Nava Narasimha Temples नरसिंह अवतार भगवान विष्णु का एक अद्भुत और शक्तिशाली अवतार था, जिसे उन्होंने केवल एक उद्देश्य के लिए लिया था – राक्षस हिरण्यकश्यपु का वध करना। हिरण्यकश्यपु एक अत्यंत अहंकारी राक्षस था, जिसने भगवान विष्णु की उपेक्षा की और खुद को सर्वोत्तम मानते हुए दूसरों पर अत्याचार किया। इस लेख में हम भगवान नरसिंह के अवतार के बारे में विस्तार से बताएंगे।
हिरण्यकश्यपु का अहंकार और भगवान का प्रतिशोध
Nava Narasimha Temples हिरण्यकश्यपु को भगवान शिव से एक वरदान प्राप्त था, जिसके अनुसार वह न तो मनुष्य से मारा जा सकता था, न ही किसी जानवर से। उसे न तो आकाश में मारा जा सकता था, न ही भूमि पर, और न ही दिन में या रात में। इसके अलावा, कोई भी अस्त्र-शस्त्र उसे मारने में सक्षम नहीं था। इस वरदान के कारण हिरण्यकश्यपु ने अपने आप को अत्यधिक शक्तिशाली मान लिया था और उसने हर जगह अत्याचार फैलाना शुरू कर दिया।
हिरण्यकश्यपु का बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह भगवान विष्णु को सर्वव्यापी मानता था और लगातार उनकी पूजा करता था। जब हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद की भक्ति को देखा, तो उसने उसे तरह-तरह से सताना शुरू कर दिया। एक बार उसने प्रह्लाद को हाथी के पैरों तले रौंदने का आदेश दिया, लेकिन भगवान ने अपने भक्त की रक्षा की। इसी तरह, प्रह्लाद को हर बार भगवान की कृपा से बचाया गया।
भगवान नरसिंह का अवतार
Nava Narasimha Temples भगवान नारायण ने प्रह्लाद की भक्ति को देखा और उनके आह्वान पर श्री नरसिंह अवतार लिया। भगवान ने अपने शरीर का आधा हिस्सा मनुष्य और आधा हिस्सा शेर के रूप में लिया। यह रूप ना तो पूरी तरह से मनुष्य था और ना ही जानवर, जिससे वह हिरण्यकश्यपु के वरदान को पार कर सके।
भगवान नरसिंह ने अपनी नाखूनों से हिरण्यकश्यपु के पेट को फाड़कर उसे मारा। यह घटना संध्याकाल में हुई, जो न तो दिन था और न ही रात, और यह स्थान स्वाति नक्षत्र के समय पर था।
नरसिंह अवतार का यह अद्भुत स्थल आंध्र प्रदेश के कुडपा जिले में स्थित अहोबिलम में है। यहाँ भगवान ने अपने अवतार में राक्षस हिरण्यकश्यपु का वध किया।
अहोबिलम का महत्व
अहोबिलम एक आदिवासी क्षेत्र है, जहाँ नल्लामाला या काले पहाड़ और घने जंगल हैं। यह स्थान पूर्वी घाट के मध्य में स्थित है और यह क्षेत्र “आदि शेष” की तरह प्रतीत होता है, जो भगवान श्री विष्णु का शैया है। अहोबिलम का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ भगवान नरसिंह ने अवतार लिया। महाभारत, कूर्म पुराण, पद्म पुराण, और विष्णु पुराण में अहोबिलम और भगवान नरसिंह का उल्लेख मिलता है।
अहोबिलम क्षेत्र में नौ नरसिंह मंदिर हैं, जिन्हें लगभग 3000 साल पहले खोजा गया था। ये मंदिर श्री अहोबिला मठ द्वारा संरक्षित हैं। इस क्षेत्र में उच्च और निम्न अहोबिलम के दो भाग हैं। उच्च अहोबिलम में नौ नरसिंह मंदिर हैं और निम्न अहोबिलम में भक्त प्रह्लाद वरदार मंदिर है।
श्री क्रोध नरसिंह

