Pavana Narasimha Swamy Temple
Pavana Narasimha Swamy Temple जिसे पवना नरसिम्हा क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण भारत के अहोबिलम क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे हुए घने जंगलों में स्थित है और पवानी नदी के किनारे बसा हुआ है। इस मंदिर में भगवान नरसिम्हा का स्वरूप अत्यंत अद्भुत है, और यह स्थल आस्था और धार्मिक महत्व का प्रतीक है।

पवना नरसिम्हा स्वामी का अद्भुत रूप

Pavana Narasimha Swamy Temple भगवान नरसिम्हा का यह रूप अन्य रूपों से अलग है क्योंकि उनके सिर के ऊपर सात सिर हैं। साथ ही, उनके गोद में चेंचु लक्ष्मी, जो भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का आदिवासी रूप हैं, विराजमान हैं। इस मंदिर का वातावरण बहुत ही शांति और पवित्रता से भरपूर होता है। भगवान नरसिम्हा ने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी और यह स्थान उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बन चुका है।
चेंचु लक्ष्मी का महत्व
Pavana Narasimha Swamy Temple : ऋषि भारद्वाज ने ब्रह्महत्या के पाप से इसी स्थान पर मुक्ति पाई थी | यहां एक ध्वज स्तंभ भी है | मंदिर मे भगवान नृसिंह आदि शेषु की छाया में लक्ष्मी को अपनी बाईं जांघ पर रखकर दर्शन देते नजर आते है | ऋषि भारद्वाज उनके पैरों के सामने बैठे है | यहा के स्थानीय आदिवासी लोग सभी प्रमुख त्योहारों पर इस मंदिर में आते है और भगवान नृसिंह देवता को पशुओं की बलि देते है | करीब 1 किमी की अंतर की दूरी पर चेंचू लक्ष्मी का मंदिर है |

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पवना नरसिम्हा स्वामी की पूजा का महत्व
इस मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। कहते हैं कि यहाँ पूजा करने से व्यक्ति को ग्रहों के कुप्रभाव से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से बुध ग्रह, जिसे पवना नरसिम्हा स्वामी का ग्रह माना जाता है, उसके प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए यहाँ पूजा की जाती है। बुध ग्रह से जुड़ी समस्याओं जैसे शिक्षा में रुकावट, चिंता, और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए पवाना नरसिम्हा स्वामी की पूजा की जाती है।
अद्भुत धार्मिक घटनाएँ
यह स्थल विभिन्न धार्मिक घटनाओं और आस्थाओं का केंद्र रहा है। उदाहरण के लिए, यह स्थान महर्षि भरद्वाज के लिए भी पवित्र है, जिन्होंने यहाँ ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति प्राप्त की थी। इसके अलावा, प्रसिद्ध आचार्य शंकराचार्य ने यहाँ लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्र का जाप किया था, जब उन्हें स्थानीय तांत्रिकों से बचने की आवश्यकता पड़ी थी।
मान्यताएं
Pavana Narasimha Swamy Temple यहां की मान्यता है की नरसिंह भगवान भक्तों को पिछले जन्मों और वर्तमान जन्म के सभी पापों से मुक्ति दिलाते है | जो पाप जानबूझकर या अनजाने में किए गए हो उनसे मुक्ती मिलती है |
कुछ खास दिनों में यहां जंगल के आदिवासी लोग मिलकर मंदिर परिसर के बाहर भगवान को पशु बलि चढ़ाते है | चेंचू लक्ष्मी का मंदिर पवन नरसिंह मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर अंतर दूरी पर है | मंदिर मे पूजा-अर्चना की जाती है और पुजारी मंदिर के बगल में ही रहते है |
मंदिर मे मनाये जाने वाले उत्सव
पवना नरसिम्हा स्वामी मंदिर में हर वर्ष कई प्रमुख उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें से एक है नरसिम्हा जयंती, जो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है। यह उत्सव 10 दिन तक चलता है और इसे आयप्पासी पवित्रोत्सव कहा जाता है। इस दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान होते हैं।
मंदिर का समय
पवना नरसिम्हा स्वामी मंदिर का मुख्य आकर्षण उसकी शांति और आस्था है। इस मंदिर के दरवाजे सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक खुले रहते हैं। इसके बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है, ताकि श्रद्धालुओं को सुरक्षित रूप से वापस जाने का समय मिल सके।
मंदिर तक कैसे पहुंचे
पवना नरसिम्हा स्वामी मंदिर तक पहुँचने के लिए आप विभिन्न यात्रा साधनों का उपयोग कर सकते हैं:
सड़क मार्ग : पवना नरसिम्हा मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे निकटतम बड़ा शहर बेंगलुरु है। आप बेंगलुरु से बस या निजी वाहन से इस मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग : इस मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन कोंडापुरम है। यहां से आप टैक्सी या अन्य सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
हवाई मार्ग : पवाना नरसिम्हा स्वामी मंदिर के सबसे निकटतम हवाई अड्डे के रूप में बेंगलुरु एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से आप आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
FAQ
सबसे प्रसिद्ध नरसिम्हा स्वामी मंदिर कौन सा है ?
वराह लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर, सिंहाचलम सबसे प्रसिद्ध नरसिम्हा स्वामी मंदिर है |
नरसिम्हा स्वामी की पत्नी कौन है ?
लक्ष्मी नरसिम्हा, नरसिम्हा को उनकी पत्नी लक्ष्मी के साथ चित्रित किया गया है, जो उनकी गोद में बैठी हुई है | उनका चेहरा विकृत और क्रोधित है, लेकिन वह इस रूप में शांत दिखाई देते है | अपने साथ सुदर्शन चक्र और पांचजन्य रखते है और उनकी मूर्ति को आभूषणों और मालाओं से सजाया जाता है |
भगवान नरसिम्हा का सबसे बड़ा भक्त कौन है ?
प्रल्हाद, अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और प्रह्लाद के दुष्ट पिता और राक्षस हिरण्यकशिपु के वध भगवान ने किया है |
मंगलगिरि क्यों प्रसिद्ध है ?
मंगलगिरि एक तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है | मंगलगिरि शहर के मध्य में एक पहाड़ी पर स्थित एक प्रसिद्ध और भव्य मंदिर भगवान पनकला नरसिम्हा स्वामी को समर्पित है, जिन्हें भारत के आठ महाक्षेत्रों ( पवित्र स्थानों ) में से एक के रूप में सम्मानित किया जाता है |
कौन सा मंदिर बहुत शक्तिशाली है ?
काल भैरव मंदिर, वाराणसी यह बहुत शक्तिशाली मंदिर है |