Paithan temple | संत एकनाथ महाराज समाधी मंदिर

Paithan temple नमस्कार! आज हम आपको महाराष्ट्र के पैठण शहर में स्थित शांति ब्रह्म संत एकनाथ महाराज के प्राचीन महल की सैर कराएंगे। यह वही स्थान है जहां संत एकनाथ महाराज ने 36 वर्षों तक विभिन्न रूपों में पांडुरंग की सेवा की थी। यहां भगवान की मूर्तियाँ हैं, जिनकी संत एकनाथ महाराज ने उपासना की थी।

संत एकनाथ महाराज समाधी मंदिर

Paithan temple

Paithan temple संत एकनाथ महाराज वारकरी संप्रदाय के एक प्रमुख संत थे। उनका जन्म 1533 में पैठण में हुआ था। उनके परदादा, संत भानुदास महाराज, विठ्ठल की मूर्ति को अनागोंडी (वर्तमान हम्पी) से पंढरपुर लाए और वहां पुनः स्थापित किया। यह वारकरी संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। संत एकनाथ महाराज ने अपने जीवन में कई धार्मिक ग्रंथों की रचना की, जिनमें ‘एकनाथी भागवत’ और ‘भावार्थ रामायण’ प्रमुख हैं। उन्होंने मराठी साहित्य में ‘भरूड’ नामक एक नई शैली की भी शुरुआत की।

मंदिर का इतिहास और महत्व

Paithan temple पैठण शहर, जो औरंगाबाद जिले में गोदावरी नदी के तट पर स्थित है, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह शहर शालिवाहन राजाओं की राजधानी रहा है और इसे ‘दक्षिण काशी’ के नाम से भी जाना जाता है। यहां संत एकनाथ महाराज का समाधि मंदिर स्थित है, जो पूरी तरह से सागौन की लकड़ी से निर्मित है। मंदिर परिसर में एक भव्य दत्त मंदिर भी है। हर वर्ष मार्च महीने में यहां नाथषष्ठी यात्रा उत्सव मनाया जाता है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं।

आपेगाव, पैठण

Paithan temple : पैठण यात्रा के समय ” नाथषष्ठी ” के दिन यहा पर लोगो की भारी भीड होती है | संत ज्ञानेश्वर महाराज और ऊनके तीन भाई बहन का जन्मस्थान आपेगाव यह गोदावरी नदी के उत्तर दिशा मे और पैठण गाव की पूर्व दिशा को लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है | इन धार्मिक,आधीतमिक संत और तत्वज्ञानी ने अपनी मराठी भाषा मे लिखे ग्रंथ से मंत्रमुग्ध कर दिया है | इसलीये यह संतपूरा नाम से जाना जाता है | महानुभाव पंथ के अनुयायी के लीये यह पैठण महत्व का स्थान है |

एकनाथ महाराज के गुरु सद्गुरु जनार्दनस्वामी देवगढ़ ( देवगिरि ) में एक दरबारी थे | चालीसगाँव के ये मूल निवासी, उनका उपनाम देशपांडे था | वह एक भक्त था | संत एकनाथ महाराज ने उनकी गुरु के रूप में प्रशंसा की | नाथ ने बडी लगन से गुरु की सेवा की और दत्तात्रेय ने उन्हें साक्षात् दर्शन दिये थे | ऐसा कहा और माना जाता है कि श्री दत्तात्रेय नाथ के द्वार पर द्वारपाल बनकर खड़े रहते थे | संत एकनाथ महाराज ने अनेक तीर्थयात्राएँ भी कीं |

संत एकनाथ महाराज ने समाधी ली

संत एकनाथ महाराज ने गोदावरी नदी के तट पर स्थित कृष्णकमलतीर्थ में जलसमाधि ली थी। उनकी देह का अंतिम संस्कार इसी स्थान पर किया गया, जहां बाद में तुलसी और पीपल के पौधे उग आए। इस स्थान पर उनके पुत्र हरिपंडित ने पादुकाएं स्थापित कीं। वर्तमान में यहां एक सुंदर समाधि मंदिर है, जिसे संत एकनाथ महाराज के 11वें वंशज श्री भानुदास महाराज गोसावी ने बनवाया था। मुख्य किलेबंदी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा की गई थी।

संत एकनाथ महाराज ने समाधी फाल्गुन वद्य षष्ठी, शक 1521 ( 26 फरवरी 1599 ई. ) ली थी | फाल्गुन वद्य ( एकनाथ षष्ठी ) के दिन को एकनाथ षष्ठी के नाम से जाना जाता है | नाथषष्ठी यात्रा – षष्ठी, सप्तमी और अष्टमी यात्रा के तीन दिन होते हैं |

12 shiv temples in india

मंदिर का समय

Paithan temple : नाथ समाधि मंदिर सुबह जल्दी खोला जाता है | इसके बाद सुबह 5:30 बजे काकड़ आरती, और शाम 6:45 बजे आरती, दोपहर मध्यान्ह 12:00 बजे नैवेद्य दिया जाता है | शाम को गोदा पूजन के बाद आरती की जाती है और रात 9:30 बजे मंदिर बंद कर दिया जाता है | आप लोंग इसी समय पर दर्शन कर सकते है |