श्री क्रोध नरसिंह को वराह नरसिंह के रूप में भी जाना जाता है। इस रूप में भगवान ने हिरण्यकश्यपु के वध के बाद ब्रह्मा जी से नाराजगी दिखाई। भगवान ने यहां अपने दृषटिकोन में बदलाव करते हुए वेदों को पाताल लोक में सुरक्षित किया। इस मंदिर में भगवान नरसिंह को लक्ष्मी देवी के साथ शांति के रूप में दर्शाया गया है।
श्री मालोला नरसिम्हा
” वारिजावरिथा भयाय वानीपति मुखैश्वरै महिथया महोधारा मलोल्यस्तु मंगलम “
श्री मलोला नरसिंह मंदिर में भगवान नरसिंह शांत रूप में दिखाई देते हैं और लक्ष्मी देवी भी उनके साथ होती हैं। यह स्थान मर्कोण्डा लक्ष्मी क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान मलोला नरसिंह की मूर्ति यात्रा के दौरान भक्तों को आशीर्वाद देती है।

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श्री ज्वाला नरसिम्हा
” हिरण्यष्टंभ सम्भूतिप्रख्यात परमात्मनेय प्रह्लाधर्तिमुशे ज्वाला नृसिंहाय मंगलम् “
Nava Narasimha Temples श्री ज्वाला नरसिंह मंदिर वही स्थान है जहाँ भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यपु का वध किया। इस मंदिर में भगवान नरसिंह को अपनी नाखूनों से हिरण्यकश्यपु को फाड़ते हुए दर्शाया गया है। यहाँ का पानी भी लाल हो गया था, जिसे आज भी देखा जा सकता है।

आपको यह भी बता दे की, यह वही स्थान है जहाँ भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध किया था | यहीं पर भगवान नरसिंह का क्रोध चरम सीमा पर था और यहाँ भगवान नरसिंह का विग्रह हिरण्यकश्यप को अपने नाखूनों से चीरते हुए दिखाई देता है |
श्री योगानंद नरसिम्हा
” चतुरानां चेतोब्जा चित्रभानु स्वरूपिणे वेदाद्रि गहवरस्थाय योगानंदाय मंगलम् “
Nava Narasimha Temples श्री योगानंद नरसिंह मंदिर में भगवान नरसिंह योग की मुद्रा में बैठे हुए हैं और उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को योग की शिक्षा दी। यह स्थान ध्यान और शांति का प्रतीक है।

श्री छत्रवथ नरसिंह
” हाहाहा हूहू वाक्य गंधर्व नृत्तगीत हृतात्मनेय भावहंत्रित चत्रवतैम्हय मंगलम् “
इस रूप में भगवान नरसिंह एक पेड़ के नीचे बिनहाथी मुद्रा में बैठे हैं। भगवान के चेहरे पर एक सुंदर मुस्कान होती है। इस मंदिर का महत्व उन गंधर्वों के कारण है, जो यहाँ आकर भगवान की पूजा करते थे।

श्री पवन नरसिंह
” भारद्वाज महायोगी महापाठक हारिणी थापनीय रहस्यार्थ पावनयस्तु मंगलम “
Nava Narasimha Temples यह मंदिर पवन नदी के किनारे स्थित है, जिससे इसे पवन नरसिंह कहा जाता है। यह स्थान उन भक्तों के लिए है जो जीवन के पापों से मुक्ति चाहते हैं। यहाँ भगवान नरसिंह भक्तों को शांति और आत्मकल्याण प्रदान करते हैं।

श्री भार्गव नरसिम्हा
” भरगावाख्य तपस्वीसा भावना भावितथमनेय अक्षय तीर्थस्तु भगवयस्तु मंगलम “
Nava Narasimha Temples यहां भगवान नरसिंह को पाराशुराम के साथ दर्शन देते हुए दिखाया गया है। पाराशुराम ने यहां भगवान की पूजा की थी और भगवान ने उन्हें विशेष आशीर्वाद दिया।

