Pratapgad Fort प्रतापगढ़ किला महाराष्ट्र के समृद्ध इतिहास और धरोहर का प्रतीक है। यह किला सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थान नहीं बल्कि एक ऐसा गवाह है जो मराठा साम्राज्य और छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता को दर्शाता है। आज के समय में यह किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है। इस लेख में हम प्रतापगढ़ किले से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को जानेंगे और यह भी समझेंगे कि यह स्थान पर्यटकों के बीच क्यों इतना प्रसिद्ध है।
प्रतापगढ़ किले का लोकेशन
Pratapgad Fort महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित है। यह किला महाबलेश्वर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है। अगर आप पुणे से आ रहे हैं तो यह किला 140 किलोमीटर दूर है, और मुंबई से इसकी दूरी लगभग 220 किलोमीटर है। यह किला पश्चिमी घाट की सुंदर वादियों में बसा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता का खजाना भी बनाता है।
कैसे पहुंचे
मुंबई से : आप मुंबई से कार या बस द्वारा महाबलेश्वर पहुंच सकते हैं। वहाँ से प्रतापगढ़ किले तक टैक्सी उपलब्ध होती हैं।
पुणे से : पुणे से भी आप महाबलेश्वर की ओर ड्राइव करके प्रतापगढ़ किले तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
प्रतापगढ़ किले का निर्माण
प्रतापगढ़ किले का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज ने साल 1656 में करवाया था। इस किले के निर्माण का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा था। इस कार्य का जिम्मा शिवाजी महाराज ने अपने प्रधानमंत्री मोरोपंत तिर्पंबक पिंगले को सौंपा था।
किले का उद्देश्य
उस समय नदी नीर के किनारों की सुरक्षा को मजबूत करना जरूरी था, और इसी वजह से प्रतापगढ़ किले का निर्माण किया गया। यह किला मजबूत पत्थरों और पारंपरिक मराठा स्थापत्य शैली में बनाया गया है। इसकी बनावट ऐसी है कि दुश्मनों को यहाँ तक पहुँचने में कठिनाई होती थी।
प्रतापगढ़ और अफजल खान की लड़ाई
प्रतापगढ़ किला ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ पर 10 नवंबर 1659 को छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफजल खान के बीच प्रसिद्ध युद्ध हुआ था। इसे “प्रसिद्ध प्रतापगढ़ युद्ध”के नाम से भी जाना जाता है। इस युद्ध में छत्रपति शिवाजी महाराज ने विजय हासिल की और मराठा साम्राज्य की शक्ति को और अधिक मजबूत किया। यह युद्ध शिवाजी महाराज की चतुराई और रणनीतिक कुशलता का जीता-जागता उदाहरण है। शिवाजी महाराज ने इस युद्ध के दौरान अपने छोटे आकार के बघनख का इस्तेमाल करके अफजल खान को मार दिया था।
भवानी मंदिर
Pratapgad Fort प्रतापगढ़ किले पर एक भव्य भवानी मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज ने साल 1661 में करवाया था। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। शिवाजी महाराज किसी कारण तुलजापुर के भवानी मंदिर में नहीं जा सके थे, इसलिए उन्होंने प्रतापगढ़ किले पर भवानी माता का मंदिर बनवाया। यह मंदिर किले के शीर्ष पर है, जहाँ से चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता को देख सकते है। मंदिर का स्थापत्य निर्माण बहुत ही आकर्षक और साधारण है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु भवानी माता की पूजा-अर्चना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
प्रतापगढ़ किले के अद्भुत नजारे
प्रतापगढ़ किले पर चार ऐसे स्थान मौजूद हैं, जो मॉनसून सीजन के दौरान ओवरफ्लो हो जाते हैं। यह दृश्य देखने लायक होता है और पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है। मॉनसून के समय यह किला बादलों और हरियाली से घिरा हुआ होता है, जो इसे और भी खूबसूरत बनाता है। यह जगह खासकर ट्रेकिंग करने वालों के लिए भी एक पसंदीदा स्थान है।
मॉनसून में क्या करें ?
1) आप यहाँ बारिश के दौरान झरनों और प्राकृतिक नजारों का आनंद ले सकते हैं।
2) यह समय फोटोग्राफी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
किले का मुख्य प्रवेश द्वार
प्रतापगढ़ किले का मुख्य प्रवेश द्वार, जिसे “माँ दरवाज़ा” कहा जाता है, किले की सुरक्षा का सबसे अहम हिस्सा है। इस दरवाज़े के पास एक वॉच टॉवर भी है। इस दरवाजे से गुजरते ही आपको किले की विशालता का एहसास होता है। वॉच टॉवर का इस्तेमाल दुश्मनों की हालचाल पर नजर रखने के लिए किया जाता था।
शिवाजी महाराज की प्रतिमा
प्रतापगढ़ किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। यह प्रतिमा करीब 60 साल पहले यहाँ बनाई गई थी। यह प्रतिमा शिवाजी महाराज की वीरता और सम्मान का प्रतीक है। यहाँ आने वाले पर्यटक इस प्रतिमा के साथ फोटो खिंचवाना जरूर पसंद करते हैं। यह स्थान शिवाजी महाराज की यादों को संजोने के लिए विशेष रूप से बनाया गया है।
किले पर स्थित सांस्कृतिक लाइब्रेरी
भवानी मंदिर के पास एक “कल्चरल लाइब्रेरी” भी स्थित है। इस लाइब्रेरी में प्रतापगढ़ किले और मराठा साम्राज्य से जुड़ी कई ऐतिहासिक चीजें प्रदर्शित की गई हैं। यह जगह इतिहास प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। यहाँ पर आपको शिवाजी महाराज की वीरता और उनके शासनकाल की जानकारी विस्तार से मिलती है।
प्रतापगढ़ किले की यात्रा के टिप्स
खुलने का समय : यह किला सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
पैदल चलना : किले की चोटी तक पहुँचने के लिए आपको करीब 500 सीढ़ियाँ चढ़नी होंगी। इसलिए आरामदायक जूते पहनकर आएं।
गाइड : किले के इतिहास को बेहतर तरीके से समझने के लिए गाइड की सहायता ले सकते हैं।
सबसे अच्छा समय
मॉनसून का समय इस किले की यात्रा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
प्रतापगढ़ किला केवल ऐतिहासिक धरोहर ही नही है बल्कि यह एक ऐसा स्थान है, जहाँ आपको इतिहास, प्राकृतिक सुंदरता और साहसिक अनुभव एक साथ मिलते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और रणनीति को समझने के लिए यह किला एक आदर्श स्थान है।
अगर आप इतिहास प्रेमी हैं या फिर एक अच्छा पर्यटन स्थल तलाश रहे हैं, तो प्रतापगढ़ किला जरूर जाएं। यहाँ का नज़ारा, यहाँ की शांति और यहाँ की विरासत आपको कभी न भूलने वाला अनुभव देगी।