श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन क्षेत्र मंदिर

Paithan temple : श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर यह मंदिर महाराष्ट्र के पैठण क्षेत्र मे स्थित लोकप्रिय मंदिर है |
पैठण मे यह एक प्रसिद्ध प्राचीन दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र ( चमत्कारांचे तीर्थक्षेत्र ) है | मंदिर मे 20 वे जैन तीर्थंकर, भगवान मुनिसुव्रतनाथ की काले रंग की वालू से निर्मित सुंदर मूर्ती स्थित है | जैन धर्म का यह एक महत्वपूर्ण मंदिर है |

Paithan temple

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

भगवान मुनिसुव्रतनाथजी की मुख्य प्राचीन अर्धपद्मासन स्थिति में 3.5 फीट की मूर्ति है | राजा खरदूषण द्वारा बनाई गई लगभग 50 मूर्तियां यहा पर हैं | यह मूर्ति चतुर्थ काल की है, यह स्थान कई चमत्कारी घटनाओं का गवाह है | शनि अमावस्या ( शनिवार को चंद्रमा नहीं होता ) पर विशेष अभिषेक किया जाता है | यह मंदिर की भी लोकप्रिय और अध्यात्मिकता लोगो मे है |

संत एकनाथ महाराज की शिक्षाएं

संत एकनाथ महाराज की शिक्षाएं और उनके द्वारा स्थापित परंपराएं आज भी समाज में प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाओं ने समाज में भक्ति, समर्पण और सेवा की भावना को प्रोत्साहित किया। उनकी समाधि पर हर वर्ष नाथषष्ठी उत्सव मनाया जाता है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं और उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं।

नागघाट

पैठण का रेडा नाम के प्राणी का मंदिर

सूनने मे थोडा अजीब है, लेकिन यह एक आध्यात्मिक मंदिर है | संत ज्ञानेश्वर महाराज ने इस रेडे से वेद बुलवाये थे | वही पैठण मे है यह मंदिर | हम हमारे आस पास या अन्य स्थानो पर देवी देवता के मंदिर देखते है | लेकिन इस पैठण गाव मे रेडे का मंदिर बनाया हुआ है | यहा के श्रद्धालु लोग मंदिर मे जाकर पूजा करते है | पैठण क्षेत्र मे सबसे पुराना नागघाट है | यह घाट सातवाहन काल से अस्तित्व मे है |

Paithan temple

नाग घाट के इसी जगह पर उस वेद बोलने वाले रेडा नामक प्राणी का मंदिर बनाया गया है | इस घाट पे भगवान गणेश जी का भी मंदिर है | अहिल्याबाई होळकर ने इस घाट का पुनर्निर्माण किया था | पैठण क्षेत्र मे आणे वाले बहुत सारे आध्यात्मिक,श्रद्धालु भक्त इस रेडे के मंदिर आकर पुजा और दर्शन करते है | यह काफी लोकप्रिय मंदिर और आध्यात्मिक दृष्टी से महत्वपूर्ण मंदिर है |

ज्ञानेश्वर उद्यान

संत ज्ञानेश्वर उद्यान एवं बांध पैठण का पर्यटन स्थल प्रसिद्ध है | पैठण का यह प्रसिद्ध ज्ञानेश्वर उद्यान म्हैसूर के वृंदावन गार्डन से प्रेरित होकर उसका निर्माण किया गया है |

Paithan temple

पैठण का विशेष

पैठण की साडीयोंमे एक अपनी अलग ही पहचान है | यहा की पैठणी साडी पुरे भारत मे प्रसिद्ध और बहुत ही लोकप्रिय है | साडी की ऐसी कलाकारी कही और देखने नही मिलती | इन साडी मे सुंदर रेशम का और सोना, चांदी का क्लिष्ट भरतकाम किया जाता है | इसलीये यह काफी प्रसिद्ध है |

निष्कर्ष

पैठण शहर में स्थित संत एकनाथ महाराज का समाधि मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां भक्त उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं और आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं। यदि आप महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को समझना चाहते हैं, तो पैठण का यह स्थल अवश्य देखें।

FAQ

पैठण कीस लीये प्रसिद्ध है ?
पैठण संत एकनाथ महाराज मंदिर, जैन मंदिर, ज्ञानेश्वर उद्यान, जायकवाडी धरण-नाथसागर और पैठणी साडी के लीये प्रसिद्ध है |

सातवाहन क्या है ?
सातवाहन का संबंध हिंदू धर्म के ब्राम्हण और शासन से है |

पैठण से कोनसे संत प्रसिद्ध है ?
पैठण मे संत एकनाथ महाराज का जन्मस्थान और उनकी समाधी है | यहा की नाथषष्ठी यात्रा महाराष्ट्र मे प्रसिद्ध है |