तब से भगवान की यहाँ पूजा की जाती है और उन्हें श्री भार्गव नरसिंह स्वामी के रूप में जाना जाता है | यह रूप अहोबिलम में भगवान नरसिंह के सबसे क्रूर रूपों में से एक है |
श्री करंज नरसिम्हा
” करंजमूले माथरस्ते यत्र
सारंगश्चक्र ध्रुतं गोभू हिरण्य
निर्विन्ना गोबिला ज्ञानधायिने प्रबंजन
सुनासीरा करणचायस्थु मंगलम् “
इस मंदिर में भगवान नरसिंह करंजा वृक्ष के नीचे विराजमान हैं। इसे सारंग नरसिंह भी कहा जाता है। इस स्थान पर हनुमान जी ने भगवान नरसिंह से दर्शन प्राप्त किए थे। यहाँ भगवान राम के रूप में भी उनकी पूजा की जाती है।
एक बार हनुमान अहोबिलम में तपस्या कर रहे थे और लगातार भगवान राम के पवित्र नाम का जाप कर रहे थे | तुरंत भगवान नरसिंह उनके सामने प्रकट हुए और पूछा ” हाँ तुमने मुझे बुलाया ? ” हनुमान आश्चर्यचकित हुए और नरसिंह से कहा ” तुम मुझे परेशान कर रहे हो, कृपया चले जाओ ” नरसिंह ने उत्तर दिया, “मैं राम हूँ, क्योंकि तुमने मुझे बुलाया है, और मैं आया हूँ |”

हनुमान फिर से आश्चर्यचकित हुए और उन्होने पूछा, “आप राम कैसे हो सकते है ? आपका राम जैसा कोई रूप नही है | ” तुरंत भगवान नरसिंह एक हाथ में धनुष और दूसरे हाथ में सुदर्शन लेकर राम की तरह प्रकट हुए फिर हनुमान आश्वस्त हो गए और तब से श्री करंज नरसिंह के रूप की पूजा करने लगे | मंदिर में हनुमान की एक छोटी वेदी भी है |
प्रल्हाद वरद नरसिंह
Nava Narasimha Temples अहोबिलम के निम्न क्षेत्र में स्थित यह मंदिर प्रह्लाद वरदा नरसिंह के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ भगवान नरसिंह चार भुजाओं के साथ दिखाई देते हैं, और वे अपनी गोदी में लक्ष्मी देवी को विराजित किए हुए हैं।
निष्कर्ष
Nava Narasimha Temples भगवान नरसिंह का अवतार भगवान विष्णु का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रूप था, जो उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और राक्षस हिरण्यकश्यपु के अत्याचारों का नाश करने के लिए लिया था। इस अवतार ने न केवल देवताओं को बल दिया, बल्कि भक्ति और धार्मिकता के महत्व को भी सुदृढ़ किया। अहोबिलम के विभिन्न मंदिर आज भी उन दिव्य घटनाओं की याद दिलाते हैं और भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करते हैं।
FAQ
भगवान नरसिंह के 9 मंदिर कौन से है ?
भगवान नरसिंह के 9 मंदिर : अहोबिलम यदागिरिगुट्टा, मालाकोंडा, सिंहचलम, धर्मपुरी, वेदाद्रि, अंतरवेदी, मंगलगिरी और पेंचलकोना | यह सभी मंदिर स्थान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में है | सभी स्थानों पर नरसिंहस्वामी की अलग अलग रूपों में पूजा की जाती है | लेकिन अहोबिलम में श्री नरसिंहस्वामी के सभी नौ रूपों के दर्शन होते है |
नव नरसिम्हा क्षेत्र क्या है ?
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य में नव नरसिंह क्षेत्र है | यह सभी 9 मंदिर दक्षिण भारतीय राज्यों मे आंध्र प्रदेश ( अहोबिलम, सिम्हाचलम, पेन्चलाकोना, वेदाद्रि, अंतरवेदी, मंगलागिरी और मालाकोंडा या मलयाद्री ) और तेलंगाना ( यादागिरी गुट्टा या यादाद्रि और धर्मपुरी ) में स्थित है देखने को मिलते है |
सबसे प्रसिद्ध नरसिंह स्वामी मंदिर कौन सा है ?
नरसिंह स्वामी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर वराह लक्ष्मी नरसिंह मंदिर है | जो सिंहचलम मे स्थित है |
अहोबिलम मंदिर के 9 मंदिर कौन से है ?
यह 9 भगवान नरसिंह के प्रसिद्ध नौ मंदिर है : ज्वाला, अहोबिला, मालोला, क्रोडा, करंजा, भार्गव, योगानंद, छत्रवत और पवन | यह अहोबिलम मंदिर के 9 मंदिर है |