Paithan temple :
Paithan temple : महाराष्ट्र मे स्थित पैठण क्षेत्र सब धर्म के आध्यात्मिक और श्रद्धालु भक्तो से पुराने जमाने से जुडा हुआ है | उन्मे से ही है प्रसिद्ध और बहुत ही लोकप्रिय है, चांगदेव महाराज , संत ज्ञानेश्वर , संत सोपानदेव , संत निवृत्तीनाथ , संत मुक्ताबाई , संत एकनाथ , संत जगनाडे महाराज, संत भानुदास महाराज | लोकप्रिय मराठी संत एकनाथ महाराज का पैठण यह मूल गाव और ऊनकी समाधी भी पैठण मे ही है | पैठण में पवित्र गोदावरी नदी के तट पर संत एकनाथ महाराज का समाधि मंदिर है |
संत एकनाथ महाराज समाधी मंदिर
Paithan temple : पैठण गांव मे प्रसिद्ध संत एकनाथ महाराज मंदिर आध्यात्मिक दृष्टी से महत्वपूर्ण स्थान है | वारकरी संप्रदाय मे यह लोकप्रिय मंदिर है | महाराष्ट्र से अलग-अलग जगह से श्रद्धालु लोग यहा दर्शन करने आते है | संत एकनाथ महाराज को ” नाथ ” नाम से जाना जाता है | उनके समाधी फाल्गुन वद्य षष्ठी के दिन ” एकनाथ षष्ठी ” यात्रा आयोजित की जाती है | नाथषष्ठी के दिन पुरे महाराष्ट्र से लोग मंदिर मे दर्शन करने आते है | आषाढ महीने मे नाथ पादुका को पालखी से पंढरपूर ले जाया जाता है |
मंदिर का इतिहास और महत्व
Paithan temple : संत एकनाथ महाराज समाधी मंदिर का पुरा निर्माण सागवान की लकड़ी से किया गया है | इस मंदिर क्षेत्र का सौंदर्यीकरण और विकास किया गया है | यहां एक भव्य दत्त मंदिर भी है | पैठण क्षेत्र के इस लोकप्रिय मंदिर का 450 साल की पुरानी परंपरा वाला ” नाथषष्ठी यात्रा उत्सव ” बहुत महत्वपूर्ण है | यह नाथषष्ठी यात्रा उत्सव हर साल मार्च महीने में आयोजित किया जाता है | नगर क्षेत्र में विभिन्न देवी-देवताओं के प्राचीन मंदिर हैं | गांव में संत एकनाथ महाराज की पुरानी हवेली को मंदिर में बदल दिया गया है | यह मंदिर भी काफी पुराना है |
संत एकनाथ महाराज , जिन्हें आमतौर पर नाथ के नाम से जाना जाता है ऊनका नम जन्म: पैठण मे, 1533 ई. – 1599 ई .) महाराष्ट्र के वारकरी संप्रदाय मे हुआ था | संत भानुदास एकनाथ के परदादा थे | वे सूर्यभक्त थे, सूर्य की पूजा करते थे | श्री संत एकनाथ के पिता का नाम सूर्यनारायण और माता का नाम रुक्मिणी था | उन्होंने लंबे समय तक अपने माता-पिता के साथ का आनंद नहीं लिया | श्री संत एकनाथ महाराज का पालन-पोषण उनके दादाजी ने किया | चक्रपाणी और सरस्वती उनके दादा और दादी थे |
आपेगाव, पैठण
Paithan temple : पैठण यात्रा के समय ” नाथषष्ठी ” के दिन यहा पर लोगो की भारी भीड होती है | संत ज्ञानेश्वर महाराज और ऊनके तीन भाई बहन का जन्मस्थान आपेगाव यह गोदावरी नदी के उत्तर दिशा मे और पैठण गाव की पूर्व दिशा को लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है | इन धार्मिक,आधीतमिक संत और तत्वज्ञानी ने अपनी मराठी भाषा मे लिखे ग्रंथ से मंत्रमुग्ध कर दिया है | इसलीये यह संतपूरा नाम से जाना जाता है | महानुभाव पंथ के अनुयायी के लीये यह पैठण महत्व का स्थान है |
एकनाथ महाराज के गुरु सद्गुरु जनार्दनस्वामी देवगढ़ ( देवगिरि ) में एक दरबारी थे | चालीसगाँव के ये मूल निवासी, उनका उपनाम देशपांडे था | वह एक भक्त था | संत एकनाथ महाराज ने उनकी गुरु के रूप में प्रशंसा की | नाथ ने बडी लगन से गुरु की सेवा की और दत्तात्रेय ने उन्हें साक्षात् दर्शन दिये थे | ऐसा कहा और माना जाता है कि श्री दत्तात्रेय नाथ के द्वार पर द्वारपाल बनकर खड़े रहते थे | संत एकनाथ महाराज ने अनेक तीर्थयात्राएँ भी कीं |
एकनाथ महाराज का पैठण के पास वैजापुर गाव की एक लड़की से विवाह हुआ था | एकनाथ और गिरिजाबाई की दो बेटियाँ गोदावरी और गंगा और एक पुत्र उसका नाम हरि था | उनके पुत्र बडे हरिपंडित होकर वे नाथ के शिष्य बन गये | संत एकनाथ महाराज के निधन के बाद, हरिपंडित हर साल आषाढीवारी के लिए नाथ की पादुकाओं को श्री क्षेत्र पंढरपुर ले जाने लगे |
नाथ ने अभंगरचना, भरूड़, जोगवा, गवलनी, गंडाल की सहायता से जनजागरण किया | एकनाथ संतकवि, पंतकवि और तान्तकवि भी थे |उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से जनता का मनोरंजन और ज्ञानवर्धन किया था | वह खुद को ‘ एक जनार्दन ‘ कहते हैं, एका जनार्दन उनका आदर्श वाक्य है |
‘ एकनाथी भागवत ‘ उनका लोकप्रिय ग्रंथ है | यह ग्यारहवें स्कन्द पर भाष्य करता है | ग्रंथ मे मूलतः कुल 1367 श्लोक हैं | लेकिन इस पर टीका के रूप में संत एकनाथ ने 18,810 ओवी लिखे हैं | व्यास द्वारा रचित मूल भागवत 12 स्कंदों का है |
नाथ द्वारा रचित भावार्थ रामायण में लगभग 40 हजार ओवस हैं | उन्होंने रुक्मिणी पर भी एक कविता लिखी थी | ऊनकी दत्त की आरती ( दत्ता की त्रिमूर्ति ) भी गणेश के समक्ष गाये जाने वाली उनकी आरती में से एक है | सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संत एकनाथ महाराज ने ज्ञानेश्वरी की प्रति को परिष्कृत किया | नाथ एक महावैष्णव और दत्त के भक्त भी थे, देवी के भी भक्त थे | उन्होंने जातिगत भेदभाव को खत्म करने के लिए जीवन भर प्रयास किया |
संत एकनाथ महाराज ने समाधी फाल्गुन वद्य षष्ठी, शक 1521 ( 26 फरवरी 1599 ई. ) ली थी | फाल्गुन वद्य ( एकनाथ षष्ठी ) के दिन को एकनाथ षष्ठी के नाम से जाना जाता है | नाथषष्ठी यात्रा – षष्ठी, सप्तमी और अष्टमी यात्रा के तीन दिन होते हैं |
मंदिर का समय
Paithan temple : नाथ समाधि मंदिर सुबह जल्दी खोला जाता है | इसके बाद सुबह 5:30 बजे काकड़ आरती, और शाम 6:45 बजे आरती, दोपहर मध्यान्ह 12:00 बजे नैवेद्य दिया जाता है | शाम को गोदा पूजन के बाद आरती की जाती है और रात 9:30 बजे मंदिर बंद कर दिया जाता है | आप लोंग इसी समय पर दर्शन कर सकते है |
श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन क्षेत्र मंदिर
Paithan temple : श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर यह मंदिर महाराष्ट्र के पैठण क्षेत्र मे स्थित लोकप्रिय मंदिर है |
पैठण मे यह एक प्रसिद्ध प्राचीन दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र ( चमत्कारांचे तीर्थक्षेत्र ) है | मंदिर मे 20 वे जैन तीर्थंकर, भगवान मुनिसुव्रतनाथ की काले रंग की वालू से निर्मित सुंदर मूर्ती स्थित है | जैन धर्म का यह एक महत्वपूर्ण मंदिर है |
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
भगवान मुनिसुव्रतनाथजी की मुख्य प्राचीन अर्धपद्मासन स्थिति में 3.5 फीट की मूर्ति है | राजा खरदूषण द्वारा बनाई गई लगभग 50 मूर्तियां यहा पर हैं | यह मूर्ति चतुर्थ काल की है, यह स्थान कई चमत्कारी घटनाओं का गवाह है | शनि अमावस्या ( शनिवार को चंद्रमा नहीं होता ) पर विशेष अभिषेक किया जाता है | यह मंदिर की भी लोकप्रिय और अध्यात्मिकता लोगो मे है |
नागघाट
Paithan temple : पैठण का रेडा नाम के प्राणी का मंदिर
सूनने मे थोडा अजीब है, लेकिन यह एक आध्यात्मिक मंदिर है | संत ज्ञानेश्वर महाराज ने इस रेडे से वेद बुलवाये था वही पैठण मे है यह मंदिर | हम हमारे आस पास या अन्य स्थानो पर देवी देवता के मंदिर देखते है | लेकिन इस पैठण गाव मे रेडे का मंदिर बनाया हुआ है | यहा के श्रद्धालु लोग मंदिर मे जाकर पूजा करते है |
पैठण क्षेत्र मे सबसे पुराना नागघाट है | यह घाट सातवाहन काल से अस्तित्व मे है |
इसका उल्लेख महानुभाव के नागडोह मे किया गया है | इसी जगह नागघाट पे संत ज्ञानेश्वर महाराज ने चमत्कार दिखाया था | ऐसा माना जाता है की जब संत ज्ञानेश्वर, संत निवृत्ती, संत सोपान और संत मुक्ताबाई यह भाई बहन अधिकारी मंडल से शुद्धीपत्र लेने गये थे | तब एक आदमी ने संत ज्ञानेश्वर से कहा, तुम इतना जीव और शिव का ज्ञान देते हो, तो अभी इस रेडा नामक प्राणी के मुख से वेद पठन करवाव | तब संत ज्ञानेश्वर महाराज ने उस प्राणी के सिर पर हाथ रखा तभी रेडा प्राणी अपने मुख से वेद बोलने लगा | उस समय ऊनकी उम्र सीर्फ 12 साल थी | सन 1209 और ई. स.1287 के शुद्ध वसंत पंचमी के दिन यह चमत्कार हुआ था |
नाग घाट के इसी जगह पर उस वेद बोलने वाले रेडा नामक प्राणी का मंदिर बनाया गया है | इस घाट पे भगवान गणेश जी का भी मंदिर है | अहिल्याबाई होळकर ने इस घाट का पुनर्निर्माण किया था | पैठण क्षेत्र मे आणे वाले बहुत सारे आध्यात्मिक,श्रद्धालु भक्त इस रेडे के मंदिर आकर पुजा और दर्शन करते है | यह काफी लोकप्रिय मंदिर और आध्यात्मिक दृष्टी से महत्वपूर्ण मंदिर है |
ज्ञानेश्वर उद्यान
संत ज्ञानेश्वर उद्यान एवं बांध पैठण का पर्यटन स्थल प्रसिद्ध है | पैठण का यह प्रसिद्ध ज्ञानेश्वर उद्यान म्हैसूर के वृंदावन गार्डन से प्रेरित होकर उसका निर्माण किया गया है |
पैठण का विशेष
पैठण की साडीयोंमे एक अपनी अलग ही पहचान है | यहा की पैठणी साडी पुरे भारत मे प्रसिद्ध और बहुत ही लोकप्रिय है | साडी की ऐसी कलाकारी कही और देखने नही मिलती | इन साडी मे सुंदर रेशम का और सोना, चांदी का क्लिष्ट भरतकाम किया जाता है | इसलीये यह काफी प्रसिद्ध है |
निष्कर्ष
महाराष्ट्र राज्य का आध्यात्मिक दृष्टी से महत्वपूर्ण पैठण गाव संभाजी नगर जिले मे है | खास कर यहा की मंदिरे वारकरी संप्रदाय से जुडी हुई है | हिंदू और जैन धर्म के लीये पैठण काफी महत्वपूर्ण है | मंदिर वैशिष्ट्यपूर्ण के साथ साथ ही खूबसूरत और मन को शांती दिलाने वाले है |
FAQ
पैठण कीस लीये प्रसिद्ध है ?
पैठण संत एकनाथ महाराज मंदिर, जैन मंदिर, ज्ञानेश्वर उद्यान, जायकवाडी धरण-नाथसागर और पैठणी साडी के लीये प्रसिद्ध है |
सातवाहन क्या है ?
सातवाहन का संबंध हिंदू धर्म के ब्राम्हण और शासन से है |
पैठण से कोनसे संत प्रसिद्ध है ?
पैठण मे संत एकनाथ महाराज का जन्मस्थान और उनकी समाधी है | यहा की नाथषष्ठी यात्रा महाराष्ट्र मे प्रसिद्ध है |