Pavana Narasimha Swamy Temple
Pavana Narasimha Swamy Temple : पवन नृसिंह यह मंदिर अहोबिलम क्षेत्र के नौ नृसिंह मंदिरों में से एक है | यह मंदिर घने जंगल और पवित्र पावनी नदी के तट पर स्थित है | जिसे पवन नृसिंह क्षेत्र भी कहा जाता है | उन्हें पामुलेटी नरसिंह स्वामी नाम से भी जाना जाता है और भगवान नरसिंह के सिर के ऊपर सात सिर वाले अधिशेष और उनकी गोद में चेंचू लक्ष्मी है |
भक्तों को मंदिर तक पहुँचने के लिए कई खड़ी सीढ़ियाँ चढ़कर आना पडता है | यह सीढ़ियाँ श्री अहोबिलम नरसिंह के मंदिर के पास से ही इनकी शुरूवात होती है | आज के इस लेख मे हम आपको Pavana Narasimha Swamy Temple क बारे मे जाणकारी देने वाले है |
भक्त स्थानीय जीप का उपयोग करके मंदिर तक आ सकते है लेकिन यहा की सड़कें अच्छी नहीं है और यह अनुशासित नही है | पवन नृसिंह का यह मंदिर अहोबिलम में सबसे शांत स्थान है | तीर्थयात्रियों को पत्थरों से ढके रास्ते से अहोबिलम से 14 किमी अंतर पैदल चलकर आना होता है | मंदिर तक पहुँचने के लीये लगभग 2 घंटे का समय लग जाता है | उम्र बुजुर्ग और कमज़ोर लोग ऊपरी अहोबिलम से डोली में उतर सकते है | मंदिर में शाम 5 बजे तक ही प्रवेश होगा। तब से जंगली जानवरों के हमले की संभावना बनी रहती है।
अहोबिलम पावना नरसिम्हा स्वामी मंदिर
Pavana Narasimha Swamy Temple : भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप राक्षस का वध किया और क्रोधित होकर वे जंगल में घूमे | लक्ष्मी देवी के अवतार चेंचू लक्ष्मी को उन्होने देखा और चेंचू लक्ष्मी की संतुष्टि के लिए मांस इकट्ठा करने के लिए पहाड़ी क्षेत्र में उन्होने एक चक्कर लगाया | यहा के स्थानीय लोग अभी भी इस देवता को मुर्गी का मांस भेट देते है | भगवान नृसिंह ने एक आदिवासी महिला से विवाह किया था | वे जनजातियों के दामाद बन गए, इसलिए वे नृसिंह को मांस चढ़ाते है | स्थानीय जादूगरों से यहा पर सुरक्षा पाने के लिए शंकराचार्य ने यहां लक्ष्मी नृसिंह करावलम्ब स्त्रोत्रम का जाप किया था |
मंदिर की विशेषता
Pavana Narasimha Swamy Temple : ऋषि भारद्वाज ने ब्रह्महत्या के पाप से इसी स्थान पर मुक्ति पाई थी | यहां एक ध्वज स्तंभ भी है | मंदिर मे भगवान नृसिंह आदि शेषु की छाया में लक्ष्मी को अपनी बाईं जांघ पर रखकर दर्शन देते नजर आते है | ऋषि भारद्वाज उनके पैरों के सामने बैठे है | यहा के स्थानीय आदिवासी लोग सभी प्रमुख त्योहारों पर इस मंदिर में आते है और भगवान नृसिंह देवता को पशुओं की बलि देते है | करीब 1 किमी की अंतर की दूरी पर चेंचू लक्ष्मी का मंदिर है |
इस पावना नृसिंह मंदिर को अलवारों द्वारा जप किए जाने वाले 108 वैष्णव मंदिरों में से एक माना जाता है | इस स्थान पर भगवान नृसिंह का चेंचू लक्ष्मी से विवाह हुआ था और सभी देवता भगवान शिव के साथ इस विवाह में शामिल हुए थे | इस पवित्र स्थान में एक शिव लिंगम है | ऐसे बहुत कम मंदिर है, जहाँ भगवान शिव विष्णु जी के पवित्र स्थानों में प्रकट हुए है |
भगवान पवन नृसिंह बुध ग्रह के मुखिया है | यह बुध ग्रह कला, बुद्धि, संगीत, निपुणता का प्रतीक माना जाता है | यदि जन्म कुंडली में बुध ग्रह प्रतिकूल है, तो शिक्षा में रुकावट, चिंता, घबराहट और सहजता की कमी होती है | व्यावसायिक कौशल की कमी, बेचैनी, खराब याददाश्त, अपरिपक्वता और आत्म-नियंत्रण की कमी भी बुध ग्रह की प्रतिकूल ऊर्जा का परिणाम होती है | पवन नृसिंह की पूजा करने से बुध ग्रह के सभी शापों से मुक्ति मिलती है और उसकी नकारात्मक ऊर्जा को कम करती है |
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स्थान का महत्व
चेंचू लक्ष्मी के प्रति नरसिम्हा का प्रेम
Pavana Narasimha Swamy Temple : हिरण्यकश्यप का वध के बाद लौटते समय क्रोधित नरसिंह की नज़र अहोबिलम पहाड़ियों की खूबसूरत चेंचु लक्ष्मी पर पड़ी थी | चेंचु लक्ष्मी की खूबसूरती से मोहित होकर और उससे विवाह करने की इच्छा से, उन्होंने चेंचु लक्ष्मी के लिए मांसाहारी भोजन देने की तलाश में उन्होने पूरे पहाड़ी क्षेत्र की खोज करके अपने प्रेम का प्रदर्शन किया था | इसलीये यहा के लोग हर शनिवार को मंदिर में लक्ष्मी नरसिंह को भोजन के रूप में मुर्गी भेंट करते है |
भगवान नरसिंह, चेंचू जनजाति के दामाद
माता महालक्ष्मी ने पास के ही जंगल में आदिवासी समूह में चेंचू लक्ष्मी के रूप में अवतार लिया था | भगवान नरसिंह से उन्होने विवाह किया | स्थानीय जनजातियाँ नियमित रूप से मंदिर में आकर इस शेर भगवान को मांस चढ़ाती है,उनके लिए भगवान नरसिंह उनके दामाद है |
आदि शंकराचार्य ने यहीं पर नरसिम्हा करावलमबा स्तोत्र की रचना की थी
श्री आदि शंकराचार्य ने कापालिक तांत्रिक से अपनी सुरक्षा के लिए भगवान नरसिंह के करावलमबा स्तोत्र का पाठ किया था | उन्हें कापालिक तांत्रिक अपनी काली के लिए बलि चढ़ाना चाहता था |
ऋषि भारद्वाज को ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति मिली
ऋषि भारद्वाज को इसी स्थान पर अपनी ब्रह्म हत्या के महान पाप से मुक्ति मिल गयी थी |
मान्यताएं
Pavana Narasimha Swamy Temple : यहां की मान्यता है की नरसिंह भगवान भक्तों को पिछले जन्मों और वर्तमान जन्म के सभी पापों से मुक्ति दिलाते है | जो पाप जानबूझकर या अनजाने में किए गए हो उनसे मुक्ती मिलती है |
कुछ खास दिनों में यहां जंगल के आदिवासी लोग मिलकर मंदिर परिसर के बाहर भगवान को पशु बलि चढ़ाते है | चेंचू लक्ष्मी का मंदिर पवन नरसिंह मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर अंतर दूरी पर है | मंदिर मे पूजा-अर्चना की जाती है और पुजारी मंदिर के बगल में ही रहते है |
मंदिर मे मनाये जाने वाले उत्सव
इस मंदिर मे वैकासी पर 10 दिन की नरसिम्हा जयंती मनाई जाती है | इन 10 दिन के उत्सव को अइप्पासी पवित्रोत्सवम कहा जाता है |
मंदिर का समय
पवन नरसिंह का यह मंदिर भक्त और यात्री के लीये सुबह से शाम 5 बजे तक खुला रहता है |
मंदिर तक कैसे पहुंचे
पवन नरसिंह मंदिर तक पहुंचने के लीये आप हवाई मार्ग, सडक मार्ग और ट्रेन का उपयोग कर सकते है |
सडक मार्ग से : मंदिर के सबसे नजदिक का बस स्टेशन बेंगलुरु है | आप बेंगळुरू से मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते है |
ट्रेन से : इस मंदिर के सबसे नजदिक का रेलवे स्टेशन कोंडापुरम है | यहा से आपको मंदिर तक आणे के लीये पर्याय सुविधा मिलती है |
हवाई मार्ग : मंदिर के सबसे नजदिक का हवाई अड्डा बेंगलुरु का है | यहा से आप आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते है |
FAQ
सबसे प्रसिद्ध नरसिम्हा स्वामी मंदिर कौन सा है ?
वराह लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर, सिंहाचलम सबसे प्रसिद्ध नरसिम्हा स्वामी मंदिर है |
नरसिम्हा स्वामी की पत्नी कौन है ?
लक्ष्मी नरसिम्हा, नरसिम्हा को उनकी पत्नी लक्ष्मी के साथ चित्रित किया गया है, जो उनकी गोद में बैठी हुई है | उनका चेहरा विकृत और क्रोधित है, लेकिन वह इस रूप में शांत दिखाई देते है | अपने साथ सुदर्शन चक्र और पांचजन्य रखते है और उनकी मूर्ति को आभूषणों और मालाओं से सजाया जाता है |
भगवान नरसिम्हा का सबसे बड़ा भक्त कौन है ?
प्रल्हाद, अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और प्रह्लाद के दुष्ट पिता और राक्षस हिरण्यकशिपु के वध भगवान ने किया है |
मंगलगिरि क्यों प्रसिद्ध है ?
मंगलगिरि एक तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है | मंगलगिरि शहर के मध्य में एक पहाड़ी पर स्थित एक प्रसिद्ध और भव्य मंदिर भगवान पनकला नरसिम्हा स्वामी को समर्पित है, जिन्हें भारत के आठ महाक्षेत्रों ( पवित्र स्थानों ) में से एक के रूप में सम्मानित किया जाता है |
कौन सा मंदिर बहुत शक्तिशाली है ?
काल भैरव मंदिर, वाराणसी यह बहुत शक्तिशाली मंदिर है |