चिकमगलूर शहर और श्रृंगेरी मंदिर जैसे आकर्षणों के साथ, ड्राइव में लगभग 6-7 घंटे लगते हैं |
कुद्रेमुख से लाक्या बांध तक ट्रेक करें, जो जंगल के बीच में स्थित एक सुरम्य बांध है |
कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान और सोमवती झरने जैसे आकर्षणों के साथ, ट्रेक में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं |
लाक्या बांध से कुद्रेमुख चोटी ( 1894 मीटर ) तक ट्रेक करें, जो ट्रेक का सबसे ऊंचा स्थान है |
आसपास के पहाड़ों के आश्चर्यजनक दृश्यों जैसे आकर्षणों के साथ, ट्रेक में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं |
समुद्र तल से 1894 मीटर की ऊँचाई पर स्थित कुद्रेमुख चोटी अपने पहाड़ी रास्तों और विशाल विविधता के साथ, ट्रेकर्स और न्यूट्रिस्टों के लिए एक स्वर्ग है। इस ट्रेक की अनोखी विशेषताओं में से एक है असंख्य भू-दृश्य जिसमें ऊँचे बांस की झाड़ियों और जंगलों से लेकर गॉशिंग स्ट्रीम और रोलिंग हिल्स भी शामिल हैं | यहां तक पह़ुंचने के लिए आपको रिज़र्व वन कार्यालय से लगभग 200 रुपये का परमिट लेना होगा |
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कुद्रेमुख में अन्य आकर्षण
Kudremukh trek :
1 ) कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान : पहाड़ों के बीच में स्थित, यहा पर एक कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए लोकप्रिय स्थान है | वर्ष 1987 में इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला | 600 किलोमीटर का वर्ग क्षेत्र में फैला यह पार्क राज्य के संरक्षित राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है | कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है, ऊंची-ऊंची चोटियों पर वनस्पतियों और जीवों के साथ यहां एक शानदार ट्रेकिंग मार्ग भी है |
2 ) हनुमान गुंडी झरना : प्राकृतिक चट्टानों पर 100 फीट से अधिक की ऊंचाई से नीचे गिरता हुआ यह झरना प्रकृती की सुंदरता का आकर्षण है | हनुमान गुंडी जलप्रपात, जिसे सुथानबब्बे फॉल्स के नाम से भी जाना जाता है | अक्टूबर से मई तक का समय ट्रेकिंग के लिए आदर्श है | हनुमान गुंडी झरना करकला और लखिया बांध के बीच में आता है | यहां पर आप ट्रैकिंग के अलावा नहाने के बाद खुद को तरोताजा महसूस कर सकते हैं | यहा का वातावरण भी शांतिपूर्ण है |
3 ) कलासा : कलासा भद्रा नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा शहर है, जो कुद्रेमुख से 20 किमी की अंतर पर है | भगवान शिव के पुराने कलशेश्वर मंदिर के लिए कलासा पहचाना जाता है और यह मंदिर लोकप्रिय भी है | यहा की पुरानी कहानियों के अनुसार कलासा का जन्म पौराणिक कारणों से हुआ है |
स्थानीय लोगों का मानना है कि कलासा जिसका मूल अर्थ बर्तन है, भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह समारोह के दौरान उछला था | यह अपने नाम के साथ मेल खाता है क्योंकि यहां कलसा की मिट्टी पाई जाती है, जिससे कॉफी और अन्य जड़ी-बूटियों का उत्पादन अच्छा निकलता है | तीर्थयात्री प्रार्थना करने के लिए इस मंदिर में आते हैं | तीर्थयात्रियों के लिए यह एक तीर्थ स्थान है, लेकिन आज इसे एक पर्यटक स्थल का दर्जा मिला है |
4 ) गंगामूला : गंगामूला ऐसा स्थान है जहां पर तुंगा, भद्र और नेत्रवती नाम की तीन नदियों का उगमस्थान है | इसे वराह पर्वत के नाम से भी जाना जाता है | समुद्र तल से 1458 मीटर की बडी ऊंचाई पर स्थित यह पर्वत यूनेस्को की विश्व धरोहर का स्थल है | यहाँ पर देवी भगवती का मंदिर और वराह की 6 फीट ऊँची गुफा पर्यटकोका प्रमुख आकर्षण है | पक्षियों की 107 से अधिक प्रजातियों को एकसाथ देखने का अच्छा अवसर यहा पर मिलता है |
5 ) लक्या डैम : लक्या भद्रा नदी की एक सहायक नदी है, जो 100 मीटर की ऊंचाई पर है | इसे कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी द्वारा खनन कार्यों से निकला कचरा एक जगह पे करने के लिए बांध के रूप में बनाया गया है |पहाड़ी इलाकों और अविरल नदियों के साथ यहा की सुंदरता पर्यटकों को बेहद लुभाती है |
6 ) होरानडू : होरानडू को अन्नपूर्णेश्वरी देवी का घर के रूप मे पहचना जाता है | यह मंदिर तीर्थयात्रियों और हिंदू भक्तों का प्रमुख आकर्षण है | यह मंदिर देवी अन्नपूर्णेश्वरी को समर्पित है | मंदिर के भीतर एक शुद्ध सोने की मूर्ति है |
7 ) लांगवुड शोला : लांगवुड शोला कुद्रेमुख से सिर्फ 3 किमी की दूरी पर है | कोटागिरी के स्थानीय लोगों द्वारा इसे डोडा शोला के नाम से जाना जाता है | कोटागिरी में लांगवुड शोला पानी का एकमात्र स्त्रोत है , जो यहां के 15 गांवों में पानी की कमी को पुरा करता है | ट्रैकिंग करने और बर्ड वॉचिंग के लिए यह अच्छा स्थान है | यहां जंगल में आपको इंडियन जाइंट स्किवरल, बार्किंग डीयर, नीलगिरी मार्टन और इंडियन बिसॉन जैसे खतरनाक जानवर भी देखने को मिलते है |
कुद्रेमुख ट्रेक जाने के लिए सबसे अच्छा समय
Kudremukh trek : यहा की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां पर पूरे सालभर मे आपको एक सुखद मौसम का आनंद मिलता है | जबकि, कुद्रेमुख ट्रेक के लिए अक्टूबर से मई का समय अच्छा होता है | यदि आप स्कूबा डाइविंग करना चाहते हैं तो नवंबर से जनवरी के दौरान यहां पर जाने का सबसे अच्छा समय है, क्योंकि तभि आप स्कूबा डाइविंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटी का लुत्फ उठा सकते हैं |
ट्रैकिंग करने वालों के लिए कुद्रेमुख ट्रेक पर जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से मई तक का है | इस मौसम में आपको अलग अलग प्रकार के जानवरों को देखने का अवसर होता है | यहा का औसत तापमान 32 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है और कई बार यह 37 डिग्री सेल्सियस तक भी बढ जाता है | यहा पर सर्दियों का मौसम को नवंबर से शुरुआत होती है और फरवरी तक रहती है |
कुद्रेमुख ट्रेक कैसे पहुँचे (kudremukh trek )
Kudremukh trek : कुद्रेमुख ट्रेक की यात्रा पर जाने वाले ट्रेकर वहा पर पहुचने के लीये हवाई मार्ग, ट्रेन, या सड़क मार्ग का भी उपयोग कर सकते है |
हवाई मार्ग : कुद्रेमुख केसबसे नजदिक का हवाई अड्डा मैंगलोर हवाई अड्डा है, जो कुद्रेमुख से 93 किमी के अंतर पर स्थित है | मैंगलोर एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है | मैंगलोर एयरपोर्ट पहुचने के बाद यहाँ से आप कुद्रेमुख के लिए आप किराये पर टैक्सी ले सकते हैं या बस से भी पहुंच सकते है |
सड़क मार्ग : कुद्रेमुख, मैंगलोर, बैंगलोर, चेन्नई, चिकमगलूर जैसे शहरों के साथ जुड़ा हुआ है | आप केएसआरटीसी के बसों से अलग अलग शहरों से कुद्रेमुख तक जा सकते हैं |
ट्रेन : कुद्रेमुख के लिए कोई सीधी रेल कनेक्टविटी उपलब्ध नही है | कुद्रेमुख निकटतम रेलवे स्टेशन मैंगलोर स्टेशन है, जो 113 किमी की दूरी पर है | मैंगलोर रेलवे स्टेशन से, कुद्रेमुख के लिए कई टैक्सी और बसें उपलब्ध हैं |
बस : सबसे अच्छा तरीका स्थानीय बस सेवा का उपयोग करना है जो हर 30 मिनट में कुदरेमुख के लीये उपलब्ध होती है |
युक्तियाँ और सावधानियां
Kudremukh trek
शारीरिक फिटनेस: Kudremukh trek के लिए अच्छे स्तर की शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता होती है, कुद्रेमुख चोटी जैसे ट्रेक के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यक होती है |
मौसम: गर्मियों के महीनों के दौरान ट्रेक करना सबसे अच्छा होता है, कुद्रेमुख की चोटी ट्रेक के लिए साफ मौसम की आवश्यकता होती है |
उपकरण: ट्रेक के लिए अच्छे स्तर के उपकरणों की आवश्यकता होती है, कुद्रेमुख चोटी जैसे आकर्षणों के लिए उचित ट्रैकिंग गियर की जरूरत होती है |
निष्कर्ष
कुद्रेमुख ट्रेक(kudremukh trek ) एक अद्भुत और यादगार ट्रेक है | अपने ऊबड़-खाबड़ इलाके, प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध जैव विविधता के साथ, यह ट्रेक ट्रेकर के लीये खूबसूरत और साहसी बनाता है | चाहे आप अनुभवी ट्रेकर हों या शुरुआती के, कुद्रेमुख ट्रेक आपको ट्रेकिंग मे चुनौती के साथ साथ अविस्मरणीय अनुभव भी देगा |
FAQ
कुद्रेमुख का क्या अर्थ होता है ?
कुद्रेमुख का शाब्दिक अर्थ घोड़े का चेहरा ऐसा होता है |
Kudremukh trek कहा से शूरु होता है ?
Kudremukh trek मुल्लोडी गांव से शुरू होता है, जो कलसा से लगभग 15 किमी दूरी पर है |
कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान कहा पर है ?
कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, उडुपी जिले और चिकमंगलूर जिले के त्रि-जंक्शन पर स्थित है |
कुद्रेमुख से कोनसी नदी बहती है ?
कुद्रेमुख से भद्रा नदी बहती है |