Taragarh Fort | राजस्थान के तारागढ़ किले की कहानी

Taragarh Fort राजस्थान, जिसे वीरों की भूमि कहा जाता है, अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। अजमेर में स्थित तारागढ़ किला, राजस्थान के अन्य किलों की तरह, अरावली पर्वत श्रृंखला की पहाड़ियों पर बना है। इसे राजस्थान का जिब्राल्टर और राजस्थान की चाबी भी कहा जाता है। लगभग 700 फीट ऊंचाई पर स्थित यह किला, अजमेर की ऐतिहासिक कहानियों का साक्षी है।

Taragarh Fort

तारागढ़ किले का इतिहास

Taragarh Fort तारागढ़ किले का निर्माण 11वीं सदी में चौहान सम्राट अजय पाल ने कराया था। इसे विदेशी आक्रमणकारियों से बचाने के लिए ढाई दिन की झोंपड़ी के पास बनाया गया था। 113 ईस्वी में अजय राज ने चौहानों की राजधानी को सांभर से अजमेर मे स्थानांतरीत  किया था। उस समय इस किले को अजमेरु दुर्ग के नाम से जाना जाता था। मुगल शासनकाल के दौरान इस किले का बहुत ही रणनीतिक महत्व था।

तारागढ़ नाम इस किले को राजा थविराज द्वारा उनकी पत्नी तारा के नाम पर दिया गया है। किला तारागढ़ पहाड़ी पर बना है, जो समुद्र तल से 2,855 फीट ऊंचा है और इसका क्षेत्रफल 80 एकड़ में फैला हुआ है। इसके विशाल, मजबूत और ऊंचे बुर्ज और घने जंगल इसे सुरक्षा प्रदान करते हैं। इतिहासकार हरिविलास शारदा ने इसे भारत का सबसे पुराना किला माना है।

रणनीतिक महत्व

राजपूताना के बीचोंबीच होने के कारण, इस किले का रणनीतिक महत्व अत्यधिक था। महमूद गजनवी से लेकर अंग्रेजों तक, इस किले ने कई आक्रमणों का सामना किया है। मलदेव की पत्नी रानी उमा देवी ने इसे अपना निवास बनाया था। किले के प्रमुख महलों में छत्र महल, फूल महल, रतन महल, बादल महल और अनिरुद्ध महल शामिल हैं।

Taragarh Fort

गर्भ गू‍ंजन तोप

में एक विशाल तोप, गर्भ गू‍ंजन, को रखा गया है। इसे देखने के लिए पर्यटक आते हैं। इस तोप का धमाका इतना तेज था, कि इसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती थी। यही वजह है कि इसे गर्भ गू‍ंजन नाम दिया गया। भीम बुर्ज पर रखी यह तोप किले की शान है।

जलस्रोत और छतरियां

किले में कई सुंदर तालाब और जलाशय हैं, जो इस किले की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। 84 खंभों की छतरी, जिसे 17वीं सदी में बनाया गया था, यह भी इस किले का मुख्य आकर्षण है। इसे धवाई देव ने बनवाया था। यह तीन मंजिला इमारत एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है।

कैसे पहुंचे

Taragarh Fort आसानी से ट्रेन और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। अजमेर रेलवे स्टेशन और सड़कों से यह किला जुड़ा हुआ है। यहां पहुंचने के बाद, किले की खूबसूरती और इतिहास को करीब से देखने का मौका मिलता है।

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नज़र का नज़ारा

Taragarh Fort यह किला न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि अजमेर शहर का खूबसूरत दृश्य भी किले के उपर से देख सकते है। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से पूरे शहर का शानदार नज़ारा देखा जा सकता है।

निष्कर्ष

तारागढ़ किला सिर्फ एक किला नहीं, बल्कि राजस्थान की गौरवशाली विरासत का प्रतीक है। इसकी हर ईंट में इतिहास की कहानियां छिपी हैं। अगर आप राजस्थान के ऐतिहासिक स्थलों में रुचि रखते हैं, तो यह किला आपकी लिस्ट में जरूर होना चाहिए। यह किला न केवल अतीत की गवाही देता है, बल्कि इसकी खूबसूरती और वास्तुकला आज भी लोगों को आकर्षित करती है।

FAQ


1) तारागढ़ किले का दूसरा नाम क्या है?

तारागढ़ को सितारों का महल नाम से जाता है | राजस्थानी और मुगल आर्किटेक्चर यह मिसाल है। इसे बूंदी का किला भी कहते है।

2) तारागढ़ अजमेर को राजस्थान का जिब्राल्टर क्यों कहा जाता है ?

अपने गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। अजमेर की सबसे ऊंची पर्वत शृंखला पर स्थित तारागढ़ दुर्ग को सन् 1832 में भारत के गवर्नर जनरल विलियम बैंटिक ने देखकर ”ओह दुनिया का दूसरा जिब्राल्टर” कहा और मुगल बादशाह अकबर ने इसे अपने साम्राज्य का सबसे बड़ा सूबा बनाया था।

3) तारागढ़ का राजा कौन था ?

प्रसिद्ध तारागढ़ किला जयपुर से 133 किमी दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इसे अजमेर के राजा महाराजा अजयराज चौहान ने बनवाया